- 13 वर्षीय मासूम बेटे ने पिता से कहा क्या मुझे यहां मरने के लिए रखे हैं, अच्छे जगह ले चलिए इलाज के लिए, यह बात पिता को अंदर तक झकझोर दिया है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे पिता के सामने शून्य की है स्थिति
- चाइल्डलाइन के हेल्पलाइन नंबर 1098 पर पिता ने किया फोन और बतायी अपनी परेशानी
- सिदगोड़ा का रहने वाला है परिवार
- सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं पिता
- इलाज में कर चुके हैं लाखों रुपये खर्च, अब तंग हो चुके हैं हाथ
- पूर्व सीएम रघुवर दास से लेकर विधायक सरयू राय तक लगा चुके गुहार, पैरवी नहीं आयी काम
- बेहतर इलाज के गहना बिक्री कर एम्स ले जाने की तैयारी में हैं पिता
जमशेदपुर.
जमशेदपुर के टाटा मोटर्स अस्पताल में इलाजरत आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के एक 13 वर्षीय मासूम के बेहतर इलाज के लिए परिवार वालों ने चाइल्डलाइन के हेल्पलाइन नंबर 1098 में फोन कर मदद की गुहार लगायी है. यह मदद की गुहार पिता ने चाइल्डलाइन से तब लगायी है जब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और विधायक सरयू राय की पैरवी भी अस्पताल में नहीं चली. मामले की गंभीरता को देखते हुए चाइल्डलाइन जमशेदपुर की ओर से त्वरित कार्रवाई करते हुए जिला बाल संररक्षण पदाधिकारी, जिला उपायुक्त और जिला सिविल सर्जन को पत्र लिखते हुए बच्चे के इलाज में मदद करने व हस्तक्षेप करने के लिए पत्राचार किया गया. लेकिन आश्चर्य की बात है कि चौबीस घंटे बीत जाने के बाद भी इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. बच्चा अब तक टाटा मोटर्स अस्पताल मेल सर्जिकल वॉर्ड में इलाजरत है और इलाज पर पिता लाखों रुपये खर्च कर चुके हैं और अब भी बिल बकाया है. बकाया बिल को जमा करने का अस्पताल प्रबंधन की ओर से लगातार दबाव बनाया जा रहा है. सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले पिता के हाथ पूरी तर से खाली हो गये है. चाइल्डलाइन ने अपने पत्र के माध्यम से उपायुक्त से गुहार लगाते हुए लिखा है कि हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि कृपया इस मामले में अपना ध्यान दें और जरूरतमंद बच्चे और उसके परिवार की मदद करें. आपकी एक मदद बच्चे का भविष्य बदल सकती है.
ये है मामला :
चाइल्डलाइन के हेल्पलाइन नंबर 1098 पर 7 जून की रात 11.30 बजे एक व्यक्ति फोन करते हैं और अपने 13 वर्षीय बेटा जो टाटा मोटर्स अस्पताल में इलाजरत है उसके बारे में बताते हुए बेहतर इलाज और आर्थिक मदद की गुहार लगाते हैं. आठ जून को इस मामले में चाइल्डलाइन जमशेदपुर की ओर से जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी को पत्र लिखते हुए उसकी कॉपी उपायुक्त और जिला सिविल सर्जन को भेजी गयी है. इस खबर में हम पिता और उनके बेटे का नाम प्रकाशित नहीं कर रहे हैं. पिता से कैंपस बूम ने बात की और मदद के इरादे से समाचार छापने की सहमति मांगी. उन्होंने समाचार छापने की अनुमति तो दी, लेकिन नाम छापने के नाम पर वह थोड़े भावुक हो गये और उन्होंने कहा कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या सही क्या गलत है. बस मैं चाहता हूं कि बेटा स्वस्थ हो जाये. सिदगोड़ा में रह रहा यह परिवार मूल रूप से बिहार के डेहरीअनसोन का रहने वाला है. शहर में पिछने 15 वर्ष से रह कर गुजारा कर रहे हैं. सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी कर अपने इकलौते बेटे को सिदगोड़ा के रामकृष्ण मिशन स्कूल में पढ़ा रहे हैं.
