रीना कुमारी. जमशेदपुर |
यह चिंता की बात है कि जहां एक ओर हमारे कर्मचारियों के बच्चों समेत अधिकांश युवा रोजगार पाने के लिए संघर्ष करते हैं, वहीं दूसरी ओर कई ऐसी कंपनियां, वेंडर पार्टनर और टीआइएस समूह की कंपनियां हैं, जिन्हें कुशल श्रमबल की आवश्यकता है. लेकिन उनके पास पर्याप्त कुशल श्रमबल के स्रोत उपलब्ध नहीं है. यह सीधे एक प्रतिष्ठान की सुरक्षा, उत्पादकता, गुणवत्ता और व्यावसायिक स्थिरता को प्रभावित करता है.
हालांकि प्रतिष्ठान युवाओं के लिए रोजगार पैदा करते हैं, फिर भी बहुत कम प्रतिष्ठान ऐसे लोगों को कुशल बनाने पर काम करते हैं, जो रोजगार पाने में तो सफल नहीं होते हैं, लेकिन उनमें रोजगार के योग्य होने की क्षमता होती है. जबकि अधिकांश इस विरोधाभास के साथ जूझ रहे हैं, तो कुछ ने इसे दूर करने का प्रयास किया है. जेएन टाटा वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (जेएनटीवीटीआई) एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट है, जिसे टाटा स्टील द्वारा 2015 में एक स्वतंत्र संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था. इसके संचालन परिसर के आसपास रहने वाले युवा बेरोजगारों को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण देने और रोजगार से जुड़ने में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से एक आत्मनिर्भर राजस्व मॉडल पर चलाने की अवधारणा पर इसकी नींव रखी गयी थी.
हालांकि संस्थान का संचालन नवंबर 15 में पारामेडिकल कोर्स के साथ शुरू हुआ, पर अब यह मुख्य रूप से औद्योगिक प्रशिक्षण प्रदान करने पर केंद्रित है. कुशल श्रमबल का एक पूल प्रदान करने के जेएनटीवीटीआई के प्रयासों ने वेंडर पार्टनरों और टाटा समूह की कंपनियों को एक संरचित भर्ती प्रक्रिया उपलब्ध करायी है. संस्थान समाज के युवाओं को हुनर हासिल करने का एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करता है. यही नहीं, यह उन्हें अपने लिए और उन व्यवसायों के लिए मूल्य सृजन करने का अवसर प्रदान करता है, जहां वे कार्यरत हैं.
अपनी स्थापना के बाद से जेएनटीवीटीआई ने 4,500 से अधिक ऐसे युवाओं को विभिन्न ट्रेडों और कौशल में प्रशिक्षित कर नियुक्त किया है. संस्थान समय के साथ विकसित हुआ है और वर्तमान में ओड़िशा और झारखंड (जमशेदपुर, गम्हरिया, झरिया, जोडा, कलिंगानगर और वेस्ट बोकारो) में छह कैंपस से संचालित होता है. 22 मार्च तक दो अन्य कैंपस (एक झारखंड और एक ओड़िशा में) खोले जाने का प्रस्ताव है.
- 21 फुल टाइम प्रोग्राम :
जेएनटीवीटीआई वर्तमान में 21 फुल टाइम प्रोग्राम चलाता है, जिनकी प्रशिक्षण अवधि छह महीने से लेकर एक वर्ष के बीच होती है. इन सब के अलावा, यह संस्थान पहले से कार्यरत कर्मियों को 140 से अधिक ट्रेडों में अल्पकालिक कौशल प्रमाणन कार्यक्रम भी प्रदान करता है. इन प्रमाणन कार्यक्रमों को एनएसडीसी के रिकॉगनिशन ऑफ प्रायर लर्निंग स्कीम द्वारा मान्यता प्राप्त है. इसके अधिकांश कार्यक्रम एनएसक्यूएफ फ्रेमवर्क से मान्यता प्राप्त कार्यक्रम हैं.
- सर्टिफिकेशन कार्यक्रम के साथ ठेका मजदूरों के लिए श्रम बल कर रहा तैयार :
सर्टिफिकेशन प्रोग्राम के साथ जेएनटीवीटीआई बड़े पैमाने पर टाटा स्टील लिमिटेड के ठेकेदार श्रमबल को कौशल प्रदान करने की चिंता दूर कर रहा है. दुनिया में लगभग छह मिलियन लोग स्टील उद्योग में काम करते हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत से अधिक अनुबंधित श्रमबल हैं. एक सुरक्षित और उत्पादक कार्यस्थल सुनिश्चित करने के लिए अनुबंधित कर्मचारियों या ठेकेदार के संसाधनों के लिए एक संरचित योग्यता मूल्यांकन और प्रमाणन प्रक्रिया को सक्षम करना अनिवार्य है.
