राजीव दुबे, जमशेदपुर.
मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर कतरे से आवाज तुम्हारी आती है,
बादल जब गरजते हैं दिल की धड़कन बढ़ती जाती है,
तब दिल की हर एक धड़कन से आवाज तुम्हारी आती है,
जब तेज हवाएं चलती है तो जान हमारी जाती है,
मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है।।
इश्क की सारी रवायतों को दिल से निभाओ
पर इश्क है ये ना बतलाओ,
इश्क के दरिया में रूह तक डुबो और डुबाओ,
पर इश्क है ये ना समझाओ,
शरीक-ए-हयात से भी ज्यादा
मेरे दिल के करीब आ जाओ,
पर इश्क के इम्तिहान में मुझे ना आजमाओ,
इश्क के गलियों में हर मोड़ पर
मुझे तुम हाथ पकड़ कर ले जाओ,
पर इश्क है यह ना कभी जुबान पर लाओ।।
पायल करे रुमझुम छम छम सी बारिश है,
यूं कभी हरदम गुनगुन सी ख्वाहिश है,
बातें रहे भीगती सी महको तुम रोज,
तो बजती मन में रुनझुन सी कशिश है,
याद से ही भर गया मन खिलती बहार में,
बूंद में जो फिर झिलमिल सी आतिश है,
बेल झूम रही हवाओं में रंग सा बिखेरती,
चाह ये बढ़ती रहे यूं तड़पन की गुजारिश है,
बरसता और बहकता सावन जो तुम संग हो,
बिजली का यह उजाला सिहरन की तपिश है।।