- जमशेदपुर से महज 110 किलोमीटर दूरी पर स्थित है रामतीर्थ
- टाटानगर स्टेशन से बादाम पहाड़ होते हुए सड़क मार्ग और रेल मार्ग से पहुंचा जा सकता है
- अक्टूबर से जुलाई तक है अच्छा समय
मयूरभंज/जमशेदपुर.
राम महज नाम नहीं, एक भगवान नहीं, बल्कि राम एक आस्था है विश्वास है और संकट को हर लेने का नाम है. श्रीराम अपने जीवन में त्याग, तपस्या और संस्कारों के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम कहे गए. आज भगवान राम की चर्चा पूरे विश्व पटल पर फिर से एक बार खूब हो रही है. वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद प्रभु राम को उनका घर मिलने वाला है, अयोध्या में उनका भव्य मंदिर बन कर तैयार हो गया है जिसका उदघाटन 22 जनवरी को विश्व स्तरीय आयोजन की तरह होने जा रहा है. अब जब अयोध्या में अपने घर में प्रभु राम विराजमान हो रहे हैं, तो पूरे देश में उनसे संबंधित कहानी, किवंदिती, पौराणिक स्थानों की खोज और उसके दर्शन की जिज्ञासा लोगों में बढ़ रही है. हमारी टीम पूर्वी सिंहभूम से सटे ओड़िशाा राज्य के मयूरभंज जिला के जशीपुर के रामतीर्थ नाम से प्रसिद्ध स्थान पर पहुंची, जिसका संबंध त्रेता युग में हुए घटना क्रम से है या यूं कहें उसका सीधा संबंध प्रभु राम, माता सीता से है. मयूरभंज से लौट कर विकास श्रीवास्तव की रिपोर्ट
लोक विश्वास के अनुसार रामतीर्थ से प्रसिद्ध इस स्थान पर भगवान राम के इस क्षेत्र में आने के प्रमाण हैं. जमशेदपुर से महज 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह रामतीर्थ स्थान प्रकृति की गोद में सिमिलिपाल के जंगल में बसा है. खैरी नदी के एक एक चट्टान प्रभु राम और माता सीता के यहां से गुजरने और ठहरने को प्रमाणित करते हैं.
मयूरंभंज वन विभाग के मगरमच्छ संरक्षित और अनुसंधान केंद्र के अधिन रामतीर्थ स्थान है. नदी किनारे स्थित शिलाओं पर एक ऐसा स्थान है जिसे देखने से ऐसा प्रतित होता है कि वहां कोई व्यक्ति बैठकर उठा हो, जैसे बालू या मिट्टी वाले स्थान पर बैठने के निशान हो जाते हैं उसी तरह चट्टान पर निशान है. उसके कुछ ही दूरी पर पैर के निशान है जिसका आकार आम व्यक्ति के पैरे से बड़ा है, लेकिन हू ब हू पैर के निशान जैसा है. किवंदिती है कि इस क्षेत्र में प्रभु राम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां से गुजरे थे. उसी दौरान खैरी नदी के किनारे बैठकर विश्राम किये थे. किवंदिती यह भी है कि विश्राम के दौरान प्रभु राम और माता सीता ने यहां से बहती नदी के जल से अपना हाथ पैर धोया था.
पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है रामतीर्थ
रामतीर्थ सिमिलिपाल नेशनल पार्क का क्षेत्र है. इसलिए कहा जाता है कि यह सिमलिपाल नेशनल पार्क के पैरों के नीचे है. यह मयूरभंज जिले का एकमात्र मगरमच्छ पालन केंद्र है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है. मयूरभंज जिला एब बड़े प्राकृतिक संसाधनों और उत्कृष्टताओं से भरा हुआ है, जो हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है. 1979 में, ओडिशा सरकार ने सबसे पहले सिमिलिपाल जंगल की नदियों में मगरमच्छों को पालने की योजना बनाई. जिसके लिए तमिलनाडु क्रोकोडाइल बैंक से 115 मगरमच्छ के बच्चे लाए गए थे. 1984 से 1987 के बीच 1517 नग. मगरमच्छ के अंडे एकत्र कर लिए गए हैं. 1988 को नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क, भुवनेश्वर से 12 बच्चे मगरमच्छ लाए गए थे. मयूरभंज के रामतीर्थ में रखे गए मगरमच्छ बहुत ही असाधारण प्रकार के हैं. जिसे ‘मग्गर क्रोकोडाइल्स’ (क्रोकोडायलस पलुस्ट्रिस) कहा जाता है. ‘मग्गर’ एक अपभ्रंश शब्द है, जो संस्कृत शब्द ‘मकारा’ से बना है जिसका अर्थ है ‘जल राक्षस’.
बन रहा है राम मंदिर
खैरी नदी के जिन चट्टानों पर प्रभु राम के बैठने और पैरों ले निशान है ठीक उसके दूसरी छोर पर एक शिव मंदिर है, जिसे करीब 30-40 वर्ष पुराना बताया जाता है. वर्तमान में उसके बगल में प्रभु राम का मंदिर और उनके भक्त हनुमान जी की विशाल प्रतिमा का निर्माण जोरों पर है.
मकर सक्रांत पर लगता है मेला
हर साल मकर संक्रांति (जनवरी के मध्य) पर महंत लोग तुसुमेलाना त्योहार यानी टुसु परब मनाते हैं. यहां मेला का भी आयोजन होता है. स्थानीयों के साथ दूर दराज के लोग भी यहां लगने वाले मेला में पहुंचते हैं.
ऐसे पहुंचे रामतीर्थ
- रामतीर्थ एनएच-49 होते हुए पहुंचेंगे. जमशेदपुर से रामतीर्थ पहुंचने के लिए रेल मार्ग और सड़क मार्ग दोनों है. सड़क मार्ग के लिए टाटनगर रेलवे स्टेशन, सुंदरनगर, हाता, कोवाली होते हुए बादाम पहाड़, रायरंगपुर होते हुए जशीपुर पहुंचा सकता है. वहीं, रेल मार्ग से बादाम पहाड़ तक पहुंच कर आगे का सफर सड़क मार्ग से भाड़े की गाड़ी से पुरा कर सकते हैं. बादाम पहाड़ से रामतीर्थ 20 किलोमीटर की दूरी पर है.
- कोलकाता से मुंबई आते समय आप मयूरभंज के जशीपुर ब्लॉक चौराहे पर पहुंचेंगे. वहां से रामतीर्थ केवल एक किमी दूर है. रेल मार्ग से आपको क्योंझर रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा. बाद में टैक्सी या बस से रामतीर्थ आना होगा जो वहां से लगभग 60 किमी दूर है. रामतीर्थ में वन विभाग की ठहरने की सुविधा ‘देवस्थली यात्री निवास’ या जशीपुर शहर में होटल उपलब्ध हैं.