- प्रगति लेखक संघ के प्रतिनिधि भी हुए शामिल
जमशेदपुर.
जनवादी लेखक संघ सिंहभूम ने पेंशनर कल्याण समाज साकची में प्रेमचंद जयन्ती मनाया जिसमे नगर के कई कवि साहित्यकार शामिल हुए. सर्वप्रथम प्रेमचंद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. डॉ लता मानकर ने स्वागत भाषण देते हुए अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने प्रेमचंद को 300 कहानियों का यशस्वी कथाकार बतलाया.
बाद बल्ली सिंह चीमा का जनगीत ‘ले मशाले चल पडे हैं लोग मेरे गांव के – – की सुन्दर प्रस्तुति हुई. कवयित्री ज्योत्सना अस्थाना ने साइन्टिफिक ऐकेडमी के बच्चे शिवम, संजना, अंशिका, अनमोल एवं शिक्षक सतीश कुमार को सम्मानित किया.
विमर्श का विषय प्रेमचंद और आज की कहानी पर सर्वप्रथम कथाकार कृपाशंकर ने प्रेमचंद को दूरदर्शी कथा शिल्पी बताया और नये लोगों को नजर साफ करने की सलाह दी.
युवा कवि वरुण प्रभात ने बूढी काकी, ईदगाह कहानी की की चर्चा करते हुए प्रेमचंद के विचार बताए. तापस चटराज ने प्रेमचंद के बहाने बंगाल के लेखक टैगोर, शरतचंद्र, बंकीम चन्द, नजरूल, महाश्वेता अन्य बडे चिन्तकों के जनवादी विचार साझा किये. डॉ सुधीर सुमन ने कहा कि प्रेमचंद ने लोकप्रियता के तिलिस्म को त्याग कर कहानी का कन्टेन्ट ही बदल दिया.
कामरेड शशि कुमार ने अपने वक्तव्य में बताया कि प्रेमचंद ने जीवन को सुन्दर बनाने एवँ समाज को आगे बढाने के लिए लेखन किया, वे गांधी के ट्रस्टीशिप के विरोधी थे। अध्यक्ष मँडल के साथी शैलेन्द्र अस्थाना ने इस बाबत पँकज मित्र की कहानी ‘कफन रीमिक्स ‘ पर चर्चा की और इसे आज की कहानी करार दिया. नजलोम के डॉ राम कवीन्द्र ने ‘रंगभूमि’ उपन्यास जलाने के मुद्दे पर बात की और दलितवाद को साम्राज्यवाद का दलाल कहा.
संचालक डॉ उदय हयात ने विमर्श के बहाने उदय प्रकाश की कहानी ‘तिरिछ’ को आज की कहानी बताया जो नगरीय जीवन में बढ रही संवेदनहीनता को दर्शाता है. अशोक शुभदर्शी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रलेस के, जसम के और अन्य वक्ताओं की सराहना की एवं आज की कहानी कैसी हो इसपर चर्चा की.
कवि अजय मेहताब ने सभी आगन्तुकों को धन्यवाद दिया. इस कार्यक्रम में विशेष रूप से पशुपतिजी ,कामरेड एस के उपाध्याय और कामरेड आर पी सिंह उपस्थित थे.