- सामाजिक संस्था उत्कर्ष मासिक धर्म और उसके प्रति लड़कियों में जागरूकता उत्पन्न करने को लेकर कर रही है काम
- पूर्वी सिंहभूम के पटमदा ब्लाॅक स्थित बामनी गांव में स्कूली बच्चियों के बीच सेनेटरी पैड का वितरण का दी गई जानकारी
जमशेदपुर.
सामाजिक संस्था उत्कर्ष इन दिनों जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली लड़कियों के स्कूल से ड्रॉप आउट होने की समस्या को लेकर अध्ययन कर रही है और उसके समाधान को लेकर काम कर रही है. संस्था वर्ल्ड बैंक के एक रिपोर्ट के आधार पर बताया है कि दुनिया भर में 50 करोड़ महिलाएं सीधे रुप से गरीबी से प्रभावित है.
भारत में वर्ष 2023 में 10 हजार महिलाएं के साथ किए गये एक अध्ययन में पाया गया कि 10 से 19 साल से कम उम्र की 25 प्रतिशत लड़कियां मासिक धर्म के दौरान माह में औसतन छह दिन स्कूल नहीं जाती है. इसमें 38 प्रतिशत लड़कियां युवावस्था तक पहुंचने पर स्कूल छोड़ देती हैं.
राज्य में ड्रॉप आउट की समस्या को समझने और उसे दूर करने के लिए उत्कर्ष की टीम वर्तमान में पूर्वी सिंहभूम के पटमदा ब्लॉक स्थित बामनी गांव के एक सरकारी स्कूल पहुंची. इटली में लैंग्वेल इक्यूजिशन और डिस्लेक्सिया एक्सपर्ट (भाषा अधिग्रहण और डिस्लेक्सिया विशेषज्ञ) के तौर पर काम करने वाली श्रेया घोष वक्ता के तौर पर कार्यक्रम में मौजूद थी. उन्होंने छात्राओं को मासिक धर्म चक्र के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, जो लड़कियों में एक उम्र के बाद शुरू होता है. इसे सहज स्वीकार करते हुए इस दौरान कैसी देखभाल और स्वच्छता अपनाए इसको लेकर जागरूक रहने की जरूरत है.
सैनिटरी पैड और पौष्टिक आहार का हुआ वितरण
संस्था की ओर से छात्राओं के बीच सैनिटरी पैड और पौष्टिक आहार का वितरण किया गया. संस्था अभी अपना यह जागरूकता अभियान जारी रखेगी. संस्था का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा छात्राओं व बच्चियों तक इसकी जानकारी पहुंचाई जाए.