- नेशनल सिक्यूरिटी पाराडिज्म एंड एसेमेट्रिक वारफेयर विषय पर जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज में एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन, कॉलेज के साइबर क्लब ने कार्यक्रम का किया आयोजन
- साइबर विद्यापीठ फाउंडेशन के चीफ मेंटर बालाजी वेंकेटेश मुख्य रूप से हुए शामिल, विषय पर दी जानकारी
- एडमिरल रमन पुरी, लैफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी ने देश की सुरक्षा और पूर्व के युद्धों में अपने अनुभवों के माध्यम से वर्तमान स्थिति पर रखी बात
जमशेदपुर.
देश दुनिया में अब युद्ध का दृश्य बिल्कुल बदलने की दिशा में है. बॉर्डर पर खड़े होकर सेना के जवान लड़ाई लड़ेंगे या दुश्मन देश की सेना, आतंकवादी सीमा से युद्ध करेंगे, ऐसा नहीं होने वाला है. बल्कि अब एक देश दूसरे दुश्मन देश पर साइबर अटैक करेगा. जो एक कमरे व एक सिस्टम के जरिए होगा. यह बातें साइबर विद्यापीठ के चीफ मेंटर बालाजी वेंकेटेश ने कही. साइबर अटैक व साइबर सिक्यूरिटी विषय पर उन्होंने जो बाते बताई वह राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति गंभीर होने की चेतावनी है. नेशनल सिक्यूरिटी पाराडिज्म एंड एसेमेट्रिक वारफेयर (राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य और असममित युद्ध) विषय पर जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज में एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन कॉलेज के साइबर क्लब की ओर से किया गया था. बालाजी ने विषय के संदर्भ में काफी बारिकी से अपनी बातों को रखा. उन्होंने यूक्रेन-रसिया युद्ध को कोई साधारण युद्ध नहीं बताया, कई बिंदुओं पर बात रखते हुए उन्होंने उसे साइबर अटैक की कड़ी से जोड़ा. उन्होंने 2008 के ट्यूनिसिया-इजिप्ट के बीच हुए युद्ध के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि इजिप्ट के ट्रैफिक सिग्नल लाइट को भी हैक कर लिया गया था. उन्हाेंने बताया कि सोशल मीडिया की परिधी काफी खतरनाक है. इसका उपयोग किस तरह किया जा सकता है, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. एक संदेश के माध्यम से कैसे देश की तख्ता पलट हो सकती है.
देश को दस लाख साइबर सुरक्षा प्रहरियों की जरूरत, किसी का ध्यान नहीं
बालाजी वेंकटेश ने बताया कि साइबर सुरक्षा को लेकर देश को दस लाख साइबर सुरक्षा प्रहरियों की जरूरत है, लेकिन कोई भी इस दिशा की ओर नहीं सोच रहा है. हमें इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना ही होगा. नहीं तो, किसी भी क्षेत्र में साइबर हमला हो सकता है. अब तो ट्रेन एक्सीडेंट में भी साइबर हमला हो रहा है. राजनीतिक वर्चस्व को लेकर भी साइबर हमले किये जा रहे है. सोशल मीडिया इसका सशक्त उदाहरण है. साइबर वार के कारण सत्ता परिवर्तन तक हो रहे हैं. इसे लेकर हमें सचेत रहना होगा. उन्होंने बताया कि देश की डीआरडीओ जैसी संस्था 10वीं पास युवाओं के लिए साइबर जॉब ऑफर करती है, लेकिन इसकी किसी को जानकारी नहीं है. इसमें प्रतिमाह वेतन भी 60 हजार रुपये से ज्यादा है.
