- पलामू टाइगर रिजर्व और बंगाल की टीम लगी, लेकिन पांचवें दिन भी हाथ नहीं आया तेंदुआ
- इधर सरायकेला खरसावां एसपी ने फेक और दूसरी जगह का वीडियो वायरल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है, वैसे ग्रुप की पहचान भी की जा रही है
जमशेदपुर.
गम्हरिया में आए तेंदुआ के संदर्भ में कैंपस बूम से वन्य जीव प्राणी विषय पर काम करने वाले सुबोध मिश्रा ने बताया कि अगर तेंदुआ किसी कमरे या एक स्थान या किसी चहारदीवारी में नहीं है, और वह घूम रहा है, तो बचाव दल को पिंजरा लगाना चाहिए. तेंदुआ के सामने नहीं दिखने की हालत में डार्ट गन का इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है. ऐसे भी डार्ट गन (बेहोशी इंजेक्शन देने वाला हथियार) का इस्तेमाल कोई प्रशिक्षित एक्सपर्ट ही कर सकता है. क्योंकि उसमें बेहोशी की दवा जानवर की प्रकृति और उसके वजन के अनुसार दिया जाता है. सुबोध मिश्रा ने बताया कि तेंदुआ छूपने में काफी माहिर होता है. यह शहर व आवासीय क्षेत्र में भी प्रवेश कर सकता है. इसलिए उसके मुवमेंट वाले क्षेत्र में पिंजरा लगाना चाहिए. पिंजरे में उसके शिकार करने की व्यवस्था हो, जिसे वह खाने के लिए आए और पकड़ा जाए.
कुत्तों के अस्वभाविक भोंकने पर रखनी चाहिए नजर
बचाव दल में सभी एक्सपर्ट होते हैं. यह बाते आम लोगों के लिए है. सुबोध मिश्रा ने बताया कि कुत्ता तेंदुआ का सबसे आसान शिकार होता है. कुत्तों का झूंड नाली व कचरे के पास जहां उन्हें खाने के लिए कुछ मिला पाए वहां होता है. तेंदुआ यह जानता है, इसलिए वह भी शिकार के लिए उसी स्थान के आसपास अपनी गतिविधि रखेगा. वहीं कुत्तों की अस्वभाविक भोंकने पर भी लोगों को ध्यान देने की जरूरत है. यह भी देखना चाहिए कि क्षेत्र में आवारा कुत्ते गायब तो नहीं हो रहे हैं, अगर ऐसा है, तो तेंदुआ आसपास ही घूम रहा है. तेंदुआ एक रात में 25 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी तय कर सकता है. वहीं वह अपने माहौल के अनुसार छिपने में सबसे ज्यादा माहिर होता है.
2022 में लकड़बग्घा को नहीं पकड़ पाई थी टीम, ब्रिज से नीचे गिर कर हो गई थी मौत
जमशेदपुर के टेल्को कॉलोनी में वर्ष 2022 के इसी मार्च में लकड़बग्घा के होने की सूचना को पहले वन विभाग ने झूठा बताया था. लेकिन जब हर दिन लकड़बग्घा अपना मूवमेंट अलग अलग क्षेत्र में करता रहा, तो वन विभाग ने बचाव दल लगाया. लेकिन बचाव दल तो एक दिन भी लकड़बग्घा को देख भी नहीं पायी थी, आखिरकार 15 दिनों बाद वह टाटानगर रेलवे ओवर ब्रिज नीचे मरे हुए स्थिति में पाया गया था. बाद में स्थानीय और वन विभाग के लोगों ने बताया था कि बर्मामाइंस क्षेत्र में लकड़बग्घा को देख बच्चों ने उसे कुत्ता समझा, लेकिन उसके अजीब शरीर को देख बच्चों ने उसे मारने के लिए दौड़ाया था, उसी दौरान लकड़बग्घा भागते हुए ओवर ब्रिज से कूद गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी. लोगों को उम्मीद है कि तेंदुआ सुरक्षित पकड़ा जाए और लोग भी सुरक्षित रहे.
पीटीआर की टीम ने संभाला मोर्चा
सरायकेला खरसावां जिला के गम्हरिया में आया तेंदुआ अब तक रेस्क्यू टीम के हाथ नहीं लगा है. रविवार सुबह 9.30 बजे गम्हरिया के आरएसबी कंपनी में दिखा तेंदुआ पूरे क्षेत्र में अब आतंक का कारण बन गया है. आसपास के स्कूलों में छूट्टी दे दी गई है. प्रशासन ने लोगों से अनावश्यक घर से बाहर नहीं निकलने की अपील की है. शाम के बाद भी घर में ही रहने की नसीहत दी गई है. इधर लगातार पांचवें दिन तेंदुआ की मौजूदगी और उसके पकड़ में नहीं आने से सभी की चिंता बढ़ गई है.
छोटा गम्हरिया के बाल्मीकी नगर में गुरुवार को तेंदुआ के पाव के निशान कई जगह पर मिले हैं. तेंदुआ को पकड़ने के लिए स्थानीय वन विभाग की टीम के अलावा पश्चिम बंगाल से विशेष रेस्क्यू टीम पिछले पांच दिन से लगी है. हालांकि क्षेत्र के लोगों ने रेस्क्यू टीम की गैर तकनीक गतिविधि से असंतोष जाहिर किया है. चार दिनों तक रेस्क्यू टीम में ऐसे लोग शामिल थे जो अब तक महज हाथियों को भगाने का काम किये हैं. पांचवें दिन गुरुवार देर रात पलामू टाइगर रिजर्व से वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ की टीम आई है. उम्मीद है यह टीम अपनी तकनीक से तेंदुआ को पकड़ने में सफल होगी.
फेक वीडियो वायरल करने पर होगी कार्रवाई
तेंदुआ के होने और पकड़ने जाने को लेकर दर्जनों फेक वीडियो (दूसरी जगह के) को अलग अलग वाट्सएप ग्रुप में भेजा जा रहा है. इससे बचाव दल को काफी परेशानी हो रही है. कई वीडियो उन्हें सही लगने लग रही है. इसको देखते हुए सरायकेला जिला के एसपी ने कड़ा कदम उठाया है, उन्होंने प्रेसवार्ता कर कहा है कि तेंदुआ से संबंधित कोई भी बगैर पुष्टि के वीडियो वायरल करता तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. सभी वाट्सएप ग्रुप पर नजर रखी जा रही है.