- 20 दिन में तीसरी घटना और सात हाथियों को लील गया बिजली का तार, वन विभाग करता रहा जांच
- जमशेदपुर वन प्रमंडल की लापरवाही और बिजली विभाग के उदासीनता का नतीजा है ऐसी घटना
- ये मौत या हत्या है!
- हाथियों के मौत पर वन विभाग कब तक बहाता रहेगा घड़ियाली आंसू?
सेंट्रल डेस्क, कैंपस बूम.
पूर्वी सिंहभूम में हाई टेंशन कब तक हाथियों की मौत बन कर झूलता रहेगा? कब तक वन विभाग और जिला के पदाधिकारी दुख जाहिर करते हुए इन बेजुबानों की मौत पर श्रद्धांजलि देते रहेंगे और घड़ियाली आंसू बहाएंगे? इन सवालों का जवाब शायद इन पदाधिकारियों के पास नहीं है. पूर्वी सिंहभूम में एक बार फिर से मानक ऊंचाई से नीचे गुजर रहे हाई टेंशन की चपेट में आने से एक साथ पांच हाथियों की मौत हुई है और वन विभाग इस मामले को सामने लाने के बजाए छुपाने में लगा रहा. इस माह में यह तीसरी घटना है और 20 दिन में सात हाथियों की मौत का कारण हाई टेंशन बना है. वन विभाग और बिजली विभाग के संवेदनहीनता की यह पराकाष्ठा है. जिस देश में हाथी महज एक जानवर नहीं बल्कि देव तुल्य माना जाता हो और जो राष्ट्रीय संपत्ती हो, उसके प्रति सुरक्षा की ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं होनी चाहिए.
पूर्वी सिंहभूम जिला के मुसाबनी प्रखंड के ऊपरबांधा स्थित पोटाश जंगल में सोमवार की शाम पांच हाथियों की मौत करंट लगने से हो गई जिसमें दो शिशु भी हैं. मंगलवार की दोपहर जब ग्रामीण जंगल की ओर गए तो उन्हें हाथियों मरे पड़े होने की जानकारी हुई. जमशेदपुर वन प्रमंडल इस मामले को छुपाने में लगा रहा, लेकिन पांच हाथियों की मौत की खब आग की तरह पूरे जिले में फैल गई.
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री स्वयं घटना स्थल पर गए और मामले में जांच के निर्देश दिए हैं. उपायुक्त ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हाई टेंशन तार (30 हजार वोल्ट) की चपेट में आकर पांच हाथियों की मौत हुई है. उन्होंने इस मामले में दुख प्रकट करने के साथ डीवीसी और जेवीएनएल के पदाधिकारियों को तत्काल बिजली के तार को मानक ऊंचाई से नीचे होने को गंभीरता से लेने और ऊपर करने का निर्देश दे दिया है.
20 दिन में तीसरी घटना और सात हाथियों को लील गया बिजली का तार
जिला में पिछले 20 दिन में यह तीसरी घटना है जिसमें बिजली की तार के चपेट में आने से हाथियों की मौत हुई है. इसके पूर्व इसी माह एक नवंबर और दो नवंबर को 24 घंटे के अंदर दो हाथियों की मौत चाकुलिया के जंगल में करंट लगने से हुई थी. बिजली के तार को मानक ऊंचाई से नीचे होने की बात बात बोल जमशेदपुर की डीएफओ ममता प्रियदर्शी ने सारा ठिकरा बिजली विभाग में फोड़ दिया था. आनन फानन में एक टीम बना कर जांच का आदेश भी दे दिया और जांच रिपोर्ट में भी हाथियों की मौत का कारण बिजली के तार को नीचे होना बताया गया. रिपोर्ट में बिजली विभाग को दोषी बताते हुए मुकदमा दर्ज करने की बात कही गई थी. इधर 20 दिन बाद फिर तीसरी घटना हो गई और एक साथ पांच हाथियों की मौत हुई है और फिर से दोषी बिजली विभाग और हाई टेंशन है.
अगर बिजली विभाग दोषी, तो क्यों सोती रहा वन विभाग
हाथियों की मौत पर घड़ियाली आंसू बहाने वाला वन विभाग और जमशेदपुर वन प्रमंडल की डीएफओ ममता प्रियदर्शी करंट लगने से हाथियों की मौत पर हर बार बिजली विभाग को दोषी बताती आई हैं और हर बार जांच करने की बात कहती है. साथ ही वह वन विभाग पर मुकदमा दर्ज करने की बात कहती आई हैं. लेकिन एक मुकदमा प्रमशेदपुर वन प्रमंडल और डीएफओ पर क्यों नहीं होना चाहिए, जिन्होंने बिजली के तार को ऊपर करने के आदेश को कभी फॉलो ही नहीं किया कि तार ऊपर करने का काम शुरु हुआ या नहीं. मालूम हो कि दिसंबर 2022 में जादूगोड़ा में एक हाथी की मौत करंट लगने से हुई थी. उस मामले में राज्य वन विभाग के पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ के माध्यम से पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन और जमशेदपुर वन प्रमंडल डीएफओ के नाम आदेश निर्गत करते हुए बिजली विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर चरणबद्ध तरीके से बिजली के तार को ऊपर कराने का काम शुरू करने और उसकी अदतन रिपोर्ट देने की बात कही गई थी. इस निर्देश पर भी प्रमशेदपुर वन प्रमंडल ने बिजली विभाग को एक चिट्ठी लिखने के अलावा कुछ नहीं किया, वन विभाग ने कभी फाॅलो किया ही नहीं किया तार ऊंचा करने का काम शुरू हुए या नहीं, या काम कितने स्तर तक हुआ है. करंट लगने से हाथियों की मौ पर वन विभाग गंभीर होता, तो शायद ऐसी घटना का दुहराव नहीं होता.
अभी भी झूंड के चार हाथी क्षेत्र में घूम रहे
मुसाबनी के सुरदा पंचायत के मुखिया इसाक बागला ने बताया कि सोमवार शाम छह बजे हाथियों को करंट लगा था. उनके चिहाड़ की आवाज आई थी. इसकी सूचना तत्काल मुखिया ने वन विभाग को दी थी. वन विभाग के पदाधिकारी भी देर शाम पहुंचे थे. लेकिन झूंड के अन्य हाथियों के आसपास होने की जानकारी होने पर डर से कोई जंगल में नहीं गया. मुखिया और ग्रामीणों के अनुसार झूंड के चार हाथी हाथी अब भी क्षेत्र में हैं. उनकी गतिविधि भी देखी गई है.