जमशेदपुर.
कोल्हान विश्वविद्यालय के अधीन संचालित जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज पिछले 23 सालों से स्वतंत्र इकाई घोषित नहीं होने के कारण मूलभूत संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. इसे लेकर कॉलेज छात्र अमर तिवारी ने झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें मुख्य सचिव, यूजीसी समेत कुल 13 लोगों को पार्टी बनाया है, जिसमें विभाग की तरफ से जवाब में काउंटर एफिडेविट जमा किया था. उसमें बताया गया था कि प्रस्ताव पर कमेटी गठित कर ली गई है. अब याचिका पर मंगलवार को सुनवाई जस्टिस आनंदा सेन की अदालत में होने वाली है.
वादी की तरफ से अधिवक्ता सूरज सिंह पैरवी कर रहे है. मालूम हो कि सिर्फ नाम का सरकारी कॉलेज सिर्फ कागज पर, उच्च शिक्षा विभाग के अंगीभूत कॉलेजो की सूची में आजतक नाम दर्ज नही हो पाया. इसका कारण था इसे स्वतंत्र इकाई घोषित नहीं करना. 23 साल पूर्व यह पहले जमशेदपुर कॉ-ऑपरेटिव कॉलेज का एक विधि विभाग पर संचालित होता था, लेकिन वर्ष 2000 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के मापदंड के अनुसार विधि कॉलेज को अलग जगह पर स्वतंत्र रूप से चलने पर ही उसे स्थाई मान्यता दी जाएगी ऐसा मापदंड बनाया गया. इसके बाद जमशेदपुर कॉ-ऑपरेटिव कॉलेज द्वारा 5 एकड़ जमीन उसे कॉलेज की स्थापना के लिए दिया गया और उसमें दो कमरों का क्लास रूम भी निर्माण कराया गया और तब से आज तक उसके स्वतंत्र इकाई घोषित करने का प्रस्ताव विभाग के पास लंबित है.
इस कॉलेज से ओड़िशा के राज्यपाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास कानून की पढ़ाई कर चुके है. बावजूद इस कॉलेज की समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है. कॉलेज को कोई सरकारी फंड आवंटित नहीं हो पाता है.
विद्यार्थियों के फीस से कॉलेज संचालित हो रहा है और उसके मूलभूत संसाधनों की कमी के कारण बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से स्थाई मान्यता नहीं मिल पाती है. इस संबंध में विधायक सरयू राय ने भी विधानसभा में मामला उठाया था. विद्यार्थी अमर तिवारी ने कहा कि उन्हें न्यायालय पर भरोसा है वह विद्यार्थियों के हित में फैसला सुनाएंगे, लॉ कॉलेज स्वतंत्र इकाई घोषित होकर रहेगा.