देश की सुरक्षा मामले में देश पिछले 10 वर्षों में आत्मनिर्भर हुआ है : एडमिरल रमन पुरी
1965 और 1971 के युद्ध के गवाह रहे एडमिरल रमन पुरी कार्यक्रम में वक्ता के तौर पर शामिल हुए. उन्होंने दोनों युद्ध का जिक्र करते हुए कई बातें छात्रों के समक्ष रखा. उन्होंने कहा कि किसी भी युद्ध में वास्तविकता कुछ और होती और दिखाया कुछ और जाता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान देना हम सबकी जिम्मेदारी है. वर्तमान सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेष ध्यान दे रही है. इस कारण सैनिकों का मनोबल भी ऊंचा है तभी तो बालाकोट जैसी लड़ाई को हमने लड़ा. राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान नहीं देंगे तो हमारा भी हाल पाकिस्तान जैसा हो जायेगा. हमने कभी अपना सोना गिरवी रखा था. सभी देश अपना हित देखते हैं, हमें भी अपना हित देखना ही पड़ेगा. राष्ट्रीय सुरक्षा में सबसे जरूरी है आत्मनिर्भरता. उन्होंने कहा कि 75 साल के बाद मजबूत नेतृत्व के कारण देश के जन गण का आत्मविश्वास जगा है. अब इस नेतृत्व को नेगेटिव करने का प्रयास किया जा रहा है क्योंकि हिंदुस्तान ताकतवर बन रहा है.
पूरी दुनिया की नजर युवा भारत पर : लेफ्टिनेट जनरल वीके चतुर्वेदी
दूसरे वक्ता के रूप में उपस्थित लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी ने भारत के निर्माण में युवाओं के योगदान पर अपनी बातें रखी. उन्होंने कहा कि भारत को शिखर पर पहुंचाने में युवाओं का योगदान अहम है. आजादी के शताब्दी वर्ष तक भारत युवा रहेगा. इस कारण विश्व भी भारत की तरफ देख रहा है. उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस और स्वामी विवेकानंद द्वारा युवा अवस्था में राष्ट्रीय भावना के साथ किए गए कार्यो के बारे में बताया और हरेक युवा को इन महानभूतियों द्वारा किए गए कार्यो को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए और उसका अध्ययन करना चाहिए. आज भी नेताजी और विवेकानंद को लेकर रिसर्च हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि परंपरा ही अपनी पहचान है. हमारी अपनी भाषा किसी भी कीमत पर नहीं छोड़नी चाहिए. वर्तमान में भारत को स्थाई और साहसी नेतृत्व की आवश्यकता है.
कार्यक्रम में ये रहे मौजूद :
कार्यक्रम के दौरान अतिथितियों का स्वागत करते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ अमर सिंह ने संबोधित किया. विषय प्रवेश डॉ आरके कर्ण ने किया. वहीं कार्यक्रम का संचालन डॉ शालिनी शर्मा व धन्यवाद ज्ञापन आईक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर डॉ नीता सिन्हा ने किया. कार्यक्रम में एबीएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ विजय कुमार पीयूष समेत विभिन्न कॉलेज के प्राचार्य व को-ऑपरेटिव कॉलेज से डाॅ किरण दुबे, डाॅ प्रभात कुमार सिंह, डाॅ बिनय कुमार सिंह, डाॅ कृष्णा प्रसाद, डाॅ अशोक कुमार रवानी, डाॅ आरके करन, डाॅ राजीव कुमार, डाॅ ब्रजेश कुमार, डाॅ गजेंद्र कुमार सिंह, डाॅ भूषण कुमार सिंह, डाॅ मंगला श्रीवास्तव, डाॅ रवि शंकर प्रसाद सिंह, डाॅ राजेश कुमार, डाॅ अनिल कुमार झा, डाॅ अंतरा कुमारी, डाॅ दुर्गा तामसोय, डाॅ स्वाति सोरेन, डाॅ शालिनी शर्मा, डाॅ रणविजय कुमार, डाॅ रूचिका तिवारी, डाॅ स्वाति वत्स, स्वरूप कुमार मिश्रा, रिकी सूत्रधार, के ईश्वर राव, चंदन कुमार, प्रभात पांडेय, संजय यादव व विद्यार्थी उपस्थित थे.
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