- जमशेदपुर सिटीजन फोरम के अध्यक्ष, उद्यमी एवं परामर्शी एके श्रीवास्तव ने इस लेख से अर्पित की रतन टाटा को श्रद्धांजलि
जमशेदपुर.
भारत का अनमोल रतन आज हमसे खो गया. इसकी क्षतिपूर्ति होने की उम्मीद कम है. वैसे भारतवर्ष में बहुत उद्योगपति हुए हैं, बहुत धन कमाए हैं लेकिन यश और समाज सेवा के प्रतीक के रूप में रतन टाटा ही जाने जाते हैं. रतन टाटा ने विदेश से आर्किटेक्ट की पढ़ाई कर टाटा स्टील ज्वाइन किया. उन्होंने जमशेदपुर के दो मकान का आर्किटेक्ट की प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए नक्शा बनाया. लगता है जो नक्शा बनाने की भावना उनके मन में आई थी जब उनको ज़िम्मेदारी मिली तो उसी रास्ते पर टाटा समूह को ले गाए. शुरुआत में तो उनका परफॉर्मेंस बहुत अच्छा नहीं रहा लेकिन साहसी व्यक्ति थे, नवयुवक थे उन्होंने हार नहीं मानी और जब उनको बड़ी जिम्मेदारी मिली तो पूरे जिम्मेदाराना के साथ उसको निभाया. टाटा समूह का उत्पादन, उत्पादकता एवं मुनाफा 50 गुना बढ़ गया.
टाटा समूह की जितनी इकाइयां है वह टाटा सांस के अधीन चलती है वैसे टाटा समूह का दो ट्रस्ट है एक रतन टाटा ट्रस्ट, एक सर दोराबजी ट्रस्ट. टाटा संस में दोनों ट्रस्टों का करीब 52 प्रतिशत पूंजी लगा हुआ है और उस पूंजी से जितना मुनाफा होता है उसका तकरीबन 60 से 65 प्रतिशत समाज सेवा में, जरूरतमंदों की सेवा में, शिक्षण संस्थानों को, स्वास्थ्य, सफाई, महामारी, भूकंप, आपातकालीन स्थिति इत्यादि में खर्च होता है.
रतन टाटा 1991 से लेकर के 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष थे. 2012 में उन्होंने पद छोड़ दिया लेकिन टाटा संस के अध्यक्ष रहे और दोनों ट्रस्ट के ट्रस्टी भी रहे. अतः मुनाफे पर उनका अधिकार था और मुनाफा का ज्यादातर हिस्सा उन्होंने समाज सेवा में खर्च किया. इसलिए आजकल कहीं भी उद्योगपति के नाम का जिक्र करिए जो स्थान, जो मान सम्मान रतन टाटा को मिलता है और भविष्य में भी मिलेगा उसकी तुलना हम किसी अन्य उद्योगपति से नहीं कर सकते हैं. शिक्षण संस्थाएं जैसे टाटा फंडामेंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, टाटा इंस्टीट्यूट आफ साइंस, बीमारी को लीजिए तो टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल असम में, झारखंड में, कोलकाता में और अन्य मशहूर शहरों में कैंसर हॉस्पिटल या उसके जांच उसका रखरखाव की उत्तम व्यवस्था रतन टाटा ने की.
याद करिए 2021 का कोरोना काल. उसमें व्यक्तिगत रूप से और टाटा समूह की ओर से जितना खर्च जितना दवा में, खाने-पीने में, सेवा में, टाटा समूह ने किया विशेष रूप से रतन टाटा ने किया. उसका दूसरा उदाहरण कहीं नहीं है. ताज होटल में टेररिस्ट अटैक हुआ था तो ताज होटल में जितने व्यक्ति मरे, उनके एंप्लॉई को जो घाटा हुआ उसकी भरपाई, उनके बच्चों की पढ़ाई, उनके देखभाल सारा जिम्मा रतन टाटा ने उठाया और टाटा समूह ने उठाया. आज भी ताज होटल अपने पुराने स्मृति में जगमगाते हुए खड़ा है.
किसी राज्य में महामारी हो, बाढ़ आ जाए, सुखार हो, टाटा संस,टाटा एवम ट्रस्ट के पदाधिकारी की तुरंत तैनाती होती है. जहां-जहां चेचक, मलेरिया का प्रकोप हुआ है उसके रोकथाम के लिए बहुत ही धमाकेदार तरीके से कंपेन चलाया गया और उस इलाके को मुक्त कराया गया.
