- प्रत्येक सप्ताह 16 क्लास लेना होगा अनिवार्य
- प्रत्येक टीचिंग क्लास एक घंटे का होगा
- दो घंटे के नन टीचिंग वर्क को एक क्लास के बराबर माना जायेगा
- क्लास नहीं लेने यानी सप्ताह में निर्धारित क्लास में कमी होने पर प्रत्येक नौ रुपये की कटौती मानदेय से की जायेगी
जमशेदपुर.
झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य भर के विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे घंटी आधारित शिक्षकों की मांगों को पूरा करते हुए उनके मानदेय में वृद्धि पर मुहर लगा दी है. साथ उनके पदनाम यानी घंटी आधारित शिक्षक को भी बदलते हुए आवश्यकता आधारित सहायक प्रध्यापक के नाम दिया गया है. इसको लेकर कोल्हान विश्वविद्यालय की ओर से प्रवक्ता डॉ पीके पाणि द्वारा जानकारी साझा करते हुए इससे संबंधित नियम व शर्तों को बताया गया है. उन्होंने बताया है कि पहले जहां इन शिक्षकों को प्रत्येक माह अधिकतम 36 हजार रुपये मानदेय दिया जाता था अब इसे बढ़ा कर 57,700 रुपये कर दिया गया है. हालांकि इसके साथ कई अन्य शर्तों को जोड़ा गया है. इन प्रध्यापकों को सप्ताह में कम से कम 16 क्लास लेना अनिवार्य होगा. एक क्लास की अवधि एक घंटे की होगी. वहीं इन शिक्षकों को कॉलेज के स्थायी प्रध्यापकों की तरह अन्य गैर शैक्षणिक कार्य करने होंगे. कॉलेज में वर्कशॉप, लेबोरेटेरी, फिल्ड, नैक, आइक्यूएसी द्वारा संचालित कार्य, डिटोरियल, रेमेडियल क्लास, इंटर्नल इक्जाम ड्यूटी अन्य में सहयोग करना होगा. इन कार्यों में दो घंटे की अवधि की ड्यूटी को एक क्लास के बराबर माना जायेगा. यानी प्रत्येक दो घंटे के गैर शैक्षणिक कार्य एक क्लास के बराबर होगा. सप्ताह में निर्धारित क्लास में कमी होने पर प्रत्येक क्लास नौ सौ रुपये की कटौती कर मासिक मानदेय दिया जायेगा. इनके क्लास व उपस्थिति की जिम्मेदारी कॉलेज प्राचार्य, बर्सर और विभागीय हेड की होगी. छुट्टियों के दौरान अगर कॉलेज में नन टीचिंग वर्क किये जा रहे हैं, तो उसमें भी आवश्यकता आधारित सहायक प्रध्यापक को कार्य करना अनिवार्य होगा. इनका मान सम्मान भी रेगुलर शिक्षकों की तरह रहेगा. इनके संबंध में जारी दिशा निर्देश 11 मई 2023 से प्रभावी माना जायेगा.
नहीं होंगे रिप्लेस
प्रवक्ता डॉ पीके पाणि ने यह भी स्पष्ट किया है कि इनका सेवा विस्तार अवधि तब तक मान्य होगा जब तक सरकार स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो जाती है. किसी भी हाल में वर्तमान में कार्यरत इन अध्यापकों को हटा कर दूसरे को नहीं लिया जायेगा. अगर बैक लॉक की भरपाई की जाती है या नियमित नियुक्ति होती है तो खाली रहे पदों पर मेरिट के आधार पर अन्य शिक्षकों को रखा जायेगा.
आयु सीमा भी हुई निर्धारित
आवश्यकता आधारित सहायक प्रध्यापकों को लेकर उम्र सीमा का निर्धारण भी कर दिया गया है. बताया गया है कि इन शिक्षकों का उम्र सीमा 65 वर्ष से ज्यादा नहीं होगा. यानी वर्तमान में कार्यरत ऐसे शिक्षक जिनकी आयु 65 वर्ष पूरी हो जाती है, स्वत: उनकी सेवा समाप्त हो जायेगी.
अनुशासनहीनता पर सेवा हो सकती है समाप्त
यह निर्देश जारी किया गया है कि अगर आवश्यकता आधारित सहायक प्रधायक शिक्षक कॉलेज में अनुशासनहीनता करते हैं या गलत महाविद्यालय विरुद्ध कार्यों में संलिप्त पाये जाते हैं, तो प्राचार्य, बर्सर व संबंधित विभागीय हेड इसकी सूचना संबंधित विश्वविद्यालय प्रबंधन तक देंगे. जांचोपरांत (निर्धारित नियम के तहत) ऐसे शिक्षक पर कार्रवाई करते हुए सेवा समाप्त भी की जा सकती है.