जलेस का दलित साहित्य पर गोष्ठी
जमशेदपुर.
जमशेदपुर के गोलमुरी स्थित भोजपुरी भवन में दलित साहित्य को लेकर जनवादी लेखक संघ सिंहभूम इकाई की ओर से परिचर्चा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर जलेस के केंद्रीय उपसचिव सह दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बजरंग बिहारी तिवारी शामिल हुए. कार्यक्रम में विमल किशोर विमल ने स्वागत गान प्रस्तुत किया. कवि राजदेव सिन्हा ने अपने स्वागत भाषण में प्रोफेसर तिवारी को दलित साहित्य का मर्मज्ञ कहा. शैलेंद्र अस्थाना ने बजरंग तिवारी का परिचय कराया. उनकी छह प्रकाशित पुस्तकों और आलेखों की बात की. परिचर्चा का संचालन करते हुए डॉ उदय हयात ने पहला दलित कवि हीरा डोम की बात कही जो पटना बिहार के रहने वाले थे. प्रलेस के अध्यक्ष और कथाकार जयनंदन ने दलित साहित्य को सच्चा लेखन कहा और इस बाबत मराठी आंदोलन और राजेंद्र यादव की चर्चा की. उन्होंने एक दलित कवि की कविता भी पढ़ी जो काफी पसंद की गई.
प्रो तिवारी ने अपने संबोधन में दलित साहित्य की चर्चा के साथ भक्ति काल और बाबा साहब अंबेडकर की बातें साझा की. उन्होंने कहा कि समता न्याय का पर्याय है, इसके बिना साहित्य नहीं. साहित्य में विकास की अवधारणा नहीं होती बल्कि विस्तार की बात होती है. साहित्य में हम आदि कवि वाल्मीकि को पढते हैं और ओम प्रकाश वाल्मीकि को भी स्वीकार करते हैं, गुनते हैं. उन्होंने आगे कहा कि दलित साहित्य स्वानुभूति का साहित्य है. अध्यक्ष अशोक शुभदर्शी ने सत्य और समाजवाद को प्रमुखता दी और मुख्य वक्ता से सहमति जताई. व्यंग्यकार अरविंद विद्रोही ने कार्यक्रम को दलित साहित्य पर वड़ा वर्क शौप कहा और बजरंग तिवारी, जलेस टीम और श्रोताओं को धन्यवाद दिया. इस अवसर पर डॉ केके लाल, रमेश हंसमुख, बिनोद बेगाना, पुरबी घोष, डीएनएस आनंद, ज्योत्सना अस्थाना, सरिता सिंह, सीटू के साथी और अन्य उपस्थित थे.