- टाटा मेन हॉस्पिटल झारखंड का पहला संस्थान जिसने पूरी तरह से कार्यात्मक वैस्कुलर सर्जरी यूनिट की शुरुआत की है
डॉ प्रशांत रमन, जमशेदपुर.
जैसे-जैसे चिकित्सा विज्ञान विकसित हो रहा है, उसमें नई सुपर स्पेशलाइजेशन सेवाएं जुड़ रही हैं। आधुनिक चिकित्सा शरीर के विभिन्न प्रणालियों को अधिक गहराई से समझ रही है और अलग-अलग रोगों के प्रबंधन को अधिक विशिष्टता के साथ कर रही है। आज हम जिस विशेषता पर चर्चा कर रहे हैं वह है रक्तवाहिका संबंधी रोग।
रक्तवाहिका रोग, वैस्कुलर सिस्टम की बीमारियां हैं। वैस्कुलर सिस्टम वह प्रणाली है जिसमें रक्त वाहिकाएं और चैनल शामिल होते हैं, जो हृदय से शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त और लिंफैटिक या लसीका को ले जाते हैं और वापस लाते हैं।
रक्तवाहिका रोगों को व्यापक रूप से इन रक्त वाहिकाओं की बीमारियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसे आर्टेरियल (जो रक्त को हृदय से दूर ले जाती हैं), वीनस (जो हृदय की ओर ले जाती हैं) और लिंफेटिक सिस्टम (जो बड़े अणुओं को ले जाने का काम करती है) में वर्गीकृत किया गया है।
ये बीमारियां विभिन्न कारणों से इनमें रुकावट, वाहिका की दीवार से जुड़ी बीमारियों और जख्मों के कारण उत्पन्न हो सकती हैं।
रक्त वाहिकाएं शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, इसलिए यदि समय पर पहल न की जाए तो किसी भी प्रकार की आपूर्ति में कटौती या बाधित रक्त प्रवाह गंभीर परिणामों के कारण बन सकते हैं।
रक्तवाहिका रोगों से संबंधित सामान्य स्थितियां हैं डायबिटीज मेलिटस, उच्च रक्तचाप, गतिहीन जीवनशैली और धूम्रपान। आर्टेरियल रोगों के सामान्य लक्षण है चलने पर दर्द होना, जो धीरे-धीरे असमर्थता की ओर ले जाता है और अंततः आराम करने पर भी दर्द होना और गैंग्रीन का कारण बन सकता है। जबकि वीनस रोग अचानक गंभीर दर्द और अंगों में सूजन, लगातार सूजन/धीमा दर्द, विस्तारित टेढ़ी-मेढ़ी नसें, पैरों का रंग बदलना और न ठीक होने वाला घाव या स्रावित अल्सर के रूप में प्रकट हो सकते हैं।
इस विषय से जुड़ा एक प्रमुख चिंता का क्षेत्र प्रमुख रक्त वाहिकाओं में चोटों के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएं हैं, जो शरीर के एक हिस्से में रक्त की आपूर्ति को अचानक बंद कर देती हैं। यदि समय पर (आमतौर पर 6 घंटे का समय महत्वपूर्ण माना जाता है) इसका इलाज न किया जाए, तो इससे पूरे अंग या अंग के हिस्से का नुकसान हो सकता है। ऐसे मरीजों की शीघ्र पहचान और रेफरल बेहद महत्वपूर्ण है जो प्राथमिक संपर्क सूत्र (स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता) द्वारा किए जाते हैं।
वैस्कुलर विशेषज्ञ वे चिकित्सक होते हैं जिन्हें ऐसे रोगों के इलाज के लिए विशेष प्रशिक्षण प्राप्त होता है। वे चिकित्सा प्रबंधन के साथ-साथ शल्य चिकित्सा में भी कुशल होते हैं। वे ओपन सर्जरी और एंडोवैस्कुलर मैनेजमेंट दोनों में समान रूप से प्रशिक्षित होते हैं और यह उन्हें उन चिकित्सकों से अलग बनाता है जो केवल एक तरीके की चिकित्सा प्रदान करते हैं।
टाटा मेन हॉस्पिटल झारखंड का पहला संस्थान है जिसने पूरी तरह से कार्यात्मक वैस्कुलर सर्जरी यूनिट की शुरुआत की है। पिछले 6 महीनों में कई अंगों और जीवन को त्वरित वैस्कुलर सर्जिकल चिकित्सा के माध्यम से बचाया गया है।
इस लेख के लेखक डॉ प्रशांत रमन टाटा मेन हॉस्पिटल के वैस्कुलर और एंडोवैस्कुलर सर्जरी विभाग में कंसल्टेंट के पद पर सेवा दे रहे हैं.