स्वेता, सेंट लुइस (यूएसए)
पता है आज सबके पास सबकुछ है
लेकिन फिर भी
खुशियों की तलाश में भटक रहे हैं सभी……..
क्योंकि भाई ने भाई का साथ छोड़ दिया
बहनों ने बहनों का हाथ छोड़ दिया
हर कोई जी रहा अपने आप में
तन्हा है, भीड़ के बाजार में,
अवसाद लिए मुस्कुराने की
कलाकारी कर रहे सभी,
परिवार नाम की संस्था का
इंतकाल कर दिया
पैसा- पैसा,करते- करते
रिश्तों का व्यापार कर दिया
बचपन में जो बेबाक हंसा करते थे
एक- दूजे के सुख- दुख में
जो रहा करते थे
न जाने किस जानवर ने इंसानों के
इंसानियत का शिकार कर लिया…
पूजा करते राम- कृष्ण की
पर रावण-कंस जैसा
विचार बना लिया
नहीं मांगते अपनापन किसी से
केवल मांगते धन हैं,
ज्ञान भरी बातें
करते तो आजकल सब हैं,
लेकिन, जो इन बातों को
अमल में ला पाया है
सच पूछो तो दुनिया में
केवल वही इंसान बन पाया है.