बकाया बिल और इलाज से भी असंतुष्ट हैं परिवार वाले :
पिता ने कैंपस बूम से बात करते हुए बताया कि नौ मई को बेटा साइकिल चलाते वक्त गिर गया था. साइकिल के हैंडल से उसके पेट में चोट लगा. इससे असहनीय दर्द उसे होने लगा. परिवार वाले उसे आदित्यपुर स्थित ईएसआई अस्पताल लेकर गये. वहां चार दिनों तक इलाज चला, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ. ईएसआई अस्पताल से उसे रांची रिम्स रेफर किया गया. लेकिन पिता ने तत्काल इकालौते बेटे के बेहतर स्वास्थ लाभ के लिए 15 मई को टाटा मोटर्स अस्पताल में एडमिट करा दिया. 20 मई को बच्चे का टाटा मोटर्स अस्पताल में ऑपरेशन किया गया. उसके बाद 29 मई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. उसी रात दो बजे बच्चे के पेट में तेज दर्द होने लगा. पिता फिर भागे भागे उसे लेकर रात तीन बजे टाटा मोटर्स अस्पताल लेकर पहुंचे. फिर से उसे एडमिट कर लिया जाता है और दो दिन बाद डॉक्टर बताते हैं कि खाली पेट रहने के कारण उसे दोनों आंत सट गये हैं इसलिए फिर से ऑपरेशन करना होगा. इसी पांच जून को फिर से बच्चे का ऑपरेशन किया गया. लेकिन पिता के अनुसार बेटे की स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती जा रही है. पिता ने बताया कि पहले बार ऑपरेशन कराने में 1.10 लाख रुपये खर्च हुए अब फिर से 80 हजार रुपये का बिल बन गया है. 30 हजार रुपये अब तक जमा कराया है. बकाया बिल जमा करने के लिए पैसे नहीं है. पिता ने बताया कि अब वे बेटे के बेहतर इलाज के लिए दिल्ली एम्स ले जाने की योजना में है. इसके पूर्व टाटा मोटर्स अस्पताल का बिल जमा करने के लिए मजबूर पिता थोड़े बहुत बचे गहने को बेचने की बात बोल रहे है.
रो पड़े पिता, पूर्व मुख्यमंत्री, विधायक की पैरवी भी नहीं आयी काम
इलाजरत बच्चे के पिता ने कहा कि टाटा मोटर्स अस्पताल में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने किसी परिचित को देखने के लिए आये थे. उसी दौरान उनके एक रिश्तेदार की मदद से रघुवर दास बच्चे को भी देखने आये और उसके बेहतर इलाज के लिए डॉक्टरों से भी बात किये और फीस माफी की भी बात किये. लेकिन अस्पताल की ओर से किसी तरह की फीस माफी नहीं की गयी. पिता विधायक सरयू राय के पास भी गुहार लेकर गये. सरयू राय ने भी टाटा मोटर्स अस्पताल के डॉक्टरों से बच्चे के बेहतर इलाज के लिए कहा और फीस माफ करने की बात कही. फीस माफी तो नहीं हुआ, लेकिन हां दूसरे ही दिन यह दबाव अस्पताल प्रबंधन की ओर से जरूर बना दिया गया कि बकाया बिल जमा किया जाये. ऐसे में पिता को अब कुछ समझ नहीं आ रहा है, कि वे क्या करें. मदद लेने के लिए वह कौन सा रास्ता अपनाये मजबूर पिता को समझ नहीं आ रहा है. यह कहते हुए वह रो पड़े कि बेटा इकलौता है, वह कहता है कि क्या मुझे मारने के लिए यहां रखे हैं, मुझे अच्छे अस्पताल में ले चलिए. एक मासूम बेटे की यह बात पिता को अंदर से झकझोर कर रख दिया है और पिता शून्य की स्थिति में है कि वह क्या करे.
मदद के लिए कैंपस बूम को करें फोन :
बच्चे के बेहतर इलाज और उसके मजबूर पिता की आर्थिक मदद के लिए आप कैंपस बूक के फोन नंबर 8083757257 पर कॉल कर सकते हैं. इसके माध्यम से आपको पिता का नंबर उपलब्ध करा दिया जायेगा ताकि आप सीधे उनकी मदद कर सके.