- अपग्रेडेड टाटा वर्कर्स यूनियन हाई स्कूल में विद्यार्थियों ने बनाए चंद्रयान 3 के मॉडल
- बेहतर मॉडल के लिए विद्यार्थी को दिया गया जूनियर कलाम का खिताब, पहनाया गया विग
जमशेदपुर.
चंद्रयान 3 चांद के सफर पर है. खुशी की बात है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान-3 मिशन की दूसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया को दूसरी बार सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. निर्धारित तिथि 23 अगस्त तक चंद्रयान 3 चांद पर उतरेगा. चंद्रयान 3 के प्रक्षेपण को लेकर पूरी दुनिया की निगाह भारत पर है. इधर दूसरी ओर जमशेदपुर के कदमा स्थित अपग्रेडेड टाटा वर्कर्स यूनियन हाई स्कूल में सोमवार को चंद्रयान बनाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. कक्षा आठवीं से 12वीं के करीब सौ विद्यार्थियों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और अपनी वैज्ञानिक सोच को प्रदर्शित किया. जहां एक ओर चंद्रयान चांद के सफर पर है और हर घंटे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, वहीं विद्यार्थी अपनी वैज्ञानिक सोच की उड़ान भर रहे हैं. टाटा वर्कर्स यूनियन हाई स्कूल में आयोजित प्रतियोगिता में बच्चों ने चंद्रयान 3 से संबंधित एक से बढ़ एक मॉडल तैयार किया और प्रदर्शित किया, जिसे शिक्षकों और निर्णायक मंडली ने खूब सराहा. इसके पूर्व शिक्षकों ने बच्चों को चंद्रयान 3, इसरो से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी. मौके पर स्कूल के सारे शिक्षक विशेष तौर पर प्रिंसिपल सेतेंग केरकेट्टा और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका शिप्रा मिश्रा, निर्णायक मंडली सदस्य के तौर पर मिठ्ठू साहा, सेफाली महतो, मनीष कुमार मिश्रा मौजूद रहे.
बेहतर मॉडल के लिए दिया गया जूनियर कलाम खिताब
चंद्रयान 3 मॉडल प्रदर्शनी में सबसे बेहतर मॉडल के लिए 10वीं कक्षा के विद्यार्थी वीर लोहार को जूनियर कलाम का खिताब दिय गया. साथ ही वीर लोहार को डॉ कलाम की तरह बालों वाला विग भी पहनाया गया. इससे बच्चों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिला.
14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान 3 को हुआ था प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने चंद्रयान 3 को 14 जुलाई की दोपहर 2:35:17 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया है. इसरो द्वारा यह भी पुष्टि कर दी गयी है कि 23 अगस्त की शाम यह चांद पर पहुंच जाएगा.
जाने चंद्रयान 3 की यात्रा
चंद्रयान 3 चांद पर पहुंचने से पहले तीन चरणों को पूरा करेगा, पहला पृथ्वी के कक्षा में स्थापित, दूसरा ट्रांस लुनार इंजेक्शन और तीसरा चंद्र की कक्षा में स्थापना. इन तीनों चरणों को पूरा करने के बाद प्रोपल्शन मॉडल से लैंडर अलग हो जाएगा और चंद्रमा के नजदीक के कक्ष में प्रवेश कर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा.
क्या होगी रफ्तार
दोपहर 2 बजे रॉकेट बूस्टर के साथ लांच होने के बाद चंद्रयान 3 की शुरुआती रफ्तार 1627 किलोमीटर प्रति घंटा रही. वहीं, 108 सेकंड के बाद 45 किमी की ऊंचाई पर लिक्विड इंजन शुरू होते ही इसकी गति बढ़कर 6737 किमी प्रतिघंटा हो गई थी. वहीं, 62 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रयान 3 से दोनों रॉकेट बूस्टर अलग हो गए, जिसके साथ ही रॉकेट की रफ्तार 7 हजार किलोमीटर प्रति घंटे हो गई. करीब 92 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 को वायुमंडल की ताप से बचाने वाली हीट शील्ड अलग हो गई. वहीं, 115 किमी की ऊंचाई पर अब तक चंद्रयान 3 को ला रहे इसके लिक्विड इंजन भी अलग हो गए और यहां से क्रॉयोजनिक इंजन काम करना शुरू कर दिया हैं. इस दौरान चंद्रयान-3 की लगभग 16 हजार किलोमीटर तक पहुंच चुकी थी. इसके बाद चंद्रयान 3 को क्रॉयोजनिक इंजन ने तकरीबन 179 किमी तक ले गई. जहां इसकी रफ्तार 36968 किमी प्रति घंटे पहुंच थी.
जानिए चांद का सफर
पृथ्वी के कक्षा में स्थापित होने के बाद चंद्रयान 3 पांच परलवायाकर चक्र लगाएगा. इसके बाद इसे काफी तेज रफ्तार से चंद्रमा के कक्ष में इंजेक्ट होगा और वहां पर इसकी कक्षा का आकार परलवायाकर होगी. यहां यह अपने चार चक्रों के बाद चंद्रमा के काफी करीब पहुंच जाएगा. लगभग 40-50 दिनों में 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद इसका लैंडर प्रोपल्शन से अलग होने के बाद चांद के सतह के 30 किमी की दूरी पर सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू करेगा. इसके लिए सही जगह और सही समय दोनों की टाइमिंग की गणना की जा चुकी है.
चंद्रयान 3 के साथ ऑर्बिटर नहीं भेजा गया
चंद्रयान 3 के साथ लैंडर और रोवर दोनों मौजूद हैं लेकिन इसके साथ ऑर्बिटर नहीं भेजा गया है. लेकिन क्यों? मालूम हो कि 2019 में चंद्रयान 2 की लैंडिंग सॉफ्ट नहीं रही थी, जिसके वजह से इसके रोवर से संपर्क टूट गया था लेकिन उसका ऑर्बिटर अभी भी सही काम कर रहा जिसके वजह से इसे चंद्रयान 3 के साथ नहीं भेजा गया था.
बड़ा है महत्व
इस मिशन का टारगेट लैंडर का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराना है. दूसरा टारगेट इसके रोवर की चांद की दक्षिणी ध्रुव पर चहलकदमी करना और तीसरा टारगेट चंद्रमा की उस रहस्य से पर्दा उठाना जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है. चंद्रमा पर मौजूद खनिज लवण, दक्षिणी ध्रुव पर पृथ्वी की रेफ्लेक्टेड लाइट और मूनक्वेक की स्टडी करना.
नोट : चंद्रयान से संबंधित कुछ जानकारी अन्य दूसरे सोशल साइट और न्यूज वेबसाइट से ली गयी है