- कैंपस समर इवेंट 2025 प्रतियोगिता के इस के अंक में पढ़िए विद्या भारती चिन्मय विद्यालय, के 9बी की छात्रा कृति कुमारी की यह कविता.
- कृति की यह कविता हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही है
कृति कुमारी, विद्या भारती चिन्मय विद्यालय
समय है, बदला है, बदलेगा
मन ये विचलित क्यों है
क्यों मन में है भय भरा
कल बीता, आज भी बीतेगा
समय है, बदला है, बदलेगा ।
आंखों में संकोच झलकता
मन में है अविश्वास पनपता
मन में है अविश्वास पनपता
गिरा है तू, गिरकर उठेगा
संभलेगा, आगे बढ़ेगा ।
एक दिन में कुछ न होगा
पर एक दिन, कुछ तो होगा
रख विश्वास स्वयं पर, तू कर लेगा
समय है, बदला है, बदलेगा ।
न थकना है, न रुकना है
जी जान लगाकर लड़ना है
कम आंक ना तू स्वयं को
कर अडिग तू अपने मन को ।
हो अटल तू
हो प्रबल तू
कल बीता , आज भी बीतेगा
समय है, बदला है, बदलेगा ।