अनिशा श्रीवास्तव. जमशेदपुर
घोड़ाबांधा, नाम में ही रहस्य व ऐतिहासिक झलक का अहसास होता है. यह कोई साधारण नाम या क्षेत्र नहीं है बल्कि घोड़ाबांधा का संबंध प्राचीन या यूं कहे महाभारत काल से रहा है. इस इतिहास का जिक्र करने के पहले हम चर्चा करेंगे आज के घोड़ाबांधा की, वहां की स्थिति की, नागरिक सुविधा व वहां की जरूरतों की.
पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा समेत घाटशिला विधायक रामदास सोरेन व पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा व मंगल राम का है निवास स्थान
90 के दशक में जब टेल्को कॉलोनी व टाटा स्टील के कॉलोनी के अलावे शहर में कोई व्यवस्थित कॉलोनी नहीं थी बल्कि छोटी छोटी बस्तियां थी उस दौरान घोड़ाबांधा में फ्लैट वाले अपार्टमेंट कल्चर की नींव रखी गयी. 1991 में आनंद विहार और उसके दो साल बाद आलोक विहार नाम से अपार्टमेंट का निर्माण शुरू हुआ.
विक्रमादित्य, महाभारत काल के इतिहास से जुड़ा है घोड़ाबांधा का संबंध
यहां फ्लैट लेने व बुकिंग कराने वालों में सबसे अधिक टाटा मोटर्स (तब टेल्को), टीआरएफ कंपनी, टाटा स्टील से सेवानिवृत होने शामिल थे. इसके अलावे कुछ बैंक व अन्य सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले लोगों ने भी अपना एक आशियाना यहां बसाया. लोग बताते हैं कि उस दौर में शहर में इक्का दुक्का सोनारी, मानगो में फ्लैट बिल्डिंग थी. लेकिन अपार्टमेंट व आम लोगों की निजी कॉलोनी के तौर पर घोड़ाबांधा के अपार्टमेंट ने ही अपनी पहचान स्थापित की. पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र में स्थित आज का घोड़ाबांधा शहरी संस्कृति व सुविधा से परिपूर्ण है. यहां बिल्डिंग, अपार्टमेंट बनने से बस्तियों का विकास भी तेजी से हुआ.
पांडव वनवास भ्रमण में दक्षिण की यात्रा के दौरान इस क्षेत्र में आये थे
पांडव के घोड़े के बांधने व घोड़ों के रहस्यमयी तरीके से पाषाण रूप लेने की वजह से नाम पड़ा घोड़ाबांधा
गांव के कच्चे मकान भी अब पूरी तरह से लगभग पक्के हो चले हैं. उस दौर में रैयती जमीन आसानी से मिल जाने की वजह से बाहर से आये लोगों ने भी अपनी इच्छा व सामर्थ्य से निजी जमीन लेकर मकान बनाया. कॉलोनी, बस्ती बनने से स्थानीय लोगों को रोजगार, स्वरोजगार का साधन मिला. बिजली आपूर्ति सरकारी है, घर घर जलापूर्ति योजना भी शुरू हो चुकी है. लुआबासा के कुस्तुलिया में सुवर्णरेखा नदी पर पुल बनने से अब यह एरिया सीधे एनएच 33 (पीपला, घाटशिला) से जुड़ गया है. वहीं धानचट्टानी से होकर गुजरने वाली सड़क सीधे आसनबनी होते हुए जादुगोड़ा से जुड़ी हुई है.
तीन पंचायत का है घोड़ाबांधा, कई एरिया आज भी उपेक्षित :
घोड़ाबंधा तीन पंचायत क्षेत्र में बंटा है. इसमें पूर्वी, उतरी और पश्चिमी घोड़ाबांधा शामिल है. करीब 15 हजार मकान व 55 से 60 हजार जनसंख्या वाले घोड़ाबांधा तेजी से विकसित कर रहा हैं. लेकिन धुआंकॉलोनी, धुमाकॉलोनी, खापचाडुंगी, दलखम बस्ती, राजा बस्ती जैसे क्षेत्र आज भी विकास की राह देख रहे हैं. समाज के सबसे नीचले पायदान (आर्थिक व सामाजिक रूप) के लोग रहते हैं. शुद्ध पानी, बिजली, शौचालय जैसी सुविधा भी यहां नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, घाटशिला विधायक व पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा व मंगल राम का निवास स्थान भी यही हैं.
पिछले दो दशक में तेजी से बसा क्षेत्र :
घोड़ाबांधा क्षेत्र में बाहर के लोगों का बसना करीब 30 से 35 वर्ष पूर्व होने शुरू हो चुका था. लेकिन पिछले दो दशक में इस क्षेत्र में काफी तेजी से बिल्डिंग, अपार्टमेंट, निजी मकान बने. क्षेत्र की जनसंख्या में तेजी से इजाफा हुआ. जहां एक ओर गिनती के मकान हुआ करते थे वहां आज 15 हजार से भी ज्यादा मकान की सख्ंया पहुंच चुकी है. बीहड़ जंगल वाले इस क्षेत्र में वर्ष 1870-80 के आसपास आसनबनी व उसके आसपास एरिया से लोग आकर यहां बसना शुरू किये थे.
इस घोड़ाबांधा में महज 18 झोपड़ीनुमा मकान थे. जिसमें 13 महतो (कुर्मी) व 5 संथाल परिवार का मकान था. जगदीश महतो, दिनेश महतो, रामदास सोरेन, सूर्य सिंह बेसरा, अर्जुन मुंडा व गोपाल बनर्जी, मंगल राम का परिवार इस क्षेत्र में शुरूआती दिनों में बसे. शहीद निर्मल महतो का इस क्षेत्र में काफी ज्यादा आना जाना था. यही कारण है कि क्षेत्र में स्थित हाई स्कूल का नाम भी शहीद निर्मल महतो के नाम पर रखा गया.