- झारखंड के विश्वविद्यालय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की उम्र सीमा 60 से बढ़ा कर 62 करने का मामला अब तक नहीं सुलझा
- उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने कोर्ट में दिया कमेटी बना लेने का हलफनामा, लेकिन आगे नहीं बढ़ी कमेटी की कार्रवाई
- कर्मचारी महासंघ मामले को कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट में लेकर जाने की तैयारी में
- लोकसभा चुनाव को लेकर फरवरी में लग जाएगी आचार संहिता, तो लटक जाएगा मामला, उसके बाद झारखंड में विधानसभा की शुरू हो जाएगी सरगर्मी
जमशेदपुर.
झारखंड के विश्वविद्यालय-महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के सेवानिवृत बढ़ाने के मामले को उच्च एवं तकनीकी विभाग ने हाई कोर्ट के निर्देश के बावजूद लटका रखा है. यही नहीं विभाग अपने उस हलफनामा को पूरा करने में भी रुचि नहीं ले रहा जिसके आधार पर कोर्ट ने रिट याचिका को निष्पादित कर दिया था. विभाग के इस रैवये को लेकर शिक्षकेत्तर कर्मचारियों में काफी रोष है. झारखंड विश्वविद्यालय-महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ अब इस मामले में कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट में जाने की तैयारी कर लिया है. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग जल्द से जल्द इस मामले में आगे की कार्रवाई करते हुए सेवानिवृति की उम्र सीमा 60 से 62 करने का फैसला नहीं लेती है, तो 4 फरवरी को रणनीति के तहत महासंघ अपने कदम आगे बढ़ाएगा.
कमेटी बना लेने की जानकारी पर कोर्ट ने निष्पादित कर दिया था रिट याचिका
मालूम हो कि शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की ओर से उम्र सीमा बढ़ाए जाने के मामले में प्रार्थी मनोज कुमार एवं अन्य ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी. रिट याचिका में झारखंड राज्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ एवं राज्य सरकार के बीच 1 अप्रैल 2007 एवं 10 अगस्त 2007 को हुए समझौते के तहत राज्य के विश्वविद्यालय के शिक्षकेत्तर कर्मचारी की उम्र सीमा 60 से 62 वर्ष करने का आग्रह कोर्ट से किया था. साथ ही झारखंड राज्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ एवं राज्य सरकार की एक अन्य रिट याचिका में राज्य सरकार के शपथ जिसमे शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 60 वर्ष से 62 वर्ष करने को लेकर 15 दिनों के भीतर एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने एवं रिपोर्ट देने का जिक्र किया गया था उसका अनुपालन राज्य सरकार को करने का निर्देश देने का आग्रह कोर्ट से किया था.
दिसंबर 2023 में कोर्ट में रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा गठित 10 सदस्यीय कमेटी को राज्य के विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 60 से 62 करने पर जल्द निर्णय लेने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि चूंकि राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय एवं अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 60 से 62 वर्ष करने को लेकर उच्चस्तरीय कमेटी बनाए जाने की जानकारी हाईकोर्ट को दे दी है, इसलिए यह याचिका निष्पादित की जाती है.
कोर्ट को गुमराह करने का आरोप
हाई कोर्ट को कमेटी बनाए जाने के हलफना दिए जाने के बाद भी अब तक उच्च एवं तकनीकी विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाना कोर्ट को गुमराह करना है. यह आरोप कर्मचारी महासंघ लगा रहा है. दूसरी ओर विभाग की ओर से कर्मचारी या महासंघ के प्रतिनिधियों को भी सही जानकारी नहीं दी जा रही है. महासंघ का आरोप है कि विभाग न केवल कर्मचारियों के मामले को लटाकर रखा है बल्कि कोर्ट को भी गुमराह करने का काम किया है.
फरवरी तक फैसला नहीं, तो फंस जाएगा मामला
अगर इस मामले में उच्च एंव तकनीकी शिक्षा विभाग फरवरी तक आदेश जारी नहीं करता है, तो यह मामला एक साल तक के लिए लटक सकता है. चुकी मई में देश में आम चुनाव होने वाले हैं ऐसे में फरवरी के अंतिम सप्ताह तक आचार संहिता लगने की उम्मीद है. वहीं दिसंबर में झारखंड में विधानसभा चुनाव होंगे. ऐसे में सितंबर अक्टूबर तक फिर से राज्य में आचार संहित लगा जाएगी. ऐसे में यह मामला एक साल तक लट जाएगा. वहीं इस बीच कई कर्मचारी सेवानिवृत हो जाएंगे.
ये है कमेटी में
कमेटी में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की निदेशक अध्यक्ष हैं जबकि तीन उप निदशेक सदस्य है. वहीं कोल्हान विवि, विनोबा भावे विवि, जमशेदपुर महिला विवि, सिद्धो कान्हो मुर्मू विवि के कुलसचिव को भी सदस्या बनाया गया है.
पहले सरकार की वादा खिलाफी अब विभाग ने लटकाया मामला : रमेश चंद्र ठाकुर
झारखंड विश्वविद्यालय-महाविद्यालय शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ, कोल्हान प्रक्षेत्र के अध्यक्ष रमेश चंद्र ठाकुर ने इस मामले में बयान जारी करते हुए कहा है कि इस मामले को पहले सरकार स्तर से लटकाया गया. उन्होंने बताया कि जब वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विपक्ष में थे, तो वे लाेग अपनी समस्या लेकर उनके समक्ष गए थे, तो उन्होंने सरकार में आते ही एक माह के अंदर इस मामले को सुलझा लेने का वादा किया था. लेकिन सरकार बनने के बाद जब कर्मचारी महासंघ के लोग उनसे मिले तो फिर हमेशा आश्वासन का दौर चल. मजबूरन इस मामले को हाई काेर्ट लेकर जाना पड़ा. जब कोर्ट में रिट याचिका दर्ज कर दी गई तो दिसंबर 2023 में सुनवाई के दौरान उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से यह कोर्ट को यह जानकारी दी गई कि कमेटी बना ली गई है जल्द ही आगे की कार्रवाई कर ली जाएगी. तक कोर्ट ने इस आधार पर रिट याचिका को निष्पादित कर दिया. लेकिन आश्चर्य की बात है कि विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. रमेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि विभाग अगर जल्द से जल्द इस मामले में आदेश जारी नहीं करता है, तो वे कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट में जाएंगे. इसकी पूरी जवाबदेही उच्च शिक्षा विभाग और अधिकारियों की होगी.