- शहर के वायु वीरों ने विभिन्न क्षेत्रों में की गई एक्यूआई सैंपलिंग जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की
- मानक से चार से दस गुणा खराब हो चुकी है शहर की हवा
- हरियाली वाले क्षेत्र में भी मशीन ने कैद किया हवा में नैनो पार्टिकल धूल कण
- बस्तियों में जलावन, तो पॉस इलाकों में गाड़ियों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण
- क्लीन एयर झारखंड, आदर्श संस्था और महिला कल्याण समिति की संयुक्त पहल पर तैयार की गई है वायु वीर टीम
जमशेदपुर.
कोरोना महामारी ने सभी को मास्क पहनना जरूरी कर दिया था. इस जरूरत ने न केवल हमें वायरस से बचाने में सुरक्षा कवच का काम किया बल्कि प्रदूषित हवा को भी सांस के माध्यम से हमारे शरीर में आने से रोका. लेकिन बहुत जल्द हम सभी ने इसका त्याग कर दिया. अगर आप यह सोचते हैं कि आप जिस शहर की खुली हवा में बड़े आराम से चल रहे हैं, तो यह आराम और लापरवाही आपको गंभीर रोगी बना सकती है. जी, हां बिल्कुल ऐसा होगा, क्योंकि शहर की हवा बीमार हो चुकी है. अगर समय रहते सभी नहीं चेते, तो सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा. ऐसा हम नहीं बता रहे हैं बल्कि शहर के वायु वीरों (बच्चों) ने एक प्रेसवार्ता कर पत्रकारों को इस गंभीर विषय पर तथ्य और आंकड़ों के आधार पर जानकारी साझा की है. प्रेस को संबोधित कर हरे वायु वीर रिंकी पाल, रिंकू पाल, सोम कंसारी, मेरिया बास्के और अर्पिता सोरेन ने रिपोर्ट कार्ड, स्लाइड के जरिए साझा किया. इन बच्चों ने एक माह की अवधि में चुना भट्टा, बर्मामाइंस, नरवा पहाड़, जादूगोड़ा, सुन्दरनगर, सिद्धू कान्हू बस्ती, बर्मामाइंस में एयर क्वालिटी इंडक्श (एक्यूआई) मशीन के माध्यम से डाटा कलेक्ट किया था. यह एक्यूआई मशीन ऑनलाइन डिवाइस के माध्यम से कंट्रोल से सीधे जुड़ी थी, जहां समयानुसार सारा डाटा ऑन टाइम ट्रांसफर होता जा रहा था.
वायु प्रदूषण जैसे गंभीर विषय पर शहर के बिस्टुपुर स्थित एक होटल में संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. यह संवाददाता सम्मेलन शहर के पत्रकारों के लिए बिल्कुल खास था, क्योंकि यहां प्रेस को संबोधित करने के लिए कोई सेलीब्रिटी, कॉरपोरेट, राजनीति पार्टी का प्रतिनिधि नहीं था, बल्कि यहां पत्रकारों को बच्चों ने संबोधित किया. इन बच्चों ने वायु वीर के नाम से पिछले वर्ष 2023 के दिसंबर-नवंबर के एक माह की अवधि में विभिन्न बस्ती और इलाकों में हवा की गुणवत्ता की जांच वैज्ञानिक तरीके और मशीन के माध्यम से किया था. एक माह की रिपोर्ट कार्ड को प्रस्तुत करते हुए हर बिंदु पर एक एक कर जानकारी साझा की. बच्चों ने न केवल सैंपलिंग, रिपोर्ट और अपने अनुभव शेयर किए बल्कि उन्होंने पत्रकारों के सवालों का भी सामना किया और उसका उचित जवाब दिया. प्रेसवार्ता के दौरान महिला कल्याण समिति की अध्यक्ष और क्लीन एयर झारखंड की सदस्य अंजली बोस, डॉ निर्मला शुक्ला, लक्खी दास व अन्य लाेग मौजूद रहे.
