“मैं… कल्पना तुम उड़ान प्रिये,” चलो मिलकर पतंग उड़ाते हैं
अजय मुस्कान, जमशेदपुर. "मैं… कल्पना तुम उड़ान प्रिये …!!" चलो प्रिये !मिलकर…
आशाओं के दीप कुछ जलाते हैं, चलो प्रिय! दिवाली हम मानते हैं..
अजय मुस्कान. चलो दिवाली मनाते हैं….. चलो प्रिय ! दिवाली हम मानते…
संघर्ष के लिए सपनों का बहुत महत्त्व होता है : मनोज भक्त
जमशेदपुर. गोलमुरी स्थित भोजपुरी भवन में जन संस्कृति मंच की ओर से…
कविता : क्या मांगू उस धरोहर से, बिन मांगे ही तो सब कुछ सुन लिया है….
बैशाली दास, जमशेदपुर. हमारे पालनहार विष्णु है जो धरता चक्रवयूहै जिसपर भार…
पढ़िए कविता : दर्द भरा जिंदगी में, मुस्कुराती हूं…
आस्था जायसवाल, जमशेदपुर. मुस्कुराती हूं दर्द भरा है जिंदगी में,फिर भी मुस्कुराती…
पढ़िए आज कविता : “वज़ूद क्या सस्ता दिया गया”
अजय मुस्कान, जमशेदपुर. वज़ूद क्या सस्ता दिया गया….!!” पूछो न कितनी बार…
पढ़िए कविता : खुद को समझने की “तलाश”
डॉ पुरुषोत्तम कुमार, जमशेदपुर. हमें पता हो या ना होहम अपना निर्माणहर…
लघु कथा : मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती – बिल्कुल नहीं
जमशेदपुर. मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती - बिलकुल नहीं, मैं कल…