- जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय में मानविकी संकाय द्वारा प्रेमचंद जयंती मनाई गई
जमशेदपुर.
जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय ने लेखक, उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद और साहित्य के क्षेत्र में उनके अविस्मरणीय योगदान और पाठकों के मन पर उनके पदचिह्नों को याद करने के लिए प्रेमचंद जयंती का आयोजन किया. प्रेमचंद के किरदारों की मासूमियत और उथल-पुथल आज भी प्रासंगिक है. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो(डॉ) अंजिला गुप्ता ने की. मुख्य अतिथि जयनंदन और मानविकी के डीन डॉ सुधीर कुमार साहू ने मुख्य भूमिका निभाई. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और अतिथियों के अभिनंदन के साथ हुई. स्वागत भाषण हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ पुष्पा कुमारी ने दिया.
डॉ सुधीर कुमार साहू, डीन मानविकी ने प्रेमचंद की उम्र से बड़ी साहित्यिक देन और 19वीं सदी के आखिरी दशकों और 20वीं सदी के शुरुआती दौर के साहित्य और प्रेमचंद के योगदान की चर्चा की. उन्होंने बताया कि मुंशी प्रेमचंद ने 1914 से पहले उर्दू और फिर हिंदी में लिखना शुरू किया और आम लोगों को नायक बताया और उनके वीरतापूर्ण रोजमर्रा के संघर्षों का वर्णन किया.
साहित्य न केवल समाज का दर्पण है, बल्कि समाज का प्रकाश स्तम्भ भी : प्रो (डॉ) अंजिला गुप्ता
इस अवसर पर प्रो (डॉ) अंजिला गुप्ता ने कहा कि साहित्य न केवल समाज का दर्पण है, बल्कि समाज का प्रकाश स्तम्भ भी है. प्रेमचंद की कहानियों ने उस समय सामान्य लोगों को भी नायक/नायिका बनाया. ये वो दौर था जब साहित्य में काल्पनिक लेखन का बोलबाला था. उनके लेखन ने सामाजिक सुधार और पाठकों को सामान्य जीवन के वीरतापूर्ण संघर्षों से अवगत कराया. प्रेमचंद की कहानियां पाठकों की आत्मा को प्रभावित और भावुक करती हैं.
प्रेमचंद मूर्खताओं को उजागर करने वाले एक बहादुर लेखक : जयनंदन
इस अवसर पर मुख्य अतिथि जमशेदपुर के प्रमुख उपन्यासकार और नाटककार, साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित जयनंदन शामिल हुए. उन्होंने कहा कि हर भारतीय प्रेमचंद की कहानियां पढ़कर बड़ा हुआ है. प्रेमचंद की कहानियों का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है और दुनिया भर के 150 से अधिक विश्वविद्यालयों में पढ़ाया गया है. प्रेमचंद की कहानियां समाज का दर्पण हैं. प्रेमचंद मूर्खताओं को उजागर करने वाले एक बहादुर लेखक थे. समाज की और तत्कालीन औपनिवेशिक शासकों की आलोचना. प्रेमचंद की रचनाएं आज भी दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों में शोध का विषय हैं. प्रेमचंद की रचनाएं साहित्य की उत्कृष्ट कृतियाँ हैं क्योंकि यह समय और सीमाओं की कसौटी पर खरी उतरती हैं. प्रेमचंद समानता और सम्मान के समर्थक थे हर इंसान के कारण। उन्होंने मजबूत महिला पात्रों को चित्रित किया जो आज भी युवा दिमागों को प्रेरित करते हैं.
इस अवसर पर कहानी कहने का कार्य दरक्षा रहमान, उर्दू विभाग से मलायका वारिस और हिंदी विभाग से तहसीन परवीन ने किया. इस अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन उर्दू विभाग की प्रमुख डॉ रिजवाना परवीन ने दिया. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, वाणिज्य और मानविकी के डीन, विभागों के प्रमुख, शिक्षक और छात्राएं उपस्थित थे.