जमशेदपुर.
जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग में तीन शोधार्थियों ने आज अपना शोध प्रारुप (सिनॉप्सिस प्रजेंटेशन) प्रस्तुत किया. तीनों छात्राओं ने अपना शोध प्रारुप शोध प्रारुप कमेटी के विशेषज्ञों के समक्ष गाइड की उपस्थिति में प्रस्तुत किया. शोधार्थियों ने शोध के विषय के संबंध में अवधारना को बताया. शोधार्थियों ने विषय वस्तु के संबंध में टीम के समक्ष विषय चयन के तर्क को रखा. टीम में यूनिवर्सिटी के ह्यूमैनिटी के डीन डॉ सुधीर कुमार साहू, एबीएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ विजय कुमार पीयूष, कोल्हान विवि हिंदी विभाग के पूर्व विभागध्यक्ष डॉ लक्ष्मण प्रसाद व शोधार्थियों की गाइड सह हिंदी विभाग की हेड डॉ पुष्पा कुमारी, हिंदी विभाग की प्रो डॉ नुपूर अंमिता मिंज, इंग्लिश विभाग की हेड डॉ मनीषा टाइटस, उर्दू विभाग की हेड डॉ रिजवाना परवीन मौजूद रही.
तीनों छात्राओं के ये थे पेपर :
कविता दास – हिंदी लघुकथा लेखन में स्त्री कथाकारों का अध्ययन
डॉ नुपूर के गाइड में पीएचडी कर रही कविता दास ने “हिंदी लघुकथा लेखन में स्त्री कथाकारों का अध्ययन” पर अपने तर्क को रखते हुए बताया कि वर्तमान में डिजीटल और इंटनेट का युग है. आज के युवा बड़ी और लंबी कहानियों को ज्यादा पढ़ने में रुचि नहीं दिखाते हैं, बल्कि उन्हें छोटी छोटी कहानियों को पढ़ना पसंद है. कविता ने यह भी तर्क दिया कि आज के युवा प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं. इसलिए उनकी रुचि उपन्यास और मोटी मोटी किताबों वाले साहित्य में कम है. उन्होंने विषय वस्तु को समेटते हुए कहा कि ऐसे में लघुकथा लेखन में स्त्री कथाकारों पर उन्होंने अध्ययन किया है और उन्हें अपनी शोध में शामिल किया है. कविता की प्रस्तुति पर गाइड ने भी अपनी बातों को रखा और विशेषज्ञों ने कई बिंदुओं पर सुझाव देते हुए और भी बेहतर करने की बात कही.
प्रियंका सिंह – नारी मनोविज्ञान के आधार पर कमलेश्वर के उपन्यासों का विशलेषण
डॉ पुष्पा के गाइड में पीएचडी कर रही प्रियंका ने नारी को एक पात्र के तौर पर सामने रखते हुए यह बताया कि कैसे नारी का मनोविज्ञान, जगह, रिश्ता, प्रॉफेशन, उसके काम के आधार पर बदलता जाता है. एक नारी का मनोविज्ञान एक पत्नी, मां, बेटी के तौर पर कैसा होता है और जब वह गृहिणी से कामकाजी महिला हो जाती है, तो उसका मनोविज्ञान क्या होता है यानी उसकी सोच कैसी हो जाती है. कुछ ज्वलंत मुद्दों को सामने रखते हुए उन्होंने इस विषय को 20वीं सदी के प्रसिद्ध लेखक, पटकथा लेखक, उपन्यासकार कमलेश्वर के उपन्यासों का विशलेषण किया है. कमलेश्वर के उपन्यासों ने नारी मनोविज्ञान को किस तरह से प्रस्तुत किया है उसको संदर्भित करते हुए प्रियंका ने अपनी सिनॉप्सिस तैयार की है. इस विषय में भी कुछ भटकाव को देखते हुए गाइड और सदस्यों ने प्रियंका को जरूरी बदलाव करने का सुझाव दिया.
वीणा कुमारी – लोकतंत्र के परिपेक्ष्य में रामचरितमानस का अध्ययन
डॉ नुपूर के गाइड में पीएचडी कर रही वीणा कुमारी ने “लोकतंत्र के परिपेक्ष्य में रामचरितमानस का अध्ययन विषय” पर अपनी शोध प्रारुप प्रस्तुत की. उन्होंने विषय के संदर्भ में अपने तर्क को प्रस्तुत करते हुए कहा कि, लोकतंत्र यानी प्रजातंत्र का प्रमाण रामचरितमानस में भी मिलता है. उन्होंने तुलसीदास के रामचरितमानस को एक ऐसे राजतंत्र के रूप में प्रस्तुत किया है जिसमें एक आदर्श राजा, एक आदर्श पुत्र, आदर्श पत्नी, एक आदर्श स्त्री को प्रस्तुत किया है जहां प्रजातंत्र यानी लोकतंत्र स्थापित होता है. वीणा के शोध प्रारुप इस बात को दर्शाती है कि जहां वर्तमान में रामराज की बात कही जा रही है, तो ऐसे में वर्तमान के शासक व सेवक को रामचरितमानस वाले राजतंत्र को समझना होगा. वीणा ने रामचरितमानस की पंक्ति “जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृपु अवसि नरक अधिकारी” मतलब ये कि जिस राजा के राज्य में जनता दुखी रहती है, वह नरकगामी होता है. अर्थात राज्य के कल्याणकारी तत्व का पैमाना जनता का सुख होना चाहिए न कि राजा के लोगों का उच्च स्वर उवाच होना चाहिए. वीणा के शोध प्रारुप में भी विशेषज्ञों ने कुछ जरूरी बदलाव करने के सुझाव दिये.
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