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- पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया क्षेत्र में पिछले तीन माह से हाथियों के झूंड से स्थानीय परेशान, वन विभाग विफल
- पिछले मई से अब तक हाथियों ने आठ लोगों की ले ली है जान
- आखिर हाथी क्यों भटक रहे हैं, इस विषय पर विचार करने की जरूरत
जमशेदपुर.
पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण इलाकों में जंगली हाथियों से बचाव के लिए वन विभाग ने एक नई पहल शुरु की है. एक टोल फ्री नंबर 1800 345 6486 जारी किया है, जिसमें कॉल कर ग्रामीन हाथियों के आने की सूचना वन विभाग को दे सकते हैं. हाथियों को भागाने के लिए क्यूआरटी की टीम गांव पहुंचेगी. यह टॉल फ्री नंबर 24 घंटे चालू रहेगा. यह जानकारी चाकुलिया के प्रभारी वन क्षेत्र पदाधिकारी दिग्विजय सिंह ने दी है.
मालूम हो कि ग्रामीण इलाकों में जंगली हाथियों का उत्पात काफी बढ़ गया है. हाथी रोज किसी न किसी गांव में घुसकर उत्पात मचा रहे हैं. चाकुलिया रेंज में हाथियों का उत्पात सबसे ज्यादा है. रेंजर दिग्विजय सिंह ने बताया कि वन प्रमंडल पदाधिकारी ममता प्रियर्दशी ने हाथियों से बचाव के लिए नई पहल की शुरुआत की है. इस टॉल फ्री नंबर को जारी करने का उद्देश्य वन्य प्राणी को सुरक्षा और जान माल से क्षति को कम करना है.
इधर चाकुलिया में हाथी ने तोड़ा फाटक :
जिले के चाकुलिया और धालभूमगढ़, घाटशिला के जंगलों और गांव, बस्तियों में पिछले तीन माह से हाथियों का झूंड घूम रहा है और उत्पात मचा रहा है. मई से लेकर अब तक हाथियों ने आठ लोगों की जान ले ली है. सोमवार को वन विभाग ने जहां टोल फ्री नंबर जारी किया, वहीं एक हाथी चाकुलिया के कोकपाड़ा रेलवे स्टेशन के लेबल क्राॅसिंग रेल फाटक को तोड़ता हुआ जंगल की ओर चला गया.
क्यों भटक रहे हैं हाथी, विचार करने की जरूरत
हर साल हाथियों का झूंड बंगाल से चाकुलिया के रास्ते दलमा में प्रवेश करता है और कुछ दिनों तक यहां वास करने के बाद पुन: चले जाते हैं. लेकिन हर बार हाथियों के आने की संख्या इतनी नहीं होती थी, जितनी इस बार है. इसलिए वन विभाग के लिए यह परेशानी का कारण बने हुए है. मई माह में जब हाथी चाकुलिया के जंगल में प्रवेश किए तो उनकी संख्या दो सौ तक बताई गयी. वहीं दूसरी ओर उनकी संख्या डेढ़ से ज्यादा बताई जा रही है. वर्तमान में हाथियों का झूंड अलग अगल समूह में विखर गया है, जो और भी बड़ी समस्या का कारण बना हुआ है. सबसे बड़ी बात है कि ये हाथी प्रवेश किए, लेकिन अब तक भटक क्यों रहे हैं. क्यों वे गांव व बस्तियों में उसी जगह घूम रहे हैं जहां आबादी है. जंगल में छुपना और फिर आबादी वाले क्षेत्र में आ जाना हाथियों के अगल ही व्यवहार की ओर इशारा कर रहे हैं. क्या हाथी भटक गये हैं, क्या हाथियों को जिस ओर जाना है वहां तक वह नहीं पहुंच पा रहे है. कहीं विकास कार्य हाथियों के मार्ग में बाधक तो नहीं है. केनाल को क्रॉस करना कहीं हाथियों के लिए परेशानी का कारण तो नहीं बना है. इस दिशा में पर्यावरण और हाथियों के संबंध में जानकारी रखने वाले व्यक्तियों को करनी होगी. वन विभाग को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा, तभी हाथियों को रास्ता मिल पाएगा और वे आबादी वाले क्षेत्र से बाहर हो पाएंगे.