- कहीं यह गम्हरिया-जमशेदपुर में देखा गया गायब हुए तेंदए की खाल तो नहीं!
- चाईबासा के दो व्यक्ति भी थे तस्करी में शामिल, गिरफ्तार
- तस्कर के सिंडिकेट का पता लगाने वन विभाग की टीम पलामू रवाना
- वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल बोर्ड से मिली थी तेंदुए की खाल की तस्करी की गुप्त सूचना
- जमशेदपुर वन प्रमंडल के नेतृत्व में तस्कर से हुई डील पकड़े गए तस्कर
Central Desk, Campus Boom.
जमशेदपुर से बड़ी खबर सामने आयी है. जमशेदपुर वन प्रमंडल ने साकची के आम बागान क्षेत्र से तेंदुए की खाल की तस्करी कर रहे एक व्यक्ति समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. तेंदुए की खाल की बिक्री 1.5 करोड़ रुपए में तय हुई थी. इस मामले में सोनारी पुलिस की मदद से वन विभाग की टीम ने सोनारी में रहने वाले अशोक विश्वकर्मा नाम के व्यक्ति को तेंदुए के पूर्ण खाल के साथ गिरफ्तार तब गिरफ्तार किया जब वह उसकी बिक्री करने के लिए आया था. वन विभाग की टीम गुप्त सूचना के आधार पर खरीदार बन कर मौके पर पहुंची और तस्कर को धरदबोचा. आरोपी अशोक विश्वकर्मा ने पूछताछ के बाद अन्य दो तस्करों का नाम बताया जिन्हें चाईबासा से गिरफ्तार किया गया है. चाईबासा से गिरफ्तार होने वाले आरोपियों में साम कुजूर और पिंटू कुजूर नाम के व्यक्ति का नाम शामिल है. जमशेदपुर वन प्रमंडल डीएफओ सबा आलम के निर्देश पर मानगो रेंज ऑफिस दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में टीम का गठन कर तस्करों को पकड़ा गया है. टीम अभी इस मामले में आराेपियों से पूछताछ कर रही है. तस्करी के पूरे सिंडिकेट को पता लगाने की कोशिश की जा रही है. आरोपियों ने पूछताछ में इस खाल को छह साल पुराना बताया है, लेकिन इसकी फॉरेंसिक जांच के बाद ही तेंदुए की आयु, और खाल कब निकाला गया है यह पता चल पाएगा. फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट इस केस से कई बड़े राज को उठा सकती है. क्योंकि इस साल के मार्च में गम्हरिया-जमशेदपुर में तेंदुआ देखा गया था, जो अचानक गायब भी हो गया. अब यह खाल उसी तेंदुआ का है या किसी और का, यह जवाब तो वन विभाग के अधिकारी जांच के बाद ही दे पाएंगे.
गुप्त सूचना पर वन विभाग ने तस्कर को खरीदार बन कर पहुंची, और मिली सफलता
टीम का नेतृत्व कर रहे वन अधिकारी दिग्विजय सिंह ने बताया कि तेंदुए के खाल की तस्करी की गुप्त सूचना प्राप्त हुई थी. यह सूचना वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल बोर्ड से मिली थी. यह बताया गया था कि सोनारी का व्यक्ति तेंदुए का खाल रखा है जो उसकी बिक्री करने के लिए लगा हुआ है. वन विभाग की टीम मामले को गोपनीय रखते हुए एक टीम बना कर उक्त तस्कर से खरीदार बन कर डील करना शुरू की. डील 1.5 करोड़ रुपए में फाइनल हुई थी.
चाईबासा के दोनों तस्कर से अशोक को मिला था खाल
अशोक विश्वकर्मा ने पूछताछ में बताया कि उसे यह खाल चाईबासा के रहने वाले साम कुजूर और पिंटू कुजूर ने दिया था. वहीं साम कुजूर और पिंटू कुजूर ने पूछताछ में बताया कि वे इसे पलामू से लेकर आए है. इस पूरी टीम में तस्करों का पड़ा सिंडिकेट काम कर रहा है, जो तस्करी के धंधे को संचालित कर रहा है. मालूम हो कि पलामू टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र है जहां तेंदुओं की संख्या भी है. अब ये तेंदुआ का खाल पलामू जंगल के हैं या कहीं और से लाए गए हैं. इसकी जांच में विभाग जुट गया है.
कहीं यह गम्हरिया-जमशेदपुर में देखा गया गायब हुए तेंदुआ का खाल तो नहीं!
जमशेदपुर से तेंदुए की खाल का मिलना, तस्करों का पकड़ा जाना कई बड़े सवाल खड़ा करता है. मालूम हो कि इसी वर्ष 17 मार्च को आदित्यपुर-गम्हरिया के औद्योगिक क्षेत्र में देखा गया था. दो दिनों तक वन विभाग के टीम को छकाने के बाद वह अचानक गायब हो गया था. टीम लगातार उसकी खोज करती रही, लेकिन वह कहीं नहीं मिला. वहीं 10 दिन बाद जमशेदपुर के कदमा स्थित बायो डायवर्सिटी पार्क में तेंदुआ देखे जाने की बात सामने आई थी. सारी जांच पड़ताल के बाद वन विभाग ने पुष्टि करते हुए तेंदुआ होने की जानकारी साझा करते हुए अलर्ट भी जारी कर दिया था. लेकिन वहां भी तेंदुआ नहीं पकड़ में आया. तेंदुआ पकड़ में नहीं आने के बाद हद तो तब हो गई जब जमशेदपुर वन प्रमंडल यह कह दिया कि कदमा के बायो डायवर्सिटी में तेंदुआ देखे जाने की बात अफवाह थी. सवाल उस समय भी यह था कि आखिर गम्हरिया में देखा गया तेंदुआ जमशेदपुर में नहीं आया, तो वह कहां गया? गायब कैसे हो गया. वन विभाग ने न तो इस संबंध में स्पष्ट जानकारी साझा की और न ही किसी ने सवाल किया. अब ऐसे में इसी क्षेत्र से तेंदुआ की खाल का मिलना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है.
फारेंसिक जांच से उठेगा पर्दा
जमशेदपुर से बरामद तेंदुए की खाल कब और किस तेंदुए की है इसकी सच्चाई तो फॉरेंसिक जांच के बाद ही सामने आयेगी. फॉरेंसिक जांच के बाद ही तेंदुए की आयु, और खाल कब निकाला गया है यह पता चल पाएगा. फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट इस केस से कई बड़े राज को उठा सकता है. क्योंकि इस साल के मार्च में गम्हरिया में तेंदुआ देखा गया था, जो अचानक गायब भी हो गया. जमशेदपुर में भी उसके दिखनी बात सामने आई थी. हालांकि जमशेदपुर में तेंदुआ दिखने की खबर को वन विभाग ने खुद की पुष्टि की थी और बाद में झुठलाते हुए कहा था कि तेंदुआ देखे जाने की बात गलत थी. अब ऐसे में तेंदुआ
टाटानगर से 2022 में करोड़ों के सांप, मकड़ी और बिच्छू के साथ पकड़ी गई थी महिआ
वन्य जीव हो या उनकी खाल, तस्करी का जमशेदपुर से कोई बड़ा कनेक्शन है. तेंदुए की खाल के जब्त होने और तस्कर के पकड़े जाने के पूर्व भी यहां वन्य जीवों की तस्करी का मामला सामने आ चूका है. वर्ष 2022 के नवंबर में टाटानगर रेलवे स्टेशन से एक महिला को सांप, बिच्छू, प्रतिबंधित विदेशी मकड़ी के साथ पकड़ा गया था. टाटानगर आरपीएफ की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर 12875 नीलाचल एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे से पुणे निवासी महिला तस्कर देवी चंद्रा (52 वर्ष) को पकड़ा. इसके पास से विदेशी नस्ल के 28 सांप, 12 गिरगिट, 300 मकड़ी और आठ सिंग वाले कीड़े जब्त किए. अंतराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करोड़ों रुपये के बताई गई थी. लेकिन इस मामले में भी आगे की कार्रवाई का अब तक कोई खुलासा नहीं किया गया.