- केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के सरायकेला खरसावां जिला भ्रमण के दौरान विद्यार्थी और अभिभावकों ने इंटर का दाखिला बंद होने की समस्सा से कराया था रू ब रू
- मंत्री के सांसद प्रतिनिधि अभिषेक आचार्य ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षारता विभाग सचिव को पत्र लिख इस सत्र में दाखिला लेने का किया अनुरोध
- सरायकेला खरसावां जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सचिव को जानकारी देते हुए मांगा दिशा निर्देश
जमशेदपुर.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा पिछले दिनों सरायकेला खरसावां जिले भ्रमण पर थे. इस दौरान उनसे काफी संख्या में विद्यार्थी और अभिभावक भी मिले. इसमें मैट्रिक पास वैसे विद्यार्थी और अभिभावक शामिल थे जो इंटर में दाखिला के लिए दर दर भटक रहे हैं. नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत डिग्री कॉलेजों में इंटर का दाखिला बंद होने और प्लस टू स्कूल स्कूल की संख्या सीमिति होने, दूर होने व कुछ स्कूलों के अपग्रेड, सीबीएसई होने के कारण उनका दाखिला नहीं हो पा रहा है. इस मामले में मंत्री ने गंभीरता से लिया. मंत्री के सांसद प्रतिनिधि ने शनिवार यानी 24 जून को ही स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव को पत्र लिख कर बच्चों के भविष्य को देखते हुए इस सत्र के लिए इंटर में दाखिला लेने के लिए अनुरोध करते हुए डिग्री कॉलेज को अनुमति प्रदान करने की बात लिखी है. पत्र की कॉपी जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी दी गयी है. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 24 जून यानी शनिवार को ही प्राप्त पत्र के आलोक में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव को पत्र की जानकारी देते हुए व वस्तु स्थिति को सामने रखते हुए डिग्री कॉलेजों में इंटर के दाखिला बंद होने हो रही परेशानी का जिक्र किया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा पत्र में यह भी बताया गया है कि सरायकेला खरसावां जिला के सरायकेला सदर प्रखंड में दो प्लस टू स्कूल है और दो प्ल टू स्कूल को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तहत सीबीएसई में तब्दिल कर दिया गया है. वहीं दूसरा प्लस टू स्कूल 15 किलोमीटर दूर है. ऐसे में विद्यार्थियों को भारी समस्या हो रही है.
मंत्री जी पूरे राज्य का भ्रमण कीजिए, तब जागेगा शिक्षा विभाग
मंत्री अर्जुन मुंडा को पूरे राज्य का भ्रमण कर स्थिति को जानना चाहिए. क्योंकि पूरे राज्य में बगैर किसी उचित तैयारी व संसाधन के ही डिग्री कॉलेज में इंटर का दाखिला बंद कर दिया गया है. यह पत्र शिक्षा विभाग ने तब लिखा है जब एक मंत्री को अभिभावक और विद्यार्थियों से शिकायत मिली और मंत्री के सांसद ने इसमें संज्ञान लिया. जबकि यह जवाबदेही और जिम्मेदारी बनती है कि शिक्षा विभाग परेशान विद्यार्थियों को देखते हुए और प्लस टू स्कूल की संख्या, स्ट्रेंथ की वस्तु स्थिति की जानकारी खुद ही स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को दे कर दिशा निर्देश मांगे. एक माह से ज्यादा वक्त गुजर चुका है जैक बोर्ड का रिजल्ट निकले हुए, बच्चे इंटर में दाखिला के लिए कॉलेज कॉलेज भटक रहे हैं. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.
कैंपस बूम ने सबसे पहले उठाया मामला
डिग्री कॉलेजों में इंटर के दाखिला बंद से व्याप्त परेशानी, भटक रहे विद्यार्थी, सरकारी प्लस टू स्कूल की संख्या उनकी स्थिति, इंटर कॉलेजों की संख्या और उसकी स्थिति के बारे में सबसे पहले कैंपस बूम ने खबर पोस्ट किया. 28 मई से कैंपस बूम लगातार यह खबर प्रकाशित कर रहा है. लेकिन शासन प्रशासन की नींद नहीं खुल रही है. नई शिक्षा नीति के तहत डिग्री कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई नहीं होनी है. यह फैसला सही हो सकता है, लेकिन क्या बगैर किसी तैयारी के पढ़ाई को बंद करना उचित है. सबसे बड़ी विडंबना है कि शिक्षा विभाग इसको लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है. कॉलेज व विवि प्रशासन उचित निर्देश मिलने का हवाला देकर चुपचाप बैठे हैं. उनका कहना है कि दाखिला लेने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन निर्देश तो मिले. सही बात भी है जब शिक्षा विभाग के जिम्मे जब यह है तो वह चुप्पी क्यों लगाए बैठा है. यह सवाल तब तक बना रहेगा जब तक मसला सुलझ न जाता है और बच्चों का दाखिला इंटर में हो नहीं जाता है.