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यूनाइटेड क्लब बिष्टुपुर में रविवार को डॉ शांति सुमन श्रद्धांजलि एवं स्मृति-संवर्द्धन समारोह हुआ. डॉ चेतना वर्मा ने उनके गीत ‘एक कतरा सुख’ से कार्यक्रम की शुरुआत की. कथाकार जयनंदन ने कहा कि उनकी रचनावली निकलनी चाहिए. उन्होंने उनकी ‘बेरोजगार हम’ कविता सामने रखते हुए कहा कि जितनी प्रतिष्ठा उन्हें मिलनी चाहिए, नहीं मिल पायी.
शांति सुमन के भाई डॉ बुद्धिनाथ ने कहा कि उनकी रचना में पतंग के पंख के साथ-साथ दीपक के लौ भी हैं. मुजफ्फरपुर के डॉ चितरंजन कुमार ने कहा कि उन्हें समझने के लिए नवगीत, जनगीत के साथ-साथ उनके गद्य में भी हमें उतरना होगा. उन्होंने जल झुका हिरन उपन्यास में विवाहेतर संबंध पर लिखा.
शांति सुमन पर शोध करने वाले आजमगढ़ में प्राध्यापक डॉ मोहन कुमार ने कहा कि उन्होंने सत्ता और हालात से सताये को अपनी रचना में जगह दी. पटना विश्वविद्यालय के शोधार्थी सुशांत कुमार ने कहा कि वह एक वैचारिक खूंटे से कभी भी बंधी नहीं रही. डॉ सुभाष गुप्त ने कहा कि शांति सुमन को जितना देना था, वह दे चुकी हैं. अब उनके संघर्ष के सिलसिले को कैसे आगे बढ़ाया जाये यह बड़ा सवाल है.
कार्यक्रम का संचालन वरुण प्रभात ने किया. मौके पर डॉ अशोक अविचल, श्यामल सुमन, शैलेंद्र अस्थाना, ज्योत्सना अस्थाना, अरविंद वर्मा, डॉ विशाखा वर्मा, अशोक शुभदर्शी, आशुतोष कुमार झा, अरुण सज्जन, कृष्णा सिन्हा व अन्य मौजूद रहे.

