- मामला पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी में हाई टेंशन की चपेट में आकर पांच हाथियों की मौत का
- प्लांटेशन में ट्रेंच महत्वपूर्ण प्रक्रिया : डीएफओ
- हाथियों की मौत का दोषी कौन! डीएफओ ने कहा- बिजली विभाग नहीं सुनता हमारी बात
- हाथियों का कब्रिस्तान बना पोटाश जंगल
- मारे गए पांच हाथियों में तीन मादा दो नर जिनमें 9 और 17 माह के दो शिशु
- ओड़िशा से विचरण पर आए हाथियों के झूंड के सदस्य थे पांचों हाथी, झूंड के और चार सदस्य पोटाश जंगल में ही छुपे हैं
- पोस्टमार्टम के बाद दफनाया गया
- उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित वेटरर्नरी रिसर्च इंस्टिट्यूट भेजा जाएगा बिसरा
सेंट्रल डेस्क, कैंपस बूम.
पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी प्रखंड स्थित ऊपरबांधा गांव के पोटाश जंगल में सोमवार की शाम हाई टेंशन की चपेट आकर मारे गए पांचों हाथी के शव का पोस्टमार्टम बुधवार को पशु चिकित्सकों की टीम ने किया जिसके बाद घटना स्थल पर ही सारे शव को दफना दिया गया. वहीं बिसरा को जांच के लिए उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पांचों हाथी ओड़िशा से विचरण पर पूर्वी सिंहभूम के जंगल में आए झूंड के सदस्य थे. इनमें तीन वयस्क दो शिशु थे. जिसमें तीन मादा और दो नर थे. तीनों वयस्क की उम्र 40 से 45 वर्ष के करीब थी जबकि दो शिशु थे जिनकी आयु महज 9 और 17 माह थी. यह सभी एक ही परिवार के थे. घटना स्थल और घटना के अनुसार करंट एक वयस्क हाथी को लगी होगी जो झूंड का नेतृत्व कर रहा होगा, संभवत: परिवार का मुखिया होगा. चुकी हाथी झूंड में एक दूसरे के काफी करीब होकर चलते हैं. ऐसे में किसी एक के करंट लगने पर अन्य उसकी चपेट में आ गए होंगे. क्योंकि दो शिशु की लंबाई इतनी नहीं थी कि वे तार के सीधे संपर्क में आते.
पांच हाथियों की एक साथ मौत को लेकर कैंपस बूम की टीम मुसाबनी ग्राउंड रिपोर्ट पर पहुंची और वस्तुस्थिति को समझने का प्रयास किया. घटना स्थल को देखकर वन विभाग और बिजली विभाग की लापरवाही साफ दिख रही थी. हाथियों की मौत भले ही अभी हुई हो, लेकिन 70 वर्ष पूर्व लगे हाई टेंशन अपने मानक ऊंचाई 14 मीटर (45 फीट) के बजाए महज 10 फीट की ऊंचाई से गुजारा गया है. इस हाई टेंशन से एचसीएल में बिजली आपूर्ती होती है. यानी उस दौरान ही बिजली विभाग की ओर से लापरवाही बरती गई. दूसरी सबसे बड़ी लापरवाही वन विभाग की ओर से गई है. दस वर्ष पूर्व ऊपरबांधा गांव के वन भूमि पर वनरोपण किया गया. पेड़ों को पानी मिल सके इसके लिए ट्रेंच बनाए गए. आश्चर्य की बात है कि ट्रेंच बिल्कुल हाई टेंशन के सीध में नीचे बनाए गए. इससे ट्रेंच के आसपास की भूमि ट्रेंच के लिए निकाली गई मिट्टी से और ऊंची हो गई. यानी हाई टेंशन जमीन की ऊंचाई से और नजदीक हो गया. सवाल यह उठता है कि क्या उस वक्त वन पदाधिकारियों को यह मालूम नहीं था कि ऐसी परेशानी हो सकती है. या उन्होंने इसे नजरअंदाज किया. क्योंकि हाथियों का मूवमेंट काफी वर्षों से इस क्षेत्र में रहा है. जिस जगह यह घटना हुई है यानी ट्रेंच के पास ठीक उसके दूसरी और पूर्व दिशा में धान की खेती है. कही न कहीं हाथियों का झुंड धान की सुगंध से खाने तलाश में बढ़ा और दर्दनाक हादसे का शिकार हो गया.
बिजली विभाग नहीं है संवेदनशील, नहीं सुनता है हमारी बात : डीएफओ ममता प्रियदर्शी
एक साथ पांच हाथियों की मौत को लेकर वन विभाग जमशेदपुर प्रमंडल के अधिकारियों पर कई सवाल खड़ा कर रहा है. आखिर विभाग हाथियों की सुरक्षा के लिए क्या कर रहा है? बुधवार को मुसाबनी के पोटाश जंगल में घटना स्थल पर पहुंची डीएफओ ममता प्रियदर्शी ने पत्रकारों के सवालों का सामना किया और उसका जवाब दिया, लेकिन उनका जवाब हर बार की तरह इस बार भी बिजली विभाग को दोषी ठहराने पर टिका रहा. हालांकि यह पूछने पर हर बार बिजली विभाग ही दोषी हाेता है, तो वन विभाग क्यों नहीं कोई बड़ी कार्रवाई करता है? इस पर डीएफओ ने कहा कि बिजली विभाग उनकी बात नहीं सुनता है. वह हाथियों के मामले में बिल्कुल संवेदशील नहीं है. उन्होंने इसमें एचसीएल को भी दोषी बताया है. कहा कि जो हाई टेंशन पोटाश जंगल से होकर गुजरा है वह एचसीएल में गया है. ऐसे में जितना दोषी बिजली विभाग है उतना ही एचसीएल है. डीएफओ के अनुसार एचसीएल के अधिकारियों को यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए था कि तार मानक ऊंचाई से ले जाया जाए.
की गई है शिकायत, कोर्ट में विचाराधीन है मामला : डीएफओ
हर बार बिजली विभाग के खिलाफ मुकदमा करने की धमकी दी जाती है, होता कुछ नहीं है. यह पूछने पर डीएफओ ममता प्रियदर्शी ने बताया कि इस माह एक और दो नवंबर को मारे गए दोनों हाथियों के मामले में शिकायत दर्ज की गई है. मामला कोर्ट में विचारधीन है. शिकायत पर मुकदमा दर्ज करने का अधिकार कोर्ट को है यह बात डीएफओ ममता प्रियदर्शी ने कही.