- ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ (आजादी आधी रात) पुस्तक में है इसका जिक्र
- 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि में हुई थी आजादी की घोषणा के और भी है कई कारण, पढ़िए ये रिपोर्ट
जमशेदपुर.
अंग्रेजी हुकूमत 200 साल बाद भारत 15 अगस्त 1947 में अपनी आजादी का इतिहास लिख था. यह महज एक तारीख, एक दिन नहीं थी, बल्कि यह हर भारतवासियों के उनके हक, अधिकार, सम्मान, स्वाभिमान के रक्षा की शुरूआत का क्षण था. आजादी की लड़ाई का इतिहास जितना खास है उससे जुड़ी कई घटनाएं भी काफी रोचक है. 15 अगस्त को देश की आजादी के घोषणा की तारीख तय होने के बाद भी 14 अगस्त की आधी रात को क्यों इसकी घोषणा की गई. आप जानकर अचरज में पढ़ जाएंगे कि इसके पीछे शुभ अशुभ क्षण और ज्योतिषीय परामर्श की बात सामने आती है. भारत की आजादी पर आधारित पुस्तक फ्रीडम एट मिडनाइट पुस्तक इस बात का जिक्र भी है. लेखकों ने इसके ठोस आधार बताएं हैं. इसके लिए अलावा भी कई कारणों को बताया जाता है. 15 अगस्त से जुड़ी इस रिपोर्ट में पूरी बात.
भारत को आजादी 14 अगस्त, 1947 की ठीक आधी रात में मिली थी. रात के 12 बजे, भारत की आजादी की घोषणा हो गई. सवाल ये उठता है कि अगर 14 अगस्त की रात 12 बजे आजादी का ऐलान हुआ तो फिर हर वर्ष इसी इसी दिन, इसी वक्त स्वतंत्रता का समारोह क्यों नहीं मनाया जाता है? ऐसी क्या मजबूरी थी कि रात 12 बजे ही ब्रिटिश राज के हाथों से शासन की बागडोर भारतीयों को सौंप दी गई? भारत को स्वतंत्रता मिलने के आखिरी कुछ महीनों की कहानियां लिखने वाले दो विदेशी इतिहासकारों ने इन सवालों के जवाब दिए हैं. डॉमिनिक लैपियर और लैरी कॉलिंस की पुस्तक फ्रीडम एट मिडनाइट, हिंदी में आधी रात को आजादी के नाम से प्रकाशित हुई है. इस पुस्तक में बताया गया है कि आखिर 14 अगस्त की आधी रात को ही भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित क्यों किया गया.
ज्योतिषियों ने दी थी ग्रह नक्षत्र से जुड़ी शुभ अशुभ क्षण की जानकारी
पुस्तक ‘आधी रात को आजादी’ के लेखक कहते हैं कि इसकी वजह ज्योतिषियों की राय थी. ज्योतिषियों का मानना था कि किसी राष्ट्र को स्वतंत्रता दिए जाने जैसा पवित्र कार्य के लिए 15 अगस्त का दिन शुभ नहीं है. उन्होंने बताया कि ग्रह-नक्षत्र की स्थितियों के लिहाज से 15 अगस्त को इतना महत्वपूर्ण काम नहीं किया जा सकता है. उन्होंने ही बताया था कि अगर 15 अगस्त की तारीख ही तय है तो इसका विकल्प निकाला जा सकता है. पुस्तक में कहा गया है, ‘भारतीय ज्योतिषियों के आग्रह के सामने वायसराय लॉर्ड लुइस माउंटबेटन को भी झुकना पड़ा.’
ये भी है वजह
दरअसल, जब भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ तो उस वक्त लार्ड माउंटबेटन वायसराय और गवर्नर-जनरल थे. माउंटबेटन लक में विश्वास रखते थे. उनका मानना था कि 15 अगस्त की तारीख उनके लिए लकी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसी तारीख को यानी 15 अगस्त 1945 को जापानी सेना ने आत्मसमर्पण किया था. माउंटबेटन उस वक्त अलाइड फ़ोर्सेज़ के कमांडर थे. उन्हें इस जीत के हीरोज़ में गिना जाता है. यही वजह है कि जब भारत को आजादी देने की बात की गई तो माउंटबैटन ने 15 अगस्त की तारीख चुनी.
दो समुदायों के बीच दंगा न फैले यह भी बताई जाती है वजह
आधी रात को आजादी देने के पीछे कई कारण थे. इसमें से एक कारण था पाकिस्तान और भारत का बंटवारा. दरअसल, उस दौर के बड़े नेताओं और अंग्रेजी हूकुमत को डर था कि अगर दिन में आजादी दी गई और भारत पाकिस्तान का बंटवारा किया गया तो इससे दंगे भड़क सकते हैं और कानून व्यवस्था को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा. इसी वजह से आजादी के लिए आधी रात का समय चुना गया.