जमशेदपुर.
“जिंदगी आसान नहीं होती “
कहां जिंदगी आसान होती है,
जहां भी देखूं परेशान होती है।
सुबह आती फिर शाम होती है,
फिर सब कुछ श्मशान होती है।।
मुश्किलें भयावह शिथिल – सी,
अंगड़ाइयांं सब असहज होती है।
चल रहे पथ में कंटकें असंख्य ,
मन में चुभन पीड़ा असह्य होती है।।
अविराम चल रही न थकती है,
सांसो से निरंतर संवाद होती है।
न झुकती न टूटती अटल अडिग,
संस्कारों में पल रही होती है।।
नैराश्य से परे वैराग्य कहीं धरे,
जिंदगी को जिंदगी ढूंढ रही होती है।
बदलती सुख दुःख के ताजों को,
मूक बन वो मुझे देख रही होती है।।
ढूंढ़ रही हूं जर्रे जर्रे स्वप्न सुनहरे,
शंखनाद वसुंधरा पर होती है।
कर में परिश्रमी अस्त्र शस्त्र लिए,
हैरान जिंदगी मुझे देख रही होती है।।
कहां जिंदगी आसान होती है,
जहां भी देखूं परेशान होती है।
सुबह आती फिर शाम होती है,
फिर सब कुछ श्मशान होती है।।
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