- जनवादी लेखक संघ सिंहभूम का नव वर्ष मिलन सह काव्य गोष्ठी
जमशेदपुर.
जनवादी लेखक संघ सिंहभूम का नव वर्ष मिलन सह काव्य गोष्ठी राहुल सांकृत्यायन सभागार गोलमुरी में अशोक शुभदर्शी की अध्यक्षता में समपन्न हुआ. सर्वप्रथम आर्यन मानकर ने मां पर एक सुन्दर गीत गाया.
विमल किशोर विमल ने अंगीका में गीत प्रस्तुत किया –हमरो बलमुआ परदेस में रहे छे. दिन हमरो त एही ना कटे छे.
काशीनाथ प्रजापति ने हास्य कविता सुनाया- इलेक्शन के लिए जरूरी है नॉमिनेशन. अगर हो गया सेलेक्शन तो दोनों हाथों से करेगा कलेक्शन.
देवाशीष मुखर्जी ने ओज के स्वर में पढा- युद्ध के गर्भ में कविता जन्म लेगी रक्ताभ से ,साम्य के रास्ते.
बिनोद बेगाना ने दोहा पढा- बेगाना उपनाम है मगर सभी हैं खास. अपनापन के भाव में मिले सुखद अहसास.
सुरेश दत्त प्रणय ने पढा – किसी सुखनवर से सीख ले जीना. ये तिलिस्म ये जादु टोना क्यूं ?
नजीर अहमद नजीर ने कहा-लो उनको भी हमारी जरूरत है इन दिनों. एक एक वोट की यहां कीमत है इन दिनों.
डॉ लता मानकर ने गजल पढी-दुआओं में अपनी असर चाहती हूं. मुहब्बत भरी इक नजर चाहती हूं.
राजदेव सिन्हा ने कविता पढी- छिटपुट अंधेरा है. डाल डाल पर प्रेतों का डेरा है.
डॉ उदय हयात ने कहा-खमोशियों से मिले हाल पर बहुत रोये. हिसाब करके नये साल पर बहुत रोये.
अध्यक्ष अशोक शुशदर्शी ने नववर्ष की बधाई दी और कहा-चेतना खो जाती है ,सँघर्ष खो जाने पर।. यह समय हमारे पास है लडाई के लिए.
काशीनाथ प्रजापति ने सभी को धन्यवाद दिया एवँ नववर्ष की अग्रिम बधाई दी।