डॉ मधु शर्मा, मनोवैज्ञानिक.
बोर्ड एग्जाम आते ही स्टूडेंट क्या पेरेंट्स भी काफी तनाव से गुजरने लगते हैं. विद्यार्थियों को परीक्षा में बेहतर करने का टेंशन तो माता-पिता को बच्चों के अच्छे प्रदर्शन की चिंता सताने लगती है. परीक्षा के दौरान विद्यार्थी और अभिभावकों को करना चाहिए और कैसे वे तनाव मुक्त रह सकते है? इसी पर आधारित मनोवैज्ञानिक डॉ मधु शर्मा का ये लेख पढ़े.
बोर्ड परीक्षा आने को है और सभी विद्यार्थीयो क़ो तनाव होने लगे है लेकिन तनाव मे नहीं आना है, परीक्षा बोर्ड की हो या किसी औऱ क्लास की हो, या प्रतियोगी परीक्षा हो परीक्षा के नाम से ही तनाव शुरू हो जाता है. लेकिन तनाव कैसा ? अगर गाड़ी चलाना आता है तो गाड़ी से घबराहट क्यों ! उसी तरह तैरना आता है तो पानी से डर क्यों!
पढ़ना आता है तो डर कैसा
हमे पढ़ना आता है तो परीक्षा से डर कैसा? तो हमे परीक्षा से डरना नहीं है डर को हराना है और परीक्षा मे जीत हासिल करनी है. आज कल सभी माता-पिता को ये लगता है कि हम अपने बच्चों को बहुत आगे लेकर जाये जिसके कारण बच्चे तनाव मे रहते है और माता – पिता भी तनाव मे रहते है. बच्चे पर उतना प्रेशर नहीं बनाना चाहिए कि बच्चे का मन खराब हो जाए.
दूसरे बच्चों से तुलना न करें अभिभावक
माता – पिता से आग्रह है की अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करे। हर बच्चा अपने आप मे जीनियस होता है। तुलना करने से बच्चे के मन मे ईर्ष्या का भाव होने लगता है, जब ईर्ष्या का बीज किसी के मन मे बो दिया जाता तो वह आगे चलकर विषैला पेड़ बन जाता है. प्रतिस्पर्धा दूसरों से नहीं खुद से करे. अगर दोस्त अच्छा है तो उनसे सीखने का प्रयास करे और अपना अनुभव शेयर करे. नियमित रूप से व्यायाम भी करें क्योंकि स्वस्थ्य शरीर के लिए स्वस्थ्य मन का होना जरूरी है.
कारण:-
- ज्यादा अंक लाने का दबाव
- नकारात्मक माहौल
- ज्यादा मोबाइल देखना
- समय का सदुपयोग न करना
- पढा हुआ रिविजन करना
- एक दूसरे से तुलना करना
- निवारण :-
- पर्याप्त नींद ले
- साकारात्मक माहौल मे रहना
- पढ़ा हुआ लिखकर अभ्यास करना
*शिक्षक और विधार्थी मे फ्रेंडली रिलेशनशिप का होना - नियमित व्यायाम करना
- खुश रहना
- समय का प्रबंधन