जमशेदपुर.
किसी भी व्यक्ति, समाज, राज्य और देश की पहचान उसकी भाषा, संस्कृति, रहन सहन से होती है. आदिवासी भाषा, संस्कृति सबसे प्राचीन है. लेकिन इसके समूह की कई प्रजाति, भाषा, उनकी परंपरा विलुप्त होती जा रही है. आदिवासी संस्कृति को लेकर छात्रा चंद्रिका गोप चिंतित है और अपनी लेख के माध्यम से इस बात को मजबूती से रखते हुए आज के युवाओं को जागरूक करने का काम कर रही है. चंद्रिका ने अपने इस लेख में जहां आदिवासी संस्कृति की स्थिति चिंता जाहिर की है, वहीं आज के युवाओं द्वारा अपनी ही संस्कृति सभ्यता से दूर होने और मूल पहचान को छुपाने को गलत बताया है. चंद्रिका ने खुद को लेकर भी अफसोस जताया है कि आज तक वो अपनी भाषा संस्कृति के लिए कुछ नहीं कर पायी. चंद्रिका के माध्यम से ही यह प्रण ली है कि वह अपनी एक अपनी भाषा को सीखेगी और लोगों को भी इसके लिए जागरूक करेगी. कैंपस बूम के कैंपस इवेंट में आज के इस अंक में चंद्रिका के लेख के साथ उनकी दो पेंटिंग को भी लिया गया है. बहुत ही खूबसूरत पेंटिंग चंद्रिका ने बनायी है.
पढ़िए चंद्रिका गोप का यह लेख, किस तरह कई उदाहरणों से उन्होंने भाषा, संस्कृति की स्थिति को सामने रखा है.
NAME- CHANDRIKA GOPE
CLASS- 12 D
SCHOOL- VIVEK VIDYALAYA, CHHOTA GOVINDPUR, JAMSHEDPUR