- इंटर में दाखिला को लेकर अब तक उहापोह की स्थिति, डिग्री कॉलेजों ने की दाखिला की तैयारी, लेकिन दिशा निर्देश का इंतजार
- जिले में सरकारी 29 प्लस टू स्कूल, 11 इंटर कॉलेज, अगर 18 अल्पसंख्यक स्कूलों को इंटर के लिए स्थापना अनुमति मिले, तो डिग्री कॉलेज का कम हो सकता है दबाव
- जमशेदपुर शहरी क्षेत्र में पांच प्लस टू स्कूल
- झारखंड बोर्ड के साथ आईसीएससी व सीबीएसई बोर्ड के परिणाम जारी हो चुके है
- दाखिला लेने के इंतजार में जिले के 21 हजार जैक बोर्ड से 10वीं पास विद्यार्थी
जमशेदपुर.
नई शिक्षा नीति के नियमों के तहत डिग्री कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई को बंद करना है. 2022 में जारी इस निर्देश के बाद उच्च शिक्षा विभाग हो या माध्यमिक शिक्षा निदेशालय किसी ने आगे की कार्रवाई को समय रहते पूरा नहीं किया है. नतीजा है कि सभी बोर्ड के 10वीं का परिणाम भी जारी हो गये, लेकिन डिग्री कॉलेज में संचालित इंटर कॉलेज में दाखिला आरंभ नहीं हो सकता है. विद्यार्थी इंटर में दाखिला लेकर आगे की पढ़ाई करने के लिए उत्साहित है. कॉलेज दाखिला लेने के लिए पूरी तैयारी भी कर चुके हैं, लेकिन शिक्षा विभाग से स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं होने के कारण वे भी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं. दूसरी ओर स्थानीय यानी जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इंटर के मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के मार्ग दर्शन का इंतजार कर रहे है. यहां इंतजार इंतजार का खेल चल रहा है और विद्यार्थी खुद के भविष्य को लेकर चिंतित है कि यही स्थिति रही तो कक्षाएं वक्त पर शुरू नहीं होगी और सत्र विलंब हो जायेगा. को-ऑपरेटिव कॉलेज, एबीएम कॉलेज, एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्यो ने कहा कि वे तैयारी में हैं, लेकिन शिक्षा विभाग के दिशा निर्देश का इंतजार है. वहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी निर्मला बरेलिया ने कहा कि विभागीय निदेशक के मार्गदर्शन का इंतजार है.
अब तक नहीं हुई मैपिंग
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में सभी अंगीभूत महाविद्यालयों जहां इंटरमीडिएट की पढ़ाई का संचालन किया जा रहा है उन सभी महाविद्यालयों के आस-पास के सरकारी / गैर सरकारी 10+2 स्कूलों के साथ मैपिंग किया जाने की बात वर्ष 2022 के दिसंबर में हुई राज्य सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की बैठक में निर्देश दिया गया था. मैपिंग में संबंधित स्कूलों में आधारभूत संरचना, शिक्षकों की संख्या एवं छात्रों के लिए रिक्त सीटों से संबंधित सूचनाओं को शामिल करने की बात कही गयी थी. यह भी कहा गया था कि महाविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2023-24 से शत-प्रतिशत इंटरमीडिएट का पठन-पाठन नहीं किया जायेगा.
दूसरे कॉलम का हो पालन तो लिया जा सकता है इस वर्ष दाखिला
जिन अंगीभूत महाविद्यालयों का 10+2 स्कूलों के साथ मैपिंग करने में कठिनाई हो सकती है उन महाविद्यालयों में आगामी 03 वर्षों में इंटरमीडिएट स्तर पर नामांकन की संख्या को कम करते हुए Phase-out होने के लिए कार्य योजना तैयार किया जाना है. यानी मैपिंग होने तक एडमिशन तो लेना है, लेकिन उसे धीरे धीरे बंद करने की ओर बढ़ना है. अगर इस कॉलम के निर्देश का भी पालन हो तो, इस वर्ष दाखिला लिया जा सकता है.
शहरी क्षेत्र जमशेदपुर की स्थिति ज्यादा खराब
पूर्वी सिंहभूम जिला में इस बार 21 हजार से ज्यादा विद्यार्थी मैट्रिक की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं. अगर सरकारी प्लस टू स्कूल व इंटर कॉलेजों की संख्या व उनका स्थान देखे तो आश्चर्य होगा. जिले में सरकारी 29 प्लस टू स्कूल और 11 इंटर कॉलेज हैं. लेकिन इसमें मात्र पांच प्लस स्कूल शहरी क्षेत्र में हैं. ऐसे में एक प्लस स्कूल में 600 सीट भी निर्धारित किया जाता है, तो महज तीन हजार विद्यार्थियों का ही दाखिला हो पायेगा. दूसरी ओर यह सभी पांच स्कूल भी शहर के बीच में ही है. साकची, बिष्टुपुर, कदमा, बर्मामांइस और सीताराडेरा में है. बारीडीह, बिरसानगर, टेल्को, एरिया में नहीं है. वहीं शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र जो पूरी तरह से ही शहर का हिस्सा हैं इसमें बागबेड़ा, करनडीह, गोविंदपुर (रहरगोड़ा, बारीगोड़ा), हुरलूंग एक बड़ा ग्रामीण एरिया है जो बिल्कुल शहर से सटा हुआ है. इन क्षेत्र में न तो सरकारी प्लस स्कूल है और न ही इंटर कॉलेज (कुछ प्राइवेट इंटर कॉलेज) है. ऐसे में इन क्षेत्रों के हिंदी माध्यम सरकारी स्कूलों से पढ़ कर निकलने वाले विद्यार्थी कहां दाखिला, उनके सामने असमंजस की स्थिति है.
पूर्वी सिंहभूम जिला शिक्षा पदाधिकारी निर्मला बरेलिया ने कहा कि जिला में 18 अल्पसंख्यक विद्यालय भी है अगर वहां इंटर की पढ़ाई के लिए स्थापना अनुमति दे दी जाती है, तो सभी संख्या को मौका मिल सकता है. उन्होंने कहा कि प्लस स्कूल, इंटर कॉलेज की संख्या 40 है और इन 18 स्कूलों में भी इंटर की पढ़ाई शुरू होती है, तो हमारी संख्या 58 हो जायेगी. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियां का दाखिला लिया जा सकेगा.
मानगो जैसी बड़ी आबादी वाले क्षेत्र में एक भी प्लस टू या इंटर कॉलेज नहीं
मानगो शहरी क्षेत्र है. यहां एक बड़ी आबादी है. इस क्षेत्र से भी प्रत्येक वर्ष एक हजार से ज्यादा बच्चे जैक बोर्ड से मैट्रिक पास करते हैं और स्थानीय वर्कस कॉलेज में इंटर में दाखिला लेते हैं या पारडीह स्थित एक निजी इंटर कॉलेज में दाखिला लेते हैं. ऐसे में एक मात्र वर्कर्स कॉलेज में भी इंटर की पढ़ाई बंद हो जायेगी तो बच्चे जायेंगे कहा?
एबीएम, ग्रेजुएट और को-ऑपरेटिव कॉलेज बड़ा सहारा, एलबीएसएम पर पूरे एरिया का भार
एबीएम कॉलेज, जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज, ग्रेजुएट कॉलेज, अंगीभूत कॉलेज है. ये सभी कॉलेज शहरी आबादी के इंटर के विद्यार्थियों का पूरा भार उठाते हैं. एबीएम और को-ऑपरेटिव कॉलेज में बिरसानगर, टेल्को, हुरलूंग, गोविंदपुर, रहरगोड़ा, घोड़ाबांधा जैसे क्षेत्र के हजारों विद्यार्थी मैट्रिक के बाद इंटर में दाखिला के लिए इन कॉलेजों में जाते है.
शहरी छात्राओं के लिए बड़ी समस्या
सबसे बड़ी बात है कि जमशेदपुर महिला विवि ने इंटर में दाखिला को बंद कर दिया है. ऐसे में शहरी लड़कियों के लिए एक मात्र ग्रेजुएट कॉलेज ही बता है. अगर वहां भी इंटर की पढ़ाई बंद कर दी जायेगी, तो ये शहरी बच्चियां जिन्हें इंटर में दाखिला लेना है वह कहां जाएंगी. बिष्टुपुर स्थित जमशेदपुर बालिका प्लस टू स्कूल को क्या इन दोनों कॉलेजों के इंटर के सीट का कोटा मिल पाएगा? अगर सीट मिलता भी है, तो क्या सारी व्यवस्था दिया जा सकेगा? यह बड़े सवाल है.