जमशेदपुर.
झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संविदा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार पांडेय ने एक बयान जारी कर कहा है कि जेपीएससी द्वारा सहायक प्राध्यापकों की जो स्थायी नियुक्ति की जा रही है उसकी प्रक्रिया संदेह के घेरे में है. हाल में इतिहास विषय के लिए सीट से पांच गुना लोगों की सूची जारी की गयी है जिसके कागजात की जांच 11 और 12 अक्टूबर को हुआ है जो अभ्यर्थी उस दिन नहीं पहुंच पाए थे उनके लिए 25 और 26 अक्टूबर की तिथि जेपीएससी ने तय करते हुए सूचना जारी की है. पूर्व में साक्षात्कार की तिथि 18 अक्टूबर थी जो अब 30 अक्टूबर2023 हो गया है. जेपीएससी द्वारा कागजात जांच वाली सूची में शामिल लोगों का प्वाइंट तो जेपीएससी के वेबसाइट पर दिखाई दे रहा है लेकिन जिनको कागजात जांच के लिए नहीं बुलाया गया है उनका प्वाइंट नहीं दिख रहा है जिससे अभ्यर्थी के अंदर बहाली प्रक्रिया पर प्रश्न खड़ा कर रहा.
इससे पहले भी भौतिकी विभाग में सहायक प्राध्यापकों की स्थायी नियुक्ति की गई थी उसमें जो कट आफ तय किया गया था उसमें साक्षात्कार के बाद जितना पद था उतने प्राध्यापक नहीं मिले. नियम के अनुसार अगर तय कट आफ के अनुसार प्राध्यापक पूरे नहीं मिले थे तो कट ऑफ कम कर बाकी अभ्यर्थी में से लेना चाहिए था लेकिन जेपीएससी ने ऐसा नहीं किया. उस समय भी कागजात जांच के लिए जितने लोगों को बुलाया गया था उतने का ही प्वाइंट दिखाई दे रहा था.
जेपीएससी के सारी प्रक्रिया कहीं न कहीं स्पष्ट परिलक्षित नहीं होती है
राकेश कुमार पांडेय ने कहा कि मुख्यमंत्री संवेदनशील है और चाहते हैं कि राज्य में लगातार नियुक्ति हो लेकिन जेपीएससी जैसी संस्थाएं अपने अस्पष्ट आचरण से न सिर्फ अभ्यार्थियों में बल्कि आम लोगों में भी शंका का जन्म दे रही है. इससे बदनामी कहीं न कहीं सरकार की ही होती है. मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे इस मामले को गंभीरता पूर्वक लेते हुए वस्तु स्थिति को स्पष्ट करने के लिए जेपीएससी को निर्देशित करें.