इंटर में दाखिला के लिए कहां जाये विद्यार्थी, डिग्री कॉलेजों में दाखिला बंद, लेकिन लें कहां नहीं है जानकारी
– राज्य में 62 अंगीभूत डिग्री कॉलेज, जहां होती है (इस साल से संशय) इंटर की पढ़ाई
– 96 हजार सीट इंटर की है इन कॉलेजों में
– अंगीभूत कॉलेजा में इंटर की पढ़ाई बंद होने से कहां जायेंगे 96 हजार विद्यार्थी
– 634 प्लस टू स्कूल राज्य में है
– 291 इंटर कॉलेज है संचालित
– 4,07,559 विद्यार्थियों ने इस वर्ष पास की है जैक से 10वीं बोर्ड की परीक्षा
– पांच लाख बच्चे लगभग प्लस टू, इंटर में हैं अध्ययनरत
– विषयवार शिक्षकों की संख्या न केवल कम बल्कि समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, राजनीति विज्ञान, दर्शनशास्त्र, क्षेत्रीय भाषा, कंप्यूटर जैसे विषय के शिक्षक है ही नहीं.
– झारखंड बनने के बाद आज तक नहीं हुई प्लस टू शिक्षकों की नियुक्ति
– 2018 में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई शिक्षा विभाग की बैठक में शिक्षकों की नियुक्ति का दिया था आदेश, नतीजा अब तक शून्य
– 5610 शिक्षक और 690 प्रयोगशाला सहायक की नियुक्ति का दिया था आदेश
जमशेदपुर.
इंटर में दाखिला के मामले में नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर राज्यभर में विचित्र स्थिति बनी हुई है. नई शिक्षा नीति के तहत डिग्री कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई नहीं होनी है. वर्ष 2022 में इसको लेकर अंतिम आदेश भी निकाल दिया गया था. लेकिन कॉलेजों को यह स्पष्ट नहीं किया गया कि उन्हें दाखिला लेना है या नहीं लेना है. आदेश के अलग अलग कॉलम में निर्देश से ही भ्रम है, जिसका जिक्र कैंपस बूम ने इसके पूर्व के पोस्ट में किया था. इसमें मैपिंग सबसे बड़ा मुद्दा था. डिग्री कॉलेजों का स्थानीय प्लस टू स्कूलों से मैपिंग किया जाना था, जो अब तक नहीं हो पाया है. अब सबसे बड़ी समस्या दो बातों को लेकर है. शहरी क्षेत्र में सरकारी प्लस टू स्कूल और इंटर कॉलेजों की संख्या इतनी नहीं कि 10वीं में उत्तीर्ण सभी विद्यार्थियों का दाखिला लिया जा सके, जो हैं भी उनमें मूलभूत सुविधा, संसाधन, शिक्षकों की भारी कमी है. बिल्डिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर को छोड़ भी दें, तो सबसे बड़ी समस्या शिक्षकों को लेकर है.
राज्य 634 प्लस टू स्कूल और 291 इंटर कॉलेज है. वहीं शिक्षकों की संख्या को देखे तो स्थिति काफी खराब है. 55 बच्चों पर एक शिक्षक हैं. अब ऐसे में महज प्लस टू स्कूल व शिक्षकों के भरोसे बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी. इसको समझा जा सकता है. अगर बात 2023 के 10वीं बोर्ड परीक्षा की करें, तो इस बार कुल 4,07,559 विद्यार्थियों ने मैट्रिक की परीक्षा पास की है जिन्हें इंटर में दाखिला लेना है. राज्य में 62 अंगीभूत डिग्री कॉलेज है जहां पिछले वर्ष तक इंटर की पढ़ाई होती थी. 62 कॉलेजों में इंटर के तीनों संकाय के 96 हजार सीट थे. अब इस बात से समझिए कि इन कॉलेजों में पढ़ने वाले 96 हजार बच्चे कहां जायेंगे. पूर्वी सिंहभूम की बात करें, तो यहां 29 प्लस टू स्कूल और 11 इंटर कॉलेज है. लेकिन अगर शहरी क्षेत्र में बात करें, तो महज पांच सरकारी प्लस टू स्कूल है और तीन इंटर कॉलेज है. इस वर्ष पूर्वी सिंहभूम में तकरीबन 21 हजार विद्यार्थी जैक से 10वीं बोर्ड पास किये हैं जिसमें 35 से 40 प्रतिशत विद्यार्थी शहरी क्षेत्र के हैं. अब ऐसे में ये 40 प्रतिशत बच्चे सीधे तौर पर इंटर की पढ़ाई के लिए डिग्री कॉलेज में संचालित इंटर कोर्स पर निर्भर है. इन बच्चों को प्लस टू स्कूल और इंटर कॉलेज की जानकारी भी नहीं है. पूर्वी सिंहभूम के प्लस टू स्कूलों के लिए 200 से ज्यादा शिक्षकों का पद सृजित है जबकि 50 प्रतिशत से भी कम 90 से 95 टीचर इन स्कूलों में कार्यरत है. अब ऐसे में क्या और कैसे पढ़ाई होगी. इसको लेकर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है और न ही इस बिंदु पर कोई विचार करने को तैयार है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि इंटर उनका मामला नहीं है, कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि वे तैयारी में है शिक्षा विभाग के आदेश का इंतजार है. शिक्षा विभाग का कहना है कि बच्चे प्लस टू स्कूलों और इंटर कॉलेजों में दाखिला लें. लेकिन आश्चर्य की बात है कि बच्चे क्या करें यह कोई नहीं बता रहा है.
