- मामला मुसाबनी के पोटाश जंगल में करंट लगने से एक साथ पांच हाथियों की मौत का
सेंट्रल डेस्क, कैंपस बूम.
पूर्वी सिंहभूम जो हाथियों के संरक्षण के लिए घोषित और प्रमाणित किया गया है उसी की धरती इन बेजुबानों का कब्रिस्तान बनता जा रहा है. 20 दिन में सात हाथियों की मौत हाई टेंशन की चपेट में आने से हो गई. पिछले डेढ़ साल का आंकड़ा देखे तो अकेले पूर्वी सिंहभूम (चाकुलिया, जादूगोड़ा, मुसाबनी) में 11 हाथियों की मौत हाई टेंशन की चपेट में आने और करंट लगने से हुई है. हर बार एक ही बात सामने आती है कि तार मानक ऊंचाई से नीचे से झूल रहा है, जिसके कारण हाथी मूवमेंट के दौरान तार की चपेट में आ जा रहे हैं और करंट के शिकार हो रहे हैं. लेकिन यह बहाना आखिर कब तक चलेगा? हाथियों के मौत के बाद पोस्टमार्टम, दफनाने का की प्रक्रिया और उसके बाद फूल माला चढ़ा कर श्रद्धांजलि और पीपल के पेड़ लगाकर सारी रश्मअदायगी पूरी कर दी जाती है. अगर तार नीचे है और वन विभाग को इसकी जानकारी है तो लगातार इसको लेकर फॉलोअप क्यों नहीं किया गया? क्यों महज पत्राचार के भरोसे हाथियों की सुरक्षा को छोड़ दिया गया. वन विभाग की जमीन से होकर अगर बिजली के तार, हाइ टेंशन गुजरता है और जहां से वन्य जीवों का आवागमन होता है तो वो क्षेत्र संवेदनशील की श्रेणी में आता है. नियमतः ऐसे मामले में हर माह या एक निश्चित अवधि में वन विभाग और बिजली विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की संयुक्त मीटिंग होनी चाहिए जिसमे बिजली के तार, हाइ टेंशन की वर्तमान स्थिति पर चर्चा और सुधार जरुरत के मुद्दे की बात होती है. लेकिन पूर्वी सिंहभूम में बिजली और वन विभाग इसको लेकर आज तक न तो संयुक्त कमेटी का गठन किया और न ही बैठक किया गया.
बुधवार को भी मुसाबनी में मृत हाथियों के शव को दफनाने के बाद श्रद्धांजलि दी गई और पीपल का पौधा लगाया गया. मौके पर डीएफओ जमशेदपुर प्रमंडल ममता प्रियदर्शी, एसडीओ घाटशिला सत्यवीर रजक, रेंजर दिग्विजय सिंह, विमद कुमार, वन रक्षी, स्थानीय पुलिस व सैकड़ों की संख्या ग्रामीण मौजूद रहे. शवों को दफनाने के बाद डीएफओ और अन्य पदाधिकारियों ने समाधी पर पुष्प अर्पित किया और अगरबत्ती दिखाकर हाथ जोड़ा. अधिकारियों का यूं हाथ जोड़ना उनके अपराध और दोष को कम नहीं कर देगा, जिन्होंने इस क्षेत्र को हाथियों का कब्रिस्तान बना दिया और अब घड़ियाली आंसू बहा रहे हो. इन हाथियों के मौत का दोषी वन विभाग हो या बिजली विभाग, गजराज उन्हें माफ नहीं करेंगे. हर बार हाथ जोड़ लेने, फूल चढ़ा देने और मृत हाथियों की याद में पीपल लगा देने से क्या मृत हाथियों को वापस लाया जा सकता है. एक जानवर की मौत का मामला नहीं है बल्कि जिनके जिम्मे उनकी सुरक्षा, ऐसी घटना उन जिम्मेदारों की संवेदनहीनता को दर्शाता है.