क्या पाया : बच्चे जब एक्यूआई मशीन से हवा के प्रदूषण को देखना आरंभ किया, तो उसका मुख्य कारण हवा जलावन में प्लास्टिक, रबर जैसी वस्तुओं के उपयोग को मुख्य कारण माना. वहीं पॉस एरिया में गाड़ियों से निकलने वाले धुएँ को मुख्य कारण समझा है. शहर में हर दिन हजारों भारी वाहनों का आवागमन होता है, जो अपने साथ अपने साइलेंसर से निकलने वाली जहरीली हवा भी लेकर आते हैं और यहां के वातावरण के बीच छोड़ जाते हैं. वायु वीर की रिपोर्ट के अनुसार अगर समय रहते सभी नहीं चेते, तो खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो जायेगा.
एबीपी न्यूज के पत्रकार द्वारा यह पूछे जाने पर कि वायु प्रदूषण के कारण है और उन चुनौतियों से कैसे निपटेंगे, तो रिंकी पाल ने जवाब देते हुए कहा कि संघर्ष किस क्षेत्र में नहीं है और ऐसे काम के लिए तो युद्ध करना पड़ता है. रिंकी ने कहा कि उनकी टीम ने यह जाना है कि शहर की हवा प्रदूषित है. अब इसे ठीक करने और कम करने के लिए वे जिम्मेदारों के समक्ष जाएंगी. विधायक, सांसद, प्रशासन के समक्ष इन बातों को रखा जाएगा. उसके बाद हर स्टेक होल्डर (सहभागी) को इसमे शामिल किया जाएगा.
दिल्ली की संस्था असर ने देश के 131 शहरों में वायु प्रदूषण के लिहाज से सबसे ज्यादा खतरनाक पाया था. जिसमें झारखंड के धनबाद, रांची के साथ जमशेदपुर भी शामिल है. असर की ओर से प्रोजेक्ट वायु वीर की शुरूआत की गई है. जमशेदपुर में यह असर की वायु वीर टीम आदर्श सेवा संस्थान और महिला कल्याण समिति के साथ काम कर रही है.
वायु वीरों का मुख्य उद्देश्य शहर की वायु गुणवत्ता को मापना और उसे सुधारने के लिए नीतियों में बदलाव लाना है. उन्होंने अपने अध्ययन के दौरान शहर में PM2.5 और PM10 के लिए अनुसंधान किया, और उनके आंकड़े राष्ट्रीय मानकों से अधिक प्रदर्शित होने का पता चला. इससे उन्हें वायु प्रदूषण के स्रोतों और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव को समझने में मदद मिली.
अंजली बोस, क्लीन एयर झारखंड की सदस्य और महिला कल्याण समिति की संस्थापक, इस पहल के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाने और हवा प्रदूषण के बारे में जागरूकता फैलाने का उद्देश्य रखती हैं. वायु वीरों ने अपने अनुभवों से बताया कि कैसे वे अपने घरेलू कामों और सामुदायिक स्रोतों से उत्पन्न प्रदूषण को समझते हैं और उसे कम करने के लिए सक्रिय हैं.
वायु वीर प्रोग्राम ने विशेष रूप से उन युवाओं को लक्ष्य बनाया है जो असुरक्षित समुदायों से संबंधित हैं और हवा प्रदूषण के समाधान में अपनी भूमिका निभा सकते हैं. इस प्रक्रिया में समुदाय के साथी और नीति निर्माताओं के साथ सहयोग के लिए उन्हें प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान किए गए हैं.
इस प्रक्रिया में, वायु वीर कार्यक्रम ने न केवल वायु प्रदूषण की जांच और गणना की है, बल्कि उसके समाधान के लिए समुदायों को सशक्त करने की भी कोशिश की है. यह एक प्रेरणास्पद पहल है जो कि सामुदायिक सहभागिता को मजबूत करके, स्वच्छ हवा की दिशा में एक मार्गदर्शी उदाहरण प्रस्तुत करती है.