टाटा संस का ब्रांड अभी दुनिया में सबसे आगे है. अगर आप उत्पादन, उत्पादकता, अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में मूल्य का निर्धारण या गुणात्मक उत्पाद चाहते हैं तो टाटा पर भरोसा करिए एवम टाटा समूह पर भरोसा करिए. टाटा समूह सुई से लेकर हवाई जहाज, नमक से लेकर चाय पत्ती तक बनाती है. अपने खानों में लगे हुए मजदूरों की, श्रमिकों की, देखभाल खास कर महिला समूह , बुजुर्ग का ध्यान रखती है अभी तो टाटा स्टील के खदानों में बड़ी-बड़ी ट्रक महिलाएं चलती है, दिव्यांगों की सेवा करती है, ट्रांसजेंडर को बहाली भी कि जाती है. मुझे ऐसा लगता है टाटा ने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि 2030 तक आधा एम्पलाई महिलाएं होगी. बुजुर्गों का ख्याल एवम नवयुवकों को ट्रेनिंग, सेफ्टी सुरक्षा में प्राथमिकता यह टाटा समूह का उद्देश्य है और अगर इसके जिम्मेदार, इसका दायित्व का क्रेडिट एक व्यक्ति को जाता है वह है रतन टाटा. आज रतन टाटा हमारे बीच नहीं रहे उनके दर्शन करने की जितनी भीड़ उमड़ी है जिस मान और सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा उसके लिए हम मोदी सरकार एवं महाराष्ट्र के सरकार को बहुत बधाई देते हैं आभार प्रकट करते हैं. यहां तक की जमशेदपुर झारखंड में भी एक दिन का शौक है. टाटा के अधिकार क्षेत्र में जितनी सड़के हैं, साफ पानी है, रोगों का रोकथाम करने का उपाय है, श्रमिकों की सुविधा है, उनका प्रशिक्षण है, उनका वेतन में बढ़ोतरी है, उनको सारी सुविधाएं दे जाती है यह हम नहीं बोलते हैं, नहीं कहते हैं कि ऐसा इंतजाम और कहीं नहीं हो सकता है लेकिन मुझे पता नहीं है कि ऐसा कहीं इंतजाम है. पिछले दफा 2021 में रतन टाटा जी जमशेदपुर आए थे मैं उनसे व्यक्तिगत रूप से मिला था और उनके शब्द याद है कि अब हम कब टाटा आएंगे. आज दिन में 12:00 से लेकर के संध्या तक सेंटर आफ एक्सीलेंस में उनको श्रद्धांजलि देने के लिए टाटा समूह के पदाधिकारीयो का, जमशेदपुर की जनता का, तमाम उद्यमी और व्यवसाययों कि भीड़ लगी थी इससे पता चलता है टाटा समूह पर, टाटा ट्रस्ट पर प्रत्येक व्यक्ति ट्रस्ट करता है. भरोसे से ही भरोसा होता है.
मुझे याद है सितंबर 2001 में सीआईआई की एक महत्वपूर्ण बैठक मुंबई में हुई थी. रतन टाटा बैठक में तो नहीं आए थे लेकिन व्यक्तिगत रूप से तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से मिले थे और झारखंड के विकास पर चर्चा भी किए थे. खासकर जमशेदपुर में हवाई अड्डा की सुविधा एवं चाकुलिया में उपलब्ध हवाई पट्टी के माध्यम से झारखंड के व्यक्तियों को हवाई जहाज चलाने की ट्रेनिंग के संबंध में बात किए थे. टाटा लीज और टाटा शहर में आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता उनकी देन है. जब कभी भी आप जुबली पार्क में जाइए तो जेएन टाटा जी ने जो अपने आदर्श लिखे हैं उसका मूल मंत्र है अगर स्मारक चाहते हैं तो देखिए चारों ओर और इस वाक्य को सर दोराबजी, जे आर डी टाटा, रतन टाटा, वर्तमान अध्यक्ष और टाटा समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर अपनी पूरी क्षमता के अनुसार इस उद्देश्य को पूरा करने में लगे हुए हैं.
मैं अपनी ओर से, जमशेदपुर के नागरिकों की ओर से, व्यवसाईयों की ओर से, उद्यमियों की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. एके श्रीवास्तव