- कार्यक्रम की विशिष्टता :
संस्थान ने पारंपरिक प्रशिक्षण अध्यापन और कौशल विकास को निम्नलिखित तरीकों से फिर से परिभाषित किया है. वेंडरों (नियोक्ता) के बड़े वर्ग के कहने पर कार्यक्रम शुरू किया गया है. अत्यधिक कमी में वितरण के लिए संस्थान में ‘स्किल सेट’ का चयन किया जाता है. एक बार कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के बाद नियोक्ता के साथ मिल कर पाठ्यक्रम निर्मित किया जाता है. फर्स्ट रन पूरा होने के बाद, पाठ्यक्रम में निरंतर सुधार सुनिश्चित करने के लिए वेंडर (नियोक्ता) पीडीसीए (प्लान-डू-चेक-एक्ट) फिर से चलाया जाता है.
- 60 हजार ठेका कर्मी प्रशिक्षण की उत्कृष्टता :
टाटा स्टील में ठेकेदार श्रमबल का सौ फीसदी कौशल प्रमाणन किया गया है, नवंबर’18 से दिसंबर’19 तक ठेकेदार कर्मचारियों के मूल्यांकन/प्रशिक्षण के लिए 140 से अधिक नौकरी-विशिष्ट पाठ्यक्रम विकसित किये और दिये हैं. अब तक 60,000 से अधिक ठेका कर्मचारियों को उत्कृष्टता के तीन स्तरों (सिल्वर-गोल्ड-प्लैटिनम) पर प्रशिक्षित-मूल्यांकित-प्रमाणित किया गया है.
- टाटा स्टील के सात भौगोलिक स्थानों पर कौशल पहल पर काम करने की सुविधा :
टाटा स्टील का यह अनूठा प्रयास वेंडर पार्टनरों/कर्मचारी बच्चों/मुख्यधारा से दूर समाज के युवाओं के तकनीकी कौशल को मजबूत करने के लिए है. इस प्रयास में देश के सभी परिचालन स्थान शामिल हैं और इससे प्रतिष्ठान की उत्पादकता और सुरक्षा में सुधार अपेक्षित है. यहां से पास-आउट अभ्यर्थी का न्यूनतम वेतन पॉलिटेक्निक से लेकर डिप्लोमा धारकों के औसत वेतन से डेढ़ गुना अधिक है. साथ ही, इनके लिए साल दर साल 100 प्रतिशत प्लेसमेंट सुनिश्चित किया गया है. इस पहल की परिपक्वता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश में अन्य मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने इसके मॉडल को अपनाने में रुचि दिखाई है और समर्थन देने का अनुरोध किया है. अपने बढ़ते पदचिह्न के साथ जेएनटीवीटीआई आज देश के भीतर और भविष्य में दुनिया भर में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए एक ‘स्किलिंग हब’ बनने के लिए तैयार है.
- दोहराव और स्थिरता :
2016 में एक व्यावसायिक संस्थान से शुरुआत की गयी थी और आज झारखंड व ओडिशा में ऐसे छह संस्थान कार्यरत हैं. इस यात्रा के माध्यम से टीम ने उत्कृष्टता के अंतर्निहित सिद्धांतों के साथ व्यवस्थित तरीके से इन संस्थानों के कामकाज को शुरू करने और बढ़ाने के लिए साधन-संसाधन विकसित किये हैं. जेएनटीवीटीआइ गुणवत्ता से समझौता किये बिना सकारात्मक विभेद को बढ़ावा देता है. इस प्रकार, प्रवेश के मानदंड सभी के लिए समान है. हालांकि, 80 प्रतिशत अंक (प्लैटिनम श्रेणी) प्राप्त करने वाले ‘एए’ उम्मीदवारों को 100 प्रतिशत शुल्क वापस कर दिया जाता है और 70 प्रतिशत व 80 प्रतिशत अंक (गोल्ड श्रेणी) प्राप्त करने वालों का 50 प्रतिशत शुल्क वापस कर दिया जाता है. इन वर्षों में मेधावी उम्मीदवारों ने इसका भरपूर लाभ उठाया है. विविधता और समावेश को बढ़ावा देना संस्थान का एक अन्य प्रमुख फोकस है और पिछले कुछ वर्षों में इसके विभिन्न पाठ्यक्रमों में ट्रांसजेंडर और महिला उम्मीदवारों को शामिल करने के लिए काफी प्रयास किये गये हैं.