यूनिवर्सिटी अगर एक विंडो है तो वेबसाइट एक ड्रॉइंग रूम है : डॉ संजीव राय
जमशेदपुर.
झारखंड के राज्यपाल श्रीयूत सीपी राधाकृष्णन के ओएसडी (शिक्षा) डॉ संजीव राय ने झारखंड के विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ट संस्थान के रूप में विकसित करने को लेकर जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में एक अहम बैठक की. इसमें सर्वप्रथम कुलपति प्रो (डॉ) अंजिला गुप्ता ने उनका स्वागत किया और आश्वस्त किया कि कुलाधिपति की ओर से उच्च शिक्षा में विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ट संस्थान के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्तुत रोडमैप पर वीमेंस यूनिवर्सिटी की ओर से पूरा प्रयास किया जाएगा. उत्कृष्टता के लिए डॉ राय ने नौ विभिन्न आयामों को सामने रखा. सबसे पहले विजन और स्ट्रेटजी के अंतर्गत उन्होंने 2023 से 2035 तक के दूरगामी लक्ष्यों और उन्हें पूरा करने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा की. लर्निंग रिसोर्स प्रोवाइडर के बारे में उन्होंने यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी के ऑटोमेशन पर बल दिया. उन्होंने कहा कि एडमिशन लेने वाली छात्राओं के लिए एक वर्कशॉप का आयोजन शुरूआत में ही हो जिससे कि वो लाइब्रेरी का प्रभावी उपयोग कर सकें. वेबसाइट के बारे में उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी अगर एक विंडो है तो वेबसाइट एक ड्रॉइंग रूम है, जिसे हमेशा अपडेट करना आवश्यक है. वेबसाइट गतिशील और आकर्षक होना ही चाहिए. रिसर्च और इनोवेशन चौथी आवश्यकता है, जिसके लिए फैकल्टी और छात्राएं हमेशा तत्पर हों और इसके लिए सकारात्मक वातावरण का निर्माण हो. गवर्नेंस, लीडरशिप एंड मेंजमेंट पर उन्होंने बताया कि सूक्ष्म स्तर पर विश्लेषण करते हुए बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करना प्रभावी नेतृत्व और प्रबंधन के कारण संभव हो सकता है. उन्होंने टीचिंग, लर्निंग एंड इवेल्यूएशन के लिए कक्षागत व्यवहारों, शिक्षण रणनीतियों, अधिगम वातावरण अन्य में संरचनात्मक परिवर्तन पर जोर दिया. इसी क्रम में अगले बिंदु पर चर्चा करते हुए उन्होंने टीचिंग लर्निंग एंड स्टूडेंट सपोर्ट को अधिगम प्रतिफल से जोड़ा और बताया कि शिक्षा शिक्षक और विद्यार्थी दोनों के आपसी समन्वय का प्रतिफल है. इसलिए स्टूडेंट सपोर्ट शिक्षण की सफलता के लिए आवश्यक है. अगले आयाम स्पोर्ट्स एंड करिकुलर एरिया को विस्तार देते हुए उन्होंने को–करिकुलर एरिया को करिकुलर एरिया का अंग बताया जैसे कि स्पोर्ट्स को अध्ययन के साथ महत्वपूर्ण मानकर आगे बढ़ने की बात कही. अंतिम आयाम, थिएटर एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स में उन्होंने एनएसडी और एफटीआईआई के साथ मिलकर कार्यशाला आयोजित करने और छात्राओं की संरचनात्मकता को उचित तरीके से प्लेटफार्म प्रदान करने को कहा.
कम्युनिकेशन और कोलैबोरेशन पर दिया जोर
इन सभी आयामों में उत्कृष्टता के लिए कार्य करने के लिए उन्होंने दो सूत्र भी प्रदान किए, पहला कम्युनिकेशन अर्थात संप्रेषण और कोलैबोरेशन अर्थात सहयोग. प्रभावी संप्रेषण किसी भी कार्य की आधारशिला है और किसी भी कार्य के लिए क्षेत्र प्रतिनिधि के साथ उत्कृष्ट संस्थान के रूप में स्थापित प्रतिनिधि संस्थानों के साथ सहयोग आवश्यक है. झारखंड की क्षेत्रीय विशेषता को किसी भी कार्य और आयाम में मुख्य आधार मानकर योजना बनानी होगी. क्षेत्रीय संस्कृति, सामाजिक भावना और क्षेत्र की अपनी विशेषता हमेशा प्रतिबिंबित होनी चाहिए. अंत में उन्होंने भरोसा दिया कि संस्थान को हर कदम पर राजभवन की ओर से पूर्ण रूप से सहयोग किया जाएगा. साथ ही निश्चित रूप से सभी बाधाओं को दूर किया जाएगा. इस बैठक में रजिस्ट्रार, प्रॉक्टर, डीएसडब्ल्यू, कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन, सभी संकायों के डींस, डायरेक्टर, आईक्यूएसी, कोऑर्डिनेटर, स्पोर्ट्स एंड कल्चर कमिटी, एफओ, सीवीसी एवं डीओ उपस्थित थे.
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