जमशेदपुर.
सीएसआइआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला जमशेदपुर के व्याख्यान कक्ष में प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों, तकनीकी व प्रशासनिक अधिकारियों के लिए एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में प्रयोगशाला के करीब 70 कार्मिकों ने भाग लिया. उद्घाटन सत्र में कीनोट ऐड्रेस करते हुए प्रो डॉ पुरुषोत्तम कुमार, प्रयोगशाला के वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी, प्रवर कोटि ने राजभाषा के संवैधानिक प्रावधानों की विस्तृत व्याख्या की. उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 120, अनुच्छेद 210 और अनुच्छेद 343 से लेकर 351 तक में संघ की राजभाषा नीति के संवैधानिक प्रावधानों की विस्तृत चर्चा की गई है, जिसके द्वारा भारत की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भारतीय भाषाएं पल्लवित और पुष्पित हो रही हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आने के बाद भारत की मातृ भाषाओं को नया आकाश मिला है. आशाओं के बुझे दीप फिर से प्रज्वलित होने लगे हैं. प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च स्तरीय तकनीकी शिक्षण व पीएचडी तक में भारत की मातृभाषाओं को समुचित सम्मान दिया गया है ताकि अध्येताओं की भावना उसकी मातृभाषा में सशक्त होकर पूरी प्रगाढ़ता के साथ आमजन की भाषा में पूरी सहजता से प्रकट हो सके.
प्रो पुरुषोत्तम कुमार ने राजभाषा अधिनियम 1963 और राजभाषा नियम 1976 की विस्तृत व्याख्या करते हुए यह बताया कि भारतीय भाषाएं वैज्ञानिक विषयों को बेहतर और सहज ढंग से आम जनों के बीच अपनी प्रस्तुति शानदार ढंग से दे सकती है और राष्ट्र को सशक्त, सबल और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.
इस अवसर पर प्रयोगशाला के प्रशासनिक अधिकारी आदित्यनाथ मैनाक ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकारी कामकाज में कार्मिकों द्वारा राजभाषा हिंदी के माध्यम से ही सभी कार्यों के निष्पादन की जिम्मेवारी भारत सरकार द्वारा हम सभी पर सौंपी गई है. इस उत्तरदायित्व का पालन हम सभी को मिलकर करना है. राजभाषा के सफल कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. प्रयोगशाला के सभी प्रशासनिक अनुभागों द्वारा दैनिक कार्यों का निष्पादन पूरी सफलता के साथ हिंदी भाषा में किया जा रहा है. सभी प्रशासनिक अनुभागों को अपने दैनिक कार्यों का निष्पादन हिंदी माध्यम से करने के निर्देश बराबर दिए जाते रहे हैं. इस दिशा में हमें आशातीत सफलता मिल रही है. प्रयोगशाला के वरिष्ठ नियंत्रक, वित्त एवं लेखा राजकुमार द्रोच ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजभाषा हिंदी में कार्य करते हुए हम सभी को गौरव की अनुभूति करनी चाहिए. राजभाषा हिंदी हमारी राष्ट्रीय अस्मिता को वैश्विक धरातल पर गौरव प्रदान करती है.
उद्घाटन सत्र के पश्चात द्वितीय सत्र में केनरा बैंक , क्षेत्रीय कार्यालय की राजभाषा प्रबंधक गुड्डी रजक ने यूनिकोड, बोलकर टाइप करने की सुविधा व अन्य तकनीकी सुविधाओं का सफल प्रशिक्षण सभी कार्मिकों को दिया. उन्होंने प्रशासनिक शब्दावली के सफल प्रयोग की आसान विधि की जानकारी दी.
तृतीय सत्र में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के सहायक निदेशक कमलाकांत पाठक ने दैनिक कार्यों के निष्पादन के लिए पत्राचार की महत्ता पर प्रकाश डाला. उन्होंने हिंदी में पत्राचार को सरल, सहज और अति प्रभावकारी बताया. उन्होंने पत्राचार के विभिन्न स्वरूपों जैसे सरकारी पत्र, अर्ध सरकारी पत्र, व्यक्तिगत पत्र व व्यावसायिक पत्र अन्य की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की. कार्यशाला में उपस्थित 70 से अधिक वैज्ञानिकों, तकनीकी एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रश्नोत्तर सत्र में विभिन्न प्रश्नों के द्वारा अपनी जिज्ञासा का समाधान प्राप्त किया.