- झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संविदा शिक्षक संघ के आह्वान पर राज्य भर के सभी विवि, महाविद्यालय में कार्यरत आवश्यकता आधारित शिक्षकों ने शिक्षकों के साथ दुर्व्यहार के विरोध में किया प्रदर्शन
- मामला बीबीएमकेयू में आवश्यकता आधारित शिक्षक डॉ रेणु सिन्हा और डॉ वीणा झा शर्मा के साथ महाविद्यालय और विश्वविद्यालय पदाधिकारियों के द्वारा अमर्यादित व्यवहार किए जाने का
जमशेदपुर.
झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संविदा शिक्षक संघ के आह्वान पर कोल्हान विश्वविद्यालय सहित राज्य के सभी सात विश्वविद्यालय में आवश्यकता आधारित शिक्षकों ने बीबीएमकेयू में आवश्यकता आधारित शिक्षक डॉ रेणु सिन्हा और डॉ वीणा झा शर्मा के साथ महाविद्यालय और विश्वविद्यालय पदाधिकारियों के द्वारा अमर्यादित व्यवहार किये जाने के बिरोध में काला बिल्ला लगाकर कार्य किया.
मालूम हो कि बिते दिनों एसएसएलएनटी महाविद्यालय धनबाद की शिक्षिका डॉ वीणा झा शर्मा ने प्राचार्या और विश्वविद्यालय पदाधिकारियों के प्रताड़ना से तंग आकर कॉलेज कैंपस में ही आत्महत्या करने की कोशिश की थी. उसके कुछ दिन पूर्व स्टील सिटी कॉलेज बोकारो की शिक्षिका डॉ रेणु सिन्हा ने प्राचार्य और विभागाध्यक्ष पर प्रताड़ना की शिकायत करते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी.
संघ ने आरोप लगाया है कि लगभग सभी विश्वविद्यालयों में आवश्यकता आधारित संविदा शिक्षकों के साथ उचित व्यवहार नहीं किया जाता है. यदा कदा उनके मानदेय में भारी कटौती कर उन्हें आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. इन घटनाओं के विरोध में राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के आवश्यकता आधारित शिक्षकों ने आज संघ के पूर्व योजना के तहत काला बिल्ला लगाकर कार्य किया.
संघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश पांडे ने बताया कि आज के इस प्रदर्शन को सफल बनाने में कोल्हान विश्वविद्यालय सहित राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में कार्यरत लगभग 600 आवश्यकता आधारित सहायक प्राध्यापकों का विशेष योगदान रहा.
राज्यपाल सह कुलाधिपति झारखंड के नाम चार बिंदु पर मांगपत्र
– आवश्यकता आधारित संविदा शिक्षकों को प्रताड़ित करने वाले पदाधिकारियों पर अविलंब कार्यवाई की जाए।
– चूंकि ये सारे शिक्षक यूजीसी के मापदंडों को पूरा करने के बाद, झारखंड सरकार द्वारा तय आरक्षण रोस्टर को पालन करते हुए नियुक्त किये गए हैं, इसलिए इनकी सेवा को नियमित किया जाये.
– सरकार जब तक सेवा नियमित नहीं करती तब तक इन्हें यूजीसी द्वारा सहायक प्राध्यापकों को दिये जाने वाले मानदेय फिक्स करते हुए इनकी सेवा 65 सालों के लिए कर दिए जाए.
– आवश्यकता आधारित शिक्षकों का मानदेय में कटौती करने वाले महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जाए.