- ये श्रद्धांजलि बेमानी है
- पूर्वी सिंहभूम में डेढ़ साल में करंट लगने से पांच हाथियों की जा चुकी है जान
- वन विभाग हर बार करता है जांच की बात, बिजली विभाग को तार ऊंचा करने के लिए लिखी जाती है चिट्ठी
- हाथियों की मौत पर अधिकारियों का गहरा शोक प्रकट करना और जांच की बात, सब बेईमानी
- अगर बिजली विभाग दोषी, तो क्यों नहीं उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा रह वन विभाग
- भाजपा नेता अंकित आनंद ने एक्स (ट्वीट) के माध्यम से मुख्यमंत्री से जांच ओर कार्रवाई की मांग की
सेंट्रल डेस्क, कैंपस बूम.
पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया में पिछले चौबीस घंटे में दो हाथियों की मौत करंट लगने से हो गई. मरने वाली दोनों मादा हाथी हैं. इस बार भी मौत की दोषी बिजली के तार को ठहराया गया है. हालांकि इसकी पुख्ता पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद की जाएगी. हाथियों के मौत मामले मे नियम विरुद्ध 14 मीटर से कम ऊंचाई से गुजर रहे हाई टेंशन को दोषी बताते हुए पूर्वी सिंहभूम जमशेदपुर प्रमंडल की वन पदाधिकारी ममता प्रियदर्शी ने बिजली विभाग को सख्त चिट्ठी लिखने और टीम बना कर जांच करने का आश्वासन पूर्व की तरह दे दिया है. मालूम हो कि वर्ष 2022 के 13 दिसंबर को एक नर हाथी की मौत करंट लगने से हो गई थी. वहीं घाटशिला और चाकुलिया में वर्ष 2022 के शुरूआत में दो हाथियों की मौत करंट लगने से हुई थी. यानी करीब डेढ़ साल में बिजली के तारों ने पांच हाथियों की जान ले ली है. और हर बार अधिकारी एक ही बयान देते आ रहे हैं कि बिजली के तार खेतों में नियम विरुद्ध नीचे से गुजर रहे है. तो सवाल यह उठता है कि इन हाथियों की मौत या यूं कहे कि इनकी हत्या का दोषी कौन है? क्या महज हर बार बिजली का तार नीचे है इसकी जांच कराई जाएगी बिजली विभाग को चिट्ठी लिखी जाएगी, बयान जारी करने भर से सब ठीक हो जाएगा! हाथियों के लिए प्रसिद्ध और संरक्षित दलमा इसी पूर्वी सिंहभूम है. लेकिल यहां के पदाधिकारी, जिम्मेदार हाथियों को लेकर गंभीर या संवेदनशील नहीं है. संवेदनशील होते तो यह स्थिति नहीं होती.
सुनिए क्या बोल रही हैं, डीएफओ ममता प्रियदर्शी
प्रयास गंभीर थे, तो बिजली विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं करता वन विभाग
अगर वाकई में वन विभाग ने बिजली के तार को ऊंचा करने के लिए चिट्ठी लिखने के अलावा उसे उचित तरीके से फॉलोअप किया है और अपनी तर्त्पता, गंभीरता दिखाई है, तो ऐसे में बिजली विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहिए. तब तो ऐसे में यह हाथी की मौत नहीं, इसे हत्या कही जानी चाहिए.
पिछले वर्ष ही पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने बिजली के तारों को ऊंचा करने का दिये थे निर्देश :
13 दिसंबर 2022 को जादूगोड़ा के गुरूआ में खेत में फसल खाने आए हाथी की करंट लगने से हुई मौत मामले में वन विभाग के तत्कालीन पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने गंभीरता से लिया था और पूर्वी सिंहभूम वन विभाग, जमशेदपुर प्रमंडल को पत्राचार कर स्थानीय बिजली विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन से सामंजस्य बनाते हुए बिजली के तार को ऊंचा कराने को सुनिश्चित कराने और इसकी अदतन रिपोर्ट देने की बात कही थी. पत्र में साफ लिखा गया था कि हाथियों के विचरण, मूवमेंट, संवेदनशील वाले स्थान को चिन्हित वहां के बिजली के तारों को प्राथमिकता के तौर पर लेते हुए तत्काल ऊंचा कराने काम किया जाए. बावजूद इसके स्थानीय अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया नतीजा सामने है.
जानकारी के बावजूद, किए गए प्रसास भी सवाल खड़ा करता है
चाकुलिया के माचाडीह में हुई हथिनी की मौत ने कई सवाल खड़ा कर दिया है. क्योंकि उसी क्षेत्र में बुधवार को एक हथिनी की मौत करंट लगने से होने की बात कही गई है. गुरुवार को जिस हथिनी की मौत हुई है उसके संबंध में भी यह बताया गया है कि उसे भी करंट लगा था. अचेत अवस्था में उसके विचरण करने की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दी गई थी. वन विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय रेंजर और वन रक्षियों ने हाथी के लिए पानी और खाने की व्यवस्था की थी. करंट लगने से अचेत स्थिति में हथिनी की सूचना पर महज पानी और खाने की व्यवस्था करना कितना वैज्ञानिक है इसे समझा जा सकता है. उस हथिनी को सख्त इलाज की जरूरत थी. यह प्रयास भी सवाल खड़ा करता है कि करंट लगे हाथी को किस तरह की व्यवस्था, सुरक्षा और इलाज की जरूरत है, क्या इसके लिए कोई प्रशिक्षित नहीं है?
अचेत घूमती रही हथिनी, बस मरने का इंतजार करते रहे रक्षक
हाथियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिनके ऊपर हैं वे एक अप्रशिक्षित आम व्यक्ति की तरह करंट लगे हथिनी को तड़पता, अचेत अवस्था में देखते रहे. उसके इलाज के लिए उचित व्यवस्था नहीं की गई. एक मादा हाथी दो अक्टूबर की सुबह खेत में मृत स्थिति में मिली. वहीं दूसरे मादा हाथी की मौत गुरुवार यानी 3 अक्टूबर को हो गई. उसे भी करंट के झटके लगे थे. अचेत अवस्था में कई घंटों तक खेत और सड़क पर घूमती हुई दिखाई दी थी. अचेत अवस्था में घूम रही हथिनी का स्थानीय लोगों ने वीडियो बनाया है जिसमें वह सड़क पर बाइक को पलटते हुई दिखाई दे रही है, लेकिन उसकी स्थिति इतनी खराब थी कि उसे पतला दस्त हो रहा था. उसके कुछ देर बाद ही उसे मृत अवस्था में पाया गया. इसकी पूरी जानकारी वन विभाग की टीम को थी, लेकिन वन विभाग के पदाधिकारियों ने तो बस हाथियों का कब्र बनाने की जिम्मेदारी उठाली है. एक मादा हाथी को दफनाने के दौरान ही इस बात की पुष्टि हो चुकी थी कि अन्य कुछ हाथियों को करंट लगने की आशंका है. लेकिन खोजबीन या जानने की जहमत अधिकारियों ने नहीं उठाई. एक को दफनाने के बाद बस जैसे दूसरे के मरने के इंतजार में और उसे भी दफनाने की तैयारी के लिए चैन की नींद सो गए.
भाजपा नेता अंकित आनंद ने एक्स (ट्वीट) के माध्यम से मुख्यमंत्री से जांच ओर कार्रवाई की मांग की