- एक्सएलआरआइ में तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस का हुआ समापन, 117 पेपर प्रस्तुत हुए
जमशेदपुर.
एक्सएलआरआइ में डॉक्टोरल कोलोक्वियम का आयोजन किया गया. तीन दिवसीय इस कोलोक्वियम में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड सस्टेनेबिलिटी विषय पर देश व दुनिया के विभिन्न हिस्से के विद्वानों ने पेपर प्रेजेंट किया. भारत समेत नेपाल, ओमान, स्पेन और यूके के कुल 117 पेपर जमा किए गये. जिसमें रिव्यू के बाद अंतिम रूप से कुल 62 पेपर प्रस्तुत हुआ. इसमें 19 डॉक्टोरल स्कॉलर एक्सएलआरआइ के जबकि अन्य 43 स्कॉलर देश व दुनिया के विभिन्न यूनिवर्सिटी व शिक्षण संस्थानों के थे. इस दौरान अंतिम रूप से बेहतर पेपर प्रस्तुत करने वाले रिसर्चरों को पुरस्कृत किया गया. आठ से 10 अप्रैल तक चले इस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत एक्सएलआरआइ के डायरेक्टर फादर एस जॉर्ज, डीन एकेडमिक्स प्रो. संजय पात्रो, डीन फाइनांस फादर डोनाल्ड डिसिल्वा समेत अन्य ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.
इस अवसर पर एक्सएलआरआइ के डायरेक्टर फादर सबेस्टियन जॉर्ज एसजे ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी. वर्तमान बजट में सरकार ने फिफ्थ जनरेशन टेक्नोलॉजी स्टार्ट अप के लिये 480 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3-डी प्रिंटिंग और ब्लॉक चेन शामिल हैं.
इसके अलावा सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, बिग डाटा इंटेलिजेंस, रियल टाइम डाटा और क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, मानव संसाधन और कौशल विकास को बढ़ावा देने के योजना बना रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर एक मिथक है कि इससे नौकरी के अवसर कम होंगे, लेकिन ऐसी बात बिल्कुल नहीं है. कहा कि इससे रोजगार पर किसी प्रकार का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि इससे ह्यूमन लाइफ काफी आसान हो जाएगी. उन्होंने एआइ से आने वाले दिनों में काफी चुनौतियां निकल कर सामने आने की बातों को भी रखा. वहीं, फादर डोनाल्ड डिसिल्वा एस.जे. ने तनाव से बचने के लिए काम और स्व-निवेश को संतुलित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.
डॉ. संजय पात्रो ने सार्थक अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को तेजी से उभरने वाला क्षेत्र बताया. उन्होंने उद्योग से एआई के विभिन्न उपयोग के मामलों और इसकी आवश्यकता के उदाहरण साझा किए. एकेडमिक लेखों में उनके उपयोग के निहितार्थ का अध्ययन करने का आह्वान किया. मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन के प्रोवीसी प्रो. मधु वीर राघवन ने शीर्ष पत्रिकाओं को लक्षित करने के तरीकों के बारे में बताया. उन्होंने व्यक्तिगत अनुभवों का जिक्र किया. तीन दिवसीय इस डॉक्टोरल कोलोक्वियम में अंतिम रूप से बेहतर पेपर प्रेजेंट करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया
इन्हें मिला पुरस्कार
ट्रैक- विजेता
- मार्केटिंग- कुमार रोहित ( आइआइएम विशाखापट्टनम )
- फाइनांस – मानिक चंद्रा डे ( फारिक मोहन यूनिवर्सिटी, बालासोर )
- ऑपरेशंस – सौमिता घोष ( एक्सएलआरआइ जमशेदपुर )
- ह्यूमन रिसोर्स एंड ऑर्गनाइजेशन बिहेवियर – साई नवीन ( श्री सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग )
- स्ट्रेटेजी – स्वाति अग्रवाल ( एक्सएलआरआइ जमशेदपुर )
- सस्टेनेबिलिटी एंड पॉलिसी – ऋषिका राज ( आइआइटी खड़गपुर )
- इंटरप्रेनोयिरशिप – केवल राममानी ( दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आगरा )