सन्नाटे छाये गलियों में, थर थर काँपता है देह, ये पूस की रात भयावह…. Campus December 31, 2024 प्रियंका कुमारी, कैंपस बूम. ये पूस की रात भयावह सिकुड़ रहीं हैं चादरें, ठिठुर रहा है तन बदन , सन्नाटे…