- ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन का 37वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया
- पश्चिम बंगाल के झारग्राम स्थित ट्राइबल लाइब्रेरी में आयोजित समारोह शामिल हुए संथाली साहित्य के दिग्गज
झाड़ग्राम प. बंगाल.
पश्चिम बंगाल के झारग्राम स्थित ट्राइबल लाइब्रेरी, घोड़ाधारा में ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन द्वारा संस्था का 37वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया. समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में झाड़ग्राम के सांसद पद्मश्री कालीपद सोरेन, विशिष्ट अतिथि के रूप में झाड़ग्राम जिला परिषद् चेयरमैन चिन्मयी हांसदा, उड़ीसा के साहित्यकार पद्मश्री डॉ दामयन्ती बेसरा, पूर्व चेयरमैन झाड़ग्राम प्रखंड रेखा सोरेन, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता निरंजन हांसदा, साहित्य अकादमी नई दिल्ली के संताली के पूर्व समन्वयक डॉ गंगाधर हांसदा, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त AISWA के फाउंडर मेम्बर गोराचन्द मुर्मू, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता भुजंग टुडू, साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार विजेता मानसिंह मांझी, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता तुरिया चांद बास्के, पूर्व महासचिव सचिन मांडी अन्य मौजूद रहे.
सभा के प्रारम्भ में AISWA के अध्यक्ष लक्ष्मण किस्कु ने संगठन का पताका फहराया तथा सभी अतिथियों के साथ महान दिवंगत लेखकों – रामदास टुडू ‘रेस्का’, साधू रामचंद मुर्मू, गुरु गोमके पं. रघुनाथ मुर्मू , रूपचांद हांसदा, जादुमानी बेसरा के चित्र पर माल्यार्पण कर किया. सभा का संचालन AISWA के महासचिव रबिन्द्र नाथ मुर्मू तथा धन्यवाद ज्ञापन AISWA प. बंगाल शाखा के सचिव दीजापोदो हांसदा ने किया.
इस समारोह में रबिन्द्र नाथ मुर्मू ने यह जानकारी दिया गया कि AISWA ने इन 36 वर्षों बाद इस जगह ट्राइबल लाइब्रेरी का एक वर्ष पूर्व स्थापना किया था. लाइब्रेरी का भी आज प्रथम वर्षगाँठ है और आज का दिन ही सभी सदस्यों को जानकारी देते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि हमने लगभग 1 एकड़ जमीन को एक्वायर करने का पूरा प्रोसेस कर लिया. जिसपर जल्द ही 600 लोगों का एक सम्मेलन हॉल, आदिवासी पुस्तकालय, आदिवासी म्युज़ियम और सभा कक्ष आदि बनाने का प्रस्ताव दिया है जो विभिन्न दिवंगत महान लेखकों के नाम से स्थापित किया जाना है.
मुख्य अतिथि झाड़ग्राम के सांसद पद्मश्री कालीपद सोरेन ने कहा कि उसे जो राष्ट्रीय स्तर पर जो पहचान मिला उसमे ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन का बहुत बड़ा हाथ है. मैं पहले संताली नाटक तथा कहानी लिखा करता था, हमलोग नाटक का प्रदर्शन भी करते थे. मुझे जब अपना कहानी पुस्तक के लिए जो पहला पुरस्कार प्राप्त हुआ था, इसी संस्था के द्वारा ही प्रदान किया गया था. मैं इस प्रस्कार को प्राप्त करने के लिए अपना पूरा मंडली के साथ रायरंगपुर (उड़ीसा) गया था. यह मेरे लिए बहुत ही गौरव का पल था. इसके पश्चात मैंने पद्मश्री सहित तीन राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार प्राप्त किया उसने अपना संसद निधि का प्रथम किश्त के रूप में इस वर्तमान वित्तीय में पचास लाख रुपए देने की घोषणा की. प्रत्येक वित्तीय वर्ष में राशि आबंटित करते रहेगी.
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित झाड़ग्राम जिला परिषद चेयरमैन चिन्मयी हांसदा और संस्था की पूर्व कोषाध्यक्ष ने कहा कि AISWA आदिवासियों के बीच साहित्य के लिए काम करने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण संगठन है. उसने कहा कि झाड़ग्राम में बनने वाला उपरोक्त भूभाग पर जिला परिषद के मुख्य अभियंता द्वारा प्रोजेक्ट प्लान तैयार कराया जा रहा है. इसमें कुल दस करोड़ लागत पर भविष्य में लगने वाला लागत को ध्यान देकर प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है. इसमें सांसद निधि के साथ-साथ जिला परिषद तथा ट्राइबल विकास विभाग का निधि भी सम्मिलित होगा.
पद्मश्री डॉ दामयन्ती बेसरा ने साहित्य लेखन तथा पुस्तक लेखन पर युवाओं को प्रोत्साहन तथा सहयोग देने पर बल दिया. पूर्व चेयरमैन झाड़ग्राम प्रखण्ड रेखा सोरेन कहा कि उनके चेयरमैन काल में ही पुस्तकालय तथा जमीन अधिग्रहण का प्रक्रिया प्रारम्भ हुआ. मैं सदैव AISWA को प्रदान करते रहूंगी. साहित्य अकादमी नई दिल्ली के संताली पूर्व समन्वयक डॉ गंगाधर हांसदा ने AISWA के हो रहे कार्यों की सराहना की. राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त AISWA के फाउंडर मेम्बर गोराचन्द मुर्मू ने संगठन के पूर्व काल से अबतक का सभी इतिहासिक पहलु को सामने रखा.