- जलेस की पावस काव्य गोष्ठी संपन्न
- त्रिभुवन ओझा याद किए गए
जमशेदपुर.
जमशेदपुर के बारीडीह स्थित विजया गार्डन में जनवादी लेखक संघ, सिंहभूम की पावस काव्य गोष्ठी का आयोजन आज किया गया. कार्यक्रम का सरस संचालन युवा कवि वरुण प्रभात ने किया. प्रसिद्ध कवयित्री शोभा किरण ने चुप रहकर दरिया ये सोचे शेर पढ़कर काव्य गोष्ठी की शुरूआत की. क्यों आंखों का प्याला टूटा, शोभा जी ने एक गीत पढ़ा जिसे काफी सराहना मिली तुम जो मुझसे रूठ गये हो ,सावन मुझसे रूठा है. रमेश हंसमुख ने जिंदगी के दर्द को यू बयां किया जमाने के किस्से सुनाने लगे, खताये मेरी गिनाने लगे. वीणा भारती ने एक प्रेम गीत घटा अम्बर पे छायी है,नयन बादल को तकते हैं गाकर माहौल बना दिया. साथी श्यामल सुमन ने जनवादी लोग विवश है किस कारण से उनको बारंबर लिखूं ,आंसू के सागर में जीकर कैसे मैं श्रंगार लिखूं सुनाया. शिप्रा सैनी ने एक भाव पूर्ण कविता अनिल बहे मध्यम-मध्यम,झर झर बूंद गिरे अविरल, कल कल नदी बहे चँचल की प्रस्तुति की.
सुरेश दत्त पांडे प्रणय ने साहित्यकारों की अड्डेबाजी पर ‘चाय घर’ शीर्षक लंबी कविता सुनाई. पूनम स्नेहित ने कजरी सुनाया – घनन घनन घन मेघा बरसे मिलकर सखिया झूला झूले. बिनोद बेगाना ने कुकृतयों से देश बहुत ही दुखी हुआ, शर्मिन्दा है, हर युग में दुशासन जैसा मनुज यहां पर जिंदा है, कविता पाठ से मणिपुर का दुख प्रस्तुत किया. निवेदिता श्रीवास्तव ने मेरी उम्मीद की बगिया बता कैसे न मुरझाये, कभी आ के कोई सपना इन आंखों में समा जाए, सुंदर गीत सुनाया. शैलेंद्र अस्थाना ने ‘तलाश एक कुल्हाड़ी की ‘ शीर्षक कविता सुनाई जिसमें बाहर भीतर के जंगल और हिंसा की चर्चा की. पूनम सिन्हा ने तरननुम से एक नज्म पेश की. ज्योत्सना अस्थाना ने पढा-बेजुबां न कहिये हमने ये गीत गाया है, दिल के भावों को इन शब्दों में सजाया है.
उदय हयात ने दो रोटी निगल काज बढ़ाने में लगे थे, पानी पे ही मोटर को भगाने में लगे थे, पढ़ा. डॉ संध्या सिन्हा ने बूंद बावरी हो गई दिशा दिशा में घूम, छूकर साजन का हृदय, मेरा आंचल चूम दोहा पढ़ा. वरुण प्रभात ने स्त्री विमर्श की समसामयिक कविता ‘मैं नंगी हूं’ का पाठ किया. अध्यक्ष अशोक शुभदर्शी ने प्रेम शीर्षक एक विशिष्ट कविता सुनाई और कहा प्रेम को छोड दिया गया हे एक दिल के भरोसे. धन्यवाद ज्ञापन युवा कवि सुजय भट्टाचार्य ने किया.
डॉ त्रिभुवन ओझा को दी गयी श्रद्धांजलि
कार्यक्रम के अंत में प्राध्यापक और साहित्यकार डॉ त्रिभुवन ओझा के निधन पर शोक व्यक्त किया गया और दो मिनट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी.
जुगसलाई की संस्था ‘भारत-भारती’ ने करीम सिटी कालेज के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो त्रिभुवन ओझा के निधन पर उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. उदय हयात ने उन्हें सौम्य व्यक्तित्व का एक शालीन साहित्यिक बताया. जगतबंधु सेवासदन पुस्तकालय जुगसलाई के न्यासी उमेश चतुर्वेदी ने डॉ ओझा को एक यशस्वी हिंदी शिक्षक बताया. उन्होंने आगे कहा कि स्व. ओझा पुस्तकालय के कार्यक्रमों में शामिल होते थे और तुलसी जयंती के अवसर पर उनका विशेष वक्तव्य होता था, जिसे लोग बहुत मन से सुनते थे और गुनते भी थे. कैलाश गाजीपुरी ने ओझा से तुलसी भवन में मुलाकात की बात स्वीकारी और उन्हें हिंदी साहित्य का मर्मज्ञ बताया. इस अवसर पर राजेंद्र गोस्वामी, पीयूष राज और अन्य उपस्थित थे.
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