डॉ. पुरुषोत्तम कुमार
ऐसा क्यों होता है?
भारत के इस वृहत खंड में
राजनीति करने वाले
कलुषित मानसिकता लेकर ही
सदा सफल क्यों हो जाते हैं?
तुष्टिकरण की नीति चलाकर
भारत में बसने वाले
असंख्य हिंदू की बलि चढ़ा कर
सत्ता पर काबिज होते हैं।
जातिगत जनगणना की
बात चलाने वाले नेता
समरसता के ताने-बाने को
छिन्न-भिन्न करने वाले हैं।
सनातन वैदिक परंपराएं
विश्व को पोषित करती हैं
अखिल विश्व अपना घर है
वसुधैव कुटुंबकम कहती हैं।
सत्ता के लोलुप चंद लोग
चिकनी चुपड़ी बातें करके
हिंदू- हिंदू के बीच दरारें
गहरी पैदा करने वाले हैं।
भारत में रहने वाला
हर भारतवासी हिंदू है
मिटा सको तो मिटा गरीबी
देखें! बाजू में कितना बल है।
कृष्ण राम की यह धरती
बुद्ध महावीर की पावन स्थली
तुच्छ राजनीति करने वाले
नफरत सदा पैदा करते हैं।
जाग गए भारतवासी
खंड खंड जो गैंग यहां है
राजनीतिक गलियारे से
सबका पत्ता साफ यहां है।
धन्य भाग्य भारत की जनता
अब विवेक में जीती है
अपनों से लड़कर इसने
अब तक पीड़ा ही पाई है।
संतो की यह पवित्र भूमि है
जात-पात का भेद नहीं है
रविदास के चरणों में
मीरा ने शिक्षा पाई है।
अंबेडकर जैसी महान विभूति
किस घर में पलकर बड़ी हुई
कौन उनकी थी हृदय प्रिया
देश कितना उनका ऋणी है।
रामायण, वेद और उपनिषद
मानवता का पाठ पढ़ाते हैं
शबरी माता का अमर प्रेम
प्रभु राम जहां से पाते हैं।
राजनीति के तावे पर
अब देश नहीं जलने वाला है
धर्म ग्रंथों की निंदा से
जन मानस नहीं बंटने वाला है।
भारत मां के हम पुत्र सभी
दुष्चक्र न रच कोई धूर्त कभी
देश प्रेम की वीणा को
झंकार नया मिलने वाला है।
डॉ पुरुषोत्तम कुमार सीएसआईआर एनएमएम बर्मामाइंस में वरिष्ठ हिंदी अधिकारी (चयन ग्रेड) सह एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं.