“अनकही” पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर द्वारा स्वरचित कहानी और कविताओं का उत्सव
जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित कैफ़े रिगल में एक जादुई माहौल देखने को मिला, जब पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर ने अपनी पहली चयनित कविताओं और कहानियों को शो के रूप में प्रस्तुत किया। “अनकही” एक ऐसा कार्यक्रम जिसमें 100 से अधिक लोग शामिल हुए और शब्दों, भावनाओं व अभिव्यक्ति के उत्सव में भाग लिया।
जनवरी 2025 में श्रेण्या सोनी द्वारा शुरू किया गया पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर कुछ ही महीनों में एक समावेशी और सशक्त साहित्यिक समुदाय में बदल चुका है। यह मंच हर उम्र, भाषा और पृष्ठभूमि के लेखकों, कवियों और कहानीकारों का स्वागत करता है, उन्हें लिखने और बोलने के लिए प्रेरित करता है, मंच प्रदान करता है और प्रोत्साहित भी करता है।
पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर, पोएट्स ऑफ़ कम्युनिटी का हिस्सा है। यह एक राष्ट्रीय काव्य आंदोलन है जिसकी शुरुआत 2018 में रवि विश्वकर्मा और अभिषेक शर्मा ने की थी। आज यह पहल देश के 14 शहरों में फैल चुकी है और हज़ारों लोगों को मंच प्रदान कर रही है।
अनकही जमशेदपुर में अपने तरह का पहला आयोजन है जिसमें समुदाय से चुने गए 10 कलाकारों ने मंच साझा किया। हर कलाकार ने अपनी विशिष्ट शैली और कहानी के माध्यम से व्यक्तिगत अनुभव, सांस्कृतिक विचार और काव्यात्मक दृष्टिकोण साझा किया।
इस शाम के विशेष प्रस्तुतकर्ता रहे:
अक्षित पांडेय, एंड्रिया वॉटकिन्स, ह्रिद्यांश राज, निशांत सिंह, रिया बांका, मनीष कुमार, राशी सेनगुप्ता, मोंद्रिता चटर्जी, विद्याशंकर विद्यार्थी, और तसनीम-ए-गुल जिनकी सशक्त प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
इस अनुभव को और भी गहराई देने का काम आदर्श दुबे ने किया, जिन्होंने संपूर्ण कार्यक्रम के दौरान अपनी जादुई आवाज़ से शाम को संगीतमय बना दिया। कार्यक्रम का समापन भी गीतों के साथ हुआ, जिसने संगीतमय वातावरण और कविताओं के संगम को और भी भावपूर्ण बना दिया।
Poets Of Jamshedpur: युवा कवियों का एक ऐसा मंच जो हर उम्र के रचनाकारों को दे रहा अनोखा अवसर
अनकही एक सपना था जो साकार हुआ। एक ऐसा मंच जहाँ अनकही आवाज़ें सुनी गईं। जब इतने लोग एक साथ आए, जुड़े और एक-दूसरे की कहानियों से खुद को जोड़ा, वो दृश्य अविस्मरणीय था,”। श्रेण्या सोनी, संस्थापक, पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर
यह सफलता पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर की मूल टीम के बिना संभव नहीं थी:
ऋतिका, आलोक, शंकर, प्रेम, कल्याणी, शुभ्र, रोशन, प्राची, ऋषव, अमन, निशी, चंदू, और मानस— जिन्होंने इस संपूर्ण आयोजन को साकार करने में अहम भूमिका निभाई। यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था। यह एक आंदोलन था। ऐसा आंदोलन जो आम लोगों की आवाज़ों को ऊपर उठाने, समुदाय से जोड़ने और शहर में एक जीवंत साहित्यिक संस्कृति की नींव रखने के लिए रचा गया है।
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