क्लीन एयर झारखंड को लेकर मंथन में शामिल हुए विभिन्न संगठन के प्रतिनिधि, शहर में स्वच्छ वायु के माहौल को लेकर सभी ने रखे अपने विचार
संस्था असर सोशल इंपैक्ट और आदर्श सेवा संस्थान ने आयोजित किया विचार गोष्ठी
जमशेदपुर.
जमशेदपुर शहर की आबोहवा ठीक नहीं है. जल (आबो) स्रोतों में नदियों के प्रदूषण को तो हम अपनी आंखों से देख रहे हैं. इसको लेकर कई संगठन आवाज भी उठाते रहे हैं. लेकिन क्लीन सिटी ग्रीन सिटी वाले इस शहर की हवा भी स्वच्छ नहीं है. यहां की हवा में व्याप्त धूल कण कहीं न कहीं हमारे अस्वस्थ होने का कारण है. आप जानकर आश्चर्य करेंगे कि सुंदर और आकर्षक दिखने वाले इस शहर की हवा अलग अलग कारणों से शत प्रतिशत प्रदूषित है जिसके हम सभी जिम्मेदार है. एक आंकड़े के मुताबिक जमशेदपुर की हवा के प्रदूषित होने के जो मुख्य कारण है उसमें औदयोगिक क्षेत्र का हिस्सा सबसे ज्यादा 26 प्रतिशत है, वहीं दूसरा बड़ा कारण परिवहन यानी सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां और उनसे निकलने वाले जहरीले धूल का हिस्सा 23 प्रतिशत है. वहीं सड़क व सड़क किनारे के धूल 15 प्रतिशत हिस्से के साथ जिम्मेदार है. इसी तरह घर में खाना पकाने के अलग अलग साधन छह प्रतिशत, कचरा जलाने से तीन प्रतिशत, डीजी सेट (डिजीटल जनरेटर) तीन प्रतिशत जिम्मेदार है जबकि ईट भट्टे से दो प्रतिशत वायु प्रदूषित हो रही है. शहर के हवा को प्रदूषित होने में अन्य 22 प्रतिशत हिस्से को बाहरी स्रोत बताया गया है. यह भी बताया गया कि जमशेदपुर में दो मैनुअल मॉनिटर हैं, लेकिन शहर में कोई सतत परिवेश वायु गुणवत्ता मॉनिटर नहीं है. ऐसा हम बिल्कुल नहीं बोल रहे है. यह सारी बातें आज बिष्टुपुर के होटल बुलेवर्ड में आयोजित क्लीन एयर झारखंड के परिचर्चा के दौरान सामने आयी.
क्लीन एयर झारखंड एक मुहिम है जो संस्था असर सोशल इंपैक्ट के द्वारा झारखंड के रांची, धनबाद व जमशेदपुर के लिए शुरू की गयी है. राज्य के ये तीन शहर देश के 131 शहरों में शामिल है जिनकी हवा प्रदूषित है और जिसके सुधार के काम करने की जरूरत है. इसको लेकर वर्ष 2019 में राष्ट्रीय स्तर से योजना बनायी गयी है. यह जानकारी असर संस्था की अंकिता ज्योति ने कार्यक्रम के दौरान दी.
आयोजित परिचर्चा में जमशेदपुर प्रमंडल की डीएफओ ममता प्रियदर्शी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुई. वहीं प्रभात खबर के स्थानीय संपादक संजय मिश्रा वक्ता के रूप में शामिल हुए. साथ ही मंच पर सीएसआईआर एलएमएल की चीफ साइंटिस्ट डॉ मीता तरफदार, समाजसेवी व विभिन्न संगठनों से जुड़ी अंजली बोस, आरएन चौबे और रॉनी डीकोस्टा उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन लक्खी दास ने किया. सभी वक्ताओं ने वायु प्रदूषण, उसके प्रभाव व उसे कम करने पर अपने अपने विचार को प्रस्तुत किया. जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में उपस्थित थे, उन्होंने शहर में वायु प्रदूषण और उसे दूर करने के लिए तैयार किये गये मास्टर प्लान को स्लाइड के माध्यम से दिखाया और उसकी प्रगति की जानकारी भी दी. कार्यक्रम में विभिन्न संगठन से आये और सोशल एक्टिविस्ट ने अपने विचार रखे और प्रदूषण व उसे रोकने के नाम पर चल रहे खेल को लेकर टाटा स्टील, जेएनएसी को भी आड़े हाथ लिया. साथ सभी ने कई जरूरी सुझाव भी दिये.
कार्यक्रम में विषय प्रवेश करते महिला कल्याण समिति की डॉ निर्मला शुक्ला ने देश दुनिया व जमशेदपुर में प्रदूषण की समस्या व उसके लिए किये जा रहे कार्य, योजना को विस्तार से बताया. उन्होंने कई बिंदुओं को गहराई से छूते हुए कहा कि अगर हम सचेत नहीं हुए तो 2050 तक हमें एक और पृथ्वी की जरूरत पड़ेगी या मंगल ग्रह पर जमीन लेना होगा. बातों को साकारात्मक मोड़ पर ले जाते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य हमेशा से समस्या का समाधान ढूंढ़ निकाला है और इसके भी समाधान निकल जाएंगे बस जरूरत है सभी को पहल करने की और सचेत रहने की.
मिशन लाइफ और सस्टेनेबल लाइफ स्टाइल को अपनाना होगा : डीएफओ ममता प्रियदर्शी
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जमशेदपुर प्रमंडल की डीएफओ ममता प्रियदर्शी शामिल हुई. उन्होंने कहा कि मिशन लाइफ और सस्टेनेबल लाइफ स्टाइल को अपनाना होगा. इस बात से उनका तात्पर्य था कि हमें जीने के लिए उन्हीं चीजों को अपनाना होगा जो पर्यावरण को हानि न पहुंचाते हों. क्योंकि पर्यावरण प्रभावित होगा, तो मानव जीवन व पृथ्वी का पूरा जीवन चक्र प्रभावित होगा. इसका प्रभाव अभी से दिख रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि हम सभी ऐसे वर्ग से आते हैं जो इसको लेकर अवेयर तो हैं लेकिन गलतियां भी हमारी ओर से होती है. जानते हैं वायु प्रदूषण का कारण क्या है, लेकिन अपनी जिम्मेदारी भूल जाते हैं. उन्होंने मौजूद लोगों को जिम्मेदारी का अहसास कराते हुए कहा कि एक पेड़, पौधे अधिकांश लोग लगाते हैं, लेकिन उसके बाद भूल जाते हैं. उन्होंने कहा कि पौधा लगाने के साथ उसके संरक्षण पर बात करनी होगी. उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि इसी पर्यारवरण दिवस से यह शुरूआत करें और पौधा लगाकर उसका अपने संतान की तरह पालन पोषण करें. उन्होंने एक यूनिक आइडिया देते हुए कहा कि एक पौधे के साथ फोटो वाली एलबम भी तैयार करें. हर साल पौधे लगाये और उसके साथ अपनी एक तस्वीर का संग्रह तैयार करे. कुछ साल बाद वह तस्वीर ही नहीं बड़े हो चुके पेड़ भी सुकुन देंगे और यह बताएंगे कि हमने पर्यावरण संरक्षण अपनी भूमिका अदा की. विषय पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शहर की वायु प्रदूषित है इसके लिए कौन जिम्मेदार है इसपर चर्चा करते हुए उसे दूर करने में सार्थक पहल होनी चाहिए. उन्होंने अपने और विभागीय सहयोग करने की बात कही.
पढ़े ये पूरी रिपोर्ट, जाने वायु प्रदूषण का हाल और क्या है कार्य योजना (उपलब्ध कराई गयी सूचना )
भारत सरकार ने देश के प्रदूषित शहरों में वायु गुणवता में सुधार के लिए 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की शुरुआत की. यह एक पंचवर्षीय कार्य योजना है, जिसे आगे चलकर 20-25 वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है. 2017 को आधार वर्ष रखते हुए 2024 तक पीएम2.5 और पीएम 10 की सघनता में 20% से 30% तक की कमी का लक्ष्य रखा गया है.
एनसीएपी के तहत, 131 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार का लक्ष्य है. इन 131 शहरों में से 123 शहरों का चयन एनसीएपी के तहत इस कारण किया गया क्योंकि पांच वर्षो से लगातार इनकी वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों ( एनएएक्यूएस) के अनुरूप नहीं थी. इसके अलावा, 15वें वित्त आयोग द्वारा पहचान किए गए दस लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों (एमपीसी) को भी इस कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है. कुल 42 एमपीसी में से 34 शहर एनसीएपी के तहत आते हैं. धनबाद, रांची और जमशेदपुर झारखंड के ये 3 शहर एनसीएपी और मिलियन प्लस शहरों के अंतर्गत हैं.
एनसीएपी के तहत, शहरों को प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए अपनी शहर स्तरीय स्वच्छ वायु योजना (सीएपी) तैयार करने और इसे लागू करने को कहा गया था. पूरे भारत के सभी 131 शहरों ने सीएपी विकसित कर लिए हैं जो कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं.
स्वच्छ वायु कार्य योजना (सीएएपी) का लक्ष्य परिवहन, उद्योग, धूल, अपशिष्ट और बायोमास के इस्तेमाल जैसे क्षेत्रों सहित अन्य स्रोतों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के उपायों की पहचान कर वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना है. सीएएपी में स्वच्छ हवा से संबंधित नियमन, नीति और कार्यक्रम शामिल होते हैं.
एनसीएपी के तहत विषय-केंद्रित संवाद और स्वच्छ वायु कार्य योजना के सुचारू समन्वय और कार्यान्वयन को सुगम बनाने के लिए संस्थागत ढांचा भी विकसित किया गया है. इसके अलावा, कार्यों के कार्यान्वयन की समय-समय पर समीक्षा के लिए 3-स्तरीय निगरानी व्यवस्था तैयार की गई है. इसमें राज्य स्तर पर दो समितियाँ शामिल हैं- मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संचालन समिति और पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति इसके अलावा नगर आयुक्त की अध्यक्षता में नगर कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है.
शहर की कार्य योजना के कार्यान्वयन की वास्तविक और वित्तीय स्थिति पर नजर रखने और इसके अनुश्रवण के लिए एवं लोगों के बीच वायु गुणवता संबंधी जानकारी के प्रचार-प्रसार के लिए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 2021 में पीआरएएनए पोर्टल (पोर्टल फॉर रेगुलेशन ऑफ एयर पॉल्यूशन इन नॉन-अटैनमेंट सीटीज) की शुरुआत की थी. एक प्रमुख पहल के रूप में, सरकार ने राष्ट्रीय मिशन, “सभी के लिए स्वच्छ हवा” की घोषणा की है और 2026 तक एनसीएपी के तहत आच्छादित शहरों में पार्टिकुलेट मैटर की सघनता में 40% की कमी का नया बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है.
जमशेदपुर की स्वच्छ वायु कार्य योजना
एनसीएपी में तय व्यवस्था के तहत, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वर्ष 2021 में जमशेदपुर के लिए एक प्रारंभिक कार्य योजना तैयार की गई थी. शहर का माइक्रो एक्शन प्लान सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है. शहर में उत्सर्जन करने वाले प्रदूषण के निम्नलिखित स्रोत हैं: औदयोगिक क्षेत्र (26%), परिवहन (23%), सड़क की धूल (15%), घर में खाना पकाने के साधन (6%), कचरा जलाना (3%), डीजी सेट (3%), ईट भट्टे (2%), बाहरी स्रोत (22%). जमशेदपुर में 2 मैनुअल मॉनिटर हैं, लेकिन शहर में कोई सतत परिवेश वायु गुणवत्ता मॉनिटर नहीं है. योजना के तहत 6 प्रमुख श्रेणियों में कुल 102 विशिष्ट कार्यों का उल्लेख किया गया है.
वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए अधिकतम एक्शन पॉइंट्स निर्धारित किए गए हैं, इसके बाद सड़क की धूल और विनिर्माण व विध्वंस अपशिष्ट, पब्लिक आउटरीच औद्योगिक उत्सर्जन से संबंधित एक्शन पॉइंट्स हैं. कार्य योजना के उपायों को लागू करने की जिम्मेदारी कई सरकारी विभागों की है.
102 उपायों को लागू करने के लिए जिम्मेदार एजेंसियां हैं: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग, जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पीआरडी, परिवहन विभाग, शहरी स्थानीय निकाय, मानगो (जेयूए), जुगसलाई (जेयूए)) और ट्रैफिक पुलिस. स्थानीय शहरी निकाय को अधिकतम जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसके बाद जेएसपीसीबी, परिवहन विभाग और जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी) को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं.