- झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय इंटरमीडिएट अनुबंध शिक्षक एवं शिक्षकेतर मोर्चा मिला मुख्यमंत्री चंपई सोरेन से राखी अपनी माग,मिला आश्वासन
रांची/जमशेदपुर
झारखंड राज्य के 65 अंगीभूत डिग्री महाविद्यालयों के इंटरमीडिएट प्रभाग में कार्यरत शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर आज देर शाम मुख्यमंत्री चंपई सोरेन से उनके रांची स्थित आवास में मिला. झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय इंटरमीडिएट अनुबंध शिक्षक एवं शिक्षकेतर मोर्चा के बैनर तले मिले प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से अपने समायोजन की मांग को रखा. मालूम हो कि नई शिक्षा नीति 2020 के लागू होने से डिग्री कॉलेजाें में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद करने की बात कही गई है. यह नियम इसी वर्ष 2024 से लागू की जा रही थी, लेकिन मोर्चा की मांग और आंदोलन का असर हुआ कि 2023-25 सत्र के लिए दाखिला की अनुमति देने का आदेश सरकार को देना पड़ा. लेकिन डिग्री कॉलेज में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद होनी यह तय है. ऐसे में इंटमीडिएट में अनुबंध पर पढ़ा रहे शिक्षक, कर्मचारी कहां जाएंगे. राज्य के 65 कॉलेजों में 500 से ज्यादा शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी कार्यरत है. इनके सामने जीवन यापन की समस्या खड़ी हो जाएगी.
समायोजन की है मांग
मालूम हो कि राज्य के सभी 65 अंगीभूत डिग्री कॉलेज में संचालित इंटरमीडिएट प्रभाग में एक भी नियमित शिक्षक या कर्मचारी नहीं है. पूरा प्रभाग ही अनुबंध पर चल रहा है. वहीं नई शिक्षा नीति के अनुसार डिग्री कॉलेज में इंटर की पढ़ाई बंद होने से प्लस टू स्कूल, इंटर कॉलेज में विद्यार्थियों का लोड बढ़ेगा. ऐसे में मोर्चा की मांग है कि जिन प्लस टू स्कूल, इंटर कॉलेज में विद्यार्थियों को समायोजित किया जाएगा. उसी आधार पर शिक्षक, कर्मचारियों को भी समायोजित किया जाए. इससे शिक्षकों, कर्मचारियों की समस्या भी दूर होगी और उनके जीविकोपार्जन भी बच जाएगा.
मुख्यमंत्री को सौंपा मांग पत्र
मोर्चा ने मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को जो मांग पत्र सौंपा है उसमें कहा गया है कि नई शिक्षा नीति के तहत इंटरमीडिएट के पाठ्यक्रम को महाविद्यालयों से अलग करते हुए स्कूली शिक्षा में शामिल किया जा रहा है. लिहाजा हम इंटरमीडिएट शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों के समक्ष रोजगार का संकट उत्प्न हो गया है. क्योंकि महाविद्यलयों में इंटर को अलग किया जा रहा है परंतु हमारा समायोजन प्लस 2 स्कूलों में नही किया जा रहा है. कहना चाहते हैं कि प्लस टू स्कूलों में हमारा समायोजन किया जाए. वर्ष 2008 से हम अपनी सेवा आज की तिथि तक देते आ रहे हैं. हेमंत सोरेन के पहल पर पिछले वर्ष नामांकन हुआ था और उन्होंने कहा था कि समायोजन की दिशा में काम करेंगे क्योंकि हम बसाते है उजाड़ते नहीं. प्लस टू स्कूलों में समायोजन की दिशा में सरकार कदम उठाती है तो हम सभी शिक्षकों का भला हो जाएगा और हम अपने घर परिवार को भी अच्छे तरीके से चला पाएंगे.