अधिकतर विद्यार्थियों को यह नहीं मालूम कि कहां कहां है प्लस टू स्कूल, कॉलेज के लगा रहे चक्कर :
शिक्षा विभाग एक ओर संशय की स्थिति में है, और कोई स्पष्ट बयान, जानकारी साझा नहीं किया जा रहा है. दूसरी ओर अधिकारी यह कह रहे है कि बच्चे सरकारी प्लस टू स्कूल और इंटर कॉलेजों में दाखिला ले. लेकिन आश्चर्य की बात है अब तक अधिकारी यह कहने के लिए सामने नहीं आये हैं कि कहां कहां प्लस टू स्कूल है? कितने और कहां इंटर कॉलेज है? कहां कितनी सीटें हैं, कहां-कहां, कौन-कौन विषयों की पढ़ाई होती है? यह जानकारी विद्यार्थियों को है ही नहीं. ऐसे में विद्यार्थी जो निजी स्कूलों से जैक 10वीं बोर्ड पास किये, उन्हें तो यह मालूम ही नहीं है कि शहर में कहां कहां सरकारी प्लस टू स्कूल है. वे तो बस कॉलेजों के बारे में जानते हैं और एडमिशन के लिए हर दिन कॉलेज के चक्कर लगा रहे है. कॉलेज में यह तो बताया जा रहा है कि अभी दाखिला नहीं हो रहा है, लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है कि वे कहां दाखिला ले सकते हैं.
विषयवार शिक्षकों की कमी, प्रयोगशाला व प्रशिक्षित स्टाफ कहां से लायेंगे :
सरकारी प्लस टू स्कूल में पहले से ही शिक्षकों की संख्या बच्चों की संख्या के अनुपात व सृजित पदों के मुकाबले आधी भी नहीं है. विषयवार शिक्षकों की संख्या न केवल कम है बल्कि समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, राजनीति विज्ञान, दर्शनशास्त्र, क्षेत्रीय भाषा, कंप्यूटर जैसे विषय के शिक्षक है ही नहीं. दूसरी ओर इंटर के साइंस की पढ़ाई में प्रयोगशाला की आवश्यकता होती है. अधिकतर स्कूलों में तो लैब ही नहीं है. जहां है वहां तकनीकी जानकार नहीं है. ऐसे में साइंस की पढ़ाई किसके भरोसे होगी.
स्कूलों में सीट बढ़ाने की कवायद, लेकिन कहां से लायेंगे शिक्षक, अन्य संसाधन :
डिग्री कॉलेजों में इंटर का दाखिला बंद होने के बाद प्लस टू स्कूलों में दाखिला के लिए सीट बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है. सीट बढ़ाने के फैसले पर मुहर भी लग सकता है, लेकिन यह समझिए कि शिक्षक व अन्य सुविधाओं, संसाधन की व्यवस्था क्या इतनी तत्पर्ता और तत्काल किया जा सकेगा. इस सवाल का जवाब आप जानते ही हैं जब शिक्षकों की नियुक्ति 23 वर्ष में नहीं हुई, तो आगे क्या स्थिति होने वाली है.
प्लस टू स्कूल और इंटर कॉलेज में दाखिला जारी, लेकिन पब्लिक नोटिस अब तक नहीं :
डिग्री कॉलेजों में उहापोह की स्थिति में अब तक इंटर में दाखिला शुरू नहीं हो सका है. इधर सरकारी प्लस टू स्कूल और इंटर कॉलेजों में दाखिला आरंभ कर दिया गया है. लेकिन आश्चर्य है कि यहां दाखिला की जानकारी वैसे विद्यार्थियों को नहीं है जो डिग्री कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई होने के बारे में जानते हैं. आश्चर्य यह भी है कि अब तक जिला स्तर पर भी शिक्षा विभाग की ओर से यह नहीं बताया गया है या पब्लिक नोटिस जारी नहीं किया गया है कि कहां-कहां प्लस टू स्कूल है जहां दाखिला आरंभ है.