- जगदगुरू रामानांदाचार्या राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय पूरे विश्व भर के लिए शुरू करने जा रहा है नि:शुल्क संस्कृत शिक्षण
- घर बैठे कर सकते हैं यह एक वर्षीय पाठ्यक्रम, वह भी बिना शुल्क दिए
- 30 सितंबर है ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि
- चार वर्ष आयु से लेकर 100 वर्ष के वृद्ध भी ले सकते हैं प्रवेश
- रात्रि 8 से 9 बजे तक लगेगी ऑनलाइन कक्षा
जमशेदपुर.
देश दुनिया के सबसे प्राचीन भाषाओं में संस्कृत शामिल है. संस्कृत में भाषा की उत्पत्ति के रहस्य हैं. संस्कृत कई भाषों की जननी भी कही जाती है. वेद, पुराण, आयुर्वेद के कई महान रचना संस्कृत भाषा में ही की गयी है. लेकिन दुर्भाग्य है कि समय के साथ संस्कृत के विकास, प्रसार के बजाय वह विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गयी. हालांकि अच्छी बात है कि वर्तमान में लाखों लोगों को संस्कृत पढ़ने, लिखने और सीखने में रुचि है. ऐसे लोग कई विकल्प की खोज करते हैं. अगर आप भी संस्कृत पढ़ना, लिखना और सीखना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए है. देश की वर्तमान और अगली पीढ़ी संस्कृत भाषा के साथ आगे बढ़े तो जरूरी है कि हम इसे अपनाए. आप सभी को जान कर खुशी होगी कि जयपुर स्थित जगदगुरू रामानांदाचार्या राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय पूरे विश्व भर के लिए नि:शुल्क संस्कृत शिक्षण पाठ्यक्रम की शुरूआत करने जा रही है. इसमें दाखिला के लिए ऑनलाइन आवेदन पिछले सात सितंबर से आरंभ कर दिए गए हैं, जो 30 सितंबर तक चलेगा. इस एक वर्षीय पाठ्यक्रम में 18 अलग अलग विषयों में पढ़ाई होगी.
ये होनी चाहिए योग्यता
इस कोर्स में दाखिला लेने के लिए आपकी उम्र कम से कम 04 वर्ष होनी चाहिए. इसमें 100 वर्ष के वृद्ध भी प्रवेश ले सकते हैं. विश्व के किसी भी देश में रहने वाले व्यक्ति इसके लिए आवेदन कर सकते हैं और पाठ्यक्रम कर सकते हैं. वहीं किसी प्रकार की पूर्व योग्यता की अनिवार्यता नहीं है.
ऐसे कराए पंजीयन
पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय के वेबसाइट jrrsanskrituniversity.ac.in पर जाकर ऑनलाइन गुगल फॉर्म भर कर आवेदन कर सकते हैं.
पाठ्यक्रम प्रारुप
पाठ्यक्रम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रारूप में आयोजित किए जा रहे हैं.
– ऑनलाइन शिक्षण रात्रि 8 से 9 बजे तक जूम पर ऑनलाइन, यूट्यूब पर लाइव प्रसारण के माध्यम से कर सकते हैं. वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध रहेगी.
– ऑफलाइन शिक्षण जगदगुरु रामानांदाचार्या राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर से किया जा सकता है.
इन 18 विषयों में होगी पढ़ाई
ज्योतिष, वास्तु, हस्तरेखा, पौरोहित्य/कर्मकांड, षोडश संस्कार, मंदिर प्रबंधन, वेद, धर्मशास्त्र, संस्कृत संभाषण, संस्कृत व्याकरण, शिशुसंस्कृत, भारतीय दर्शन, अध्यात्म व नीतिशास्त्र, श्रीमद्भगवद्गीता, योग, रामायण, संस्कृत साहित्य व वाड्गमय, संगीत
पाठ्यक्रम के बाद प्रमाण पत्र
एक वर्षीय पाठ्यक्रम पूर्ण होने के बाद